चीनी, पानी और गिलास में महान कौन

एक बार चीनी, पानी और गिलास में झगड़ा हो रहा था कि कौन महान है. चीनी का कहना था कि उसके बगैर कोई मिठाई नहीं बन सकती. हर शादी-ब्याह और शुभ काम में उसका अलग ही महत्व है. बच्चे तो मिठी चीज के दीवाने ही होते हैं. इधर पानी अपने को महान बता रहा था. उसका कहना था कि उसके बगैर जीवन संभव नहीं है. पहला जीव भी पानी में ही पैदा हुआ था. तभी गिलास ने सबको चुप कराया और अपनी महानता की बखान करने लगा. उसका कहना था कि सबसे महान वही है क्योंकि धातु की खोज हमारी महान सभ्यताओं की पहचान है. धातुओं के आधार पर ताम्र युग, कांस्य युग और लौह युग का नाम है. सभी बच्चे इतिहास की किताबों में उसे पढ़ते हैं. तीनों में कौन सबसे महान यह वाकई तय करना बहुत मुश्किल था.

शरबत पीकर तृप्ति भरी सांस ने पत्नी को खुश कर दिया

पति के दफ्तर से लौटने का टाइम हो रहा था. पत्नी ने गिलास में थोड़ा पानी डाला और चीनी डालकर घोल दिया. उसमें बर्फ और आधा नींबू नीचोड़ कर शिकंजी बना ली. पति थका हारा आया तो उसकी ओर गिलास बढ़ा दिया. पति ने शिकंजी पीने के बाद राहत भरी सांस ली और कहा अब जान में जान आई. पति को तृप्त होता देखकर पत्नी के चेहरे पर जो संतोष का भाव था वही जॉय ऑफ गिविंग का असली मतलब था. चीनी, पानी और गिलास सबकी महानता धरी की धरी रह गई. असल में महान वही है जो दूसरों को देकर खुश रहे. यह बात तीनों को अच्छी तरह समझ आ गई थी कि उनकी महानता दूसरों के तृप्त करने में है.