नगर आयुक्त व मेयर ऑफिस के सामने ही आवारा कुत्तों ने बनाया डेरा

स्टेरलाइजेशन की कवायद भी ठंडी, सीएमओ ऑफिस में भी बनाई पैठ

BAREILLY:

सर्दियों के दौरान ठंड से ठिठुरते लोगों को भले ही शेल्टर होम की कमी के चलते नगर निगम से ढेरों शिकायतें हो। लेकिन शहर के आवारा जानवर इस मामले में नगर निगम के शुक्रगुजार हैं। शहर के विकास का खाका खींचने और इसे अमलीजामा पहनाने वाले नगर निगम को ही आवारा कुत्तों ने अपना शेल्टर होम बना लिया है। निगम की मेहमाननवाजी इन बेजुबानों को इस कदर भा गई है कि वे भरी दोपहर ही नगर आयुक्त और मेयर ऑफिस के सामने पसरे रहते हैं। निगम के कर्मचारियों को भी इससे कतई शिकायत नहीं, लिहाजा वे भी इनके आराम में खलल नहंी डालते।

आवारा जानवरों पर कंट्रोल नहीं

शहर में आवारा कुत्तों व बंदरों का आतंक है। दिन में जहां बंदर लोगों के लिए दहशत बने हैं। वहीं रातों को आवारा कुत्ते जनता के लिए खौफ बन गए हैं। इनकी तादाद और आतंक पर काबू पाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। लेकिन न तो बंदरों को शहर से दूर करने और न ही आवारा कुत्तों की तादाद कंट्रोल करने में निगम की कोशिशें कामयाब रही। बंदरों को पकड़ने वाली एक भी एजेंसी ने पिछले 6 महीने में बरेली का रुख न किया। वहीं 31 मार्च तक आवारा कुत्तों का स्टेरलाइजेशन कराने की कवायद भी आंकड़ों में ही पूरी कर ली गई।

सीएमओ ऑफिस में भी दबंगई

आवारा कुत्तों की दबंगई सिर्फ शहर की सरकार पर ही नहीं बल्कि सेहत महकमे पर भी कायम है। कुछ महीने पहले एक सीएचसी व फीमेल हॉस्पिटल में कुत्तों के नवजातों के शव खाने का मामला गर्माया। डीजी हेल्थ से लेकर डीएम तक ने मामले में संज्ञान लिया और हॉस्पिटल्स व सीएचसी-पीएचसी में आवारा कुत्तों के पाए जाने पर कार्रवाई की चेतावनी तक जारी की। खुद सीएमओ डॉ। विजय यादव ने इन आदेशों को हॉस्पिटल व सीएचसी-पीएचसी पर कड़ाई से लागू करने के आदेश दिए। लेकिन खुद के दर पर इस मामले में हमेशा नाकाम रहे।

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आवारा कुत्तों के लिए स्टेरलाइजेशन मुहिम चलाई गई थी। स्टेरलाइजशन के बाद इन्हें जहां से पकड़ा जाता है, वहीं छोड़ दिया जाता है। नगर निगम व डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से आवारा कुत्ते पकड़कर हटाए जाएंगे।

- डॉ। अशोक कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी