सीमा माता के वियोग में भटक रहे थे श्री राम

शिव महापुराण के अनुसार, बात उन दिनों की है जब भगवान राम सीता माता के वियोग में वन में भटक रहे थे. उसी दौरान भगवान शंकर माता पार्वती के साथ अगस्त मुनि के आश्रम से कथा सुनकर लौट रहे थे. भगवान ने अपने अराध्य श्री राम को प्रणाम किया. तभी माता पार्वती के मन में श्रीराम की परीक्षा लेने का विचार आया. भगवान शंकर से अनुमति लेकर वह श्री राम की

परीक्षा लेने पहुंची.

...और भगवान शंकर ने पार्वती का त्याग कर दिया

माता पार्वती श्री राम के यहां पहुंचीं तो उन्हें देखते ही श्री राम ने कहा, 'माता आप यहां! भगवान भोलेनाथ कहां हैं?' माता पार्वती वहां से मिलकर भगवान शंकर के पास पहुंचीं. वहां उन्होंने श्री राम द्वारा अपने पहचाने जाने और माता से संबोधन की बात छिपा ली. उन्होंने कहा, 'श्री राम उन्हें पहचान नहीं सके.' औपचारिक बातचीत के बाद भगवान शंकर ध्यान में लीन हो गए. तभी उन्हें पता चला कि श्री राम ने उन्हें पहचाना ही नहीं बल्कि माता कहकर संबोधित भी किया. ऐसे में उन्होंने माता पार्वती का त्याग कर दिया.

भगवान के त्याग को लेकर विद्वानों में मतभेद

इस त्याग को लेकर विद्वानों में मतभेद है. कुछ का मानना है कि झूठ बोलने पर भगवान शंकर नाराज हो गए और उन्होंने माता पार्वती का त्याग कर दिया. वहीं कुछ का मानना है कि चूंकि उनके अराध्य श्री राम ने माता पार्वती को माता कहकर संबोधित किया तो वे अपने अराध्य की माता को अपनी पत्नी के रूप में कैसे स्वीकार कर सकते थे?