-आवारा कुत्तों पर रोक लगाने में फेल है नगर निगम, नहीं होती कभी भी धरपकड़

-कुछ साल पहले कुत्तों के बंध्याकरण का था प्रपोजल, गिने चुने कुत्तों पर हुआ वर्क

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शहर की हर गली, हर सड़क और हर कॉलोनी इन आवारों से घिर चुकी हैं। हर कोई इन आवारों से त्रस्त है। घर से महिलाओं, युवतियों और बच्चों संग बुजुर्गो का निकलता भी मुश्किल हो गया है। इनकी बढ़ती आबादी के कारण अब तो रात को भी इनका उत्पात इतना बढ़ गया है कि रात की नींद भी हराम हो गई है। आप सोच रहे हैं होंगे कि हम यहां किन आवारों की बात कर रहे हैं। अरे जनाब, ये वहीं आवारे हैं जिनकी भौं-भौं से हम, आप हर कोई परेशान है। सही समझे हम आवारा कुत्तों की ही बात कर रहे हैं। शहर में बीते पांच सालों में आवारा कुत्तों की संख्या दोगुनी हो चुकी है। हर मुहल्ले में 20 से ज्यादा कुत्तों का बसेरा है और निगम है कि आंख कान दोनों बंद किए बैठे हुआ है।

रोक से होंगे कंट्रोल

आवारा कुत्तों पर नकेल कसने के लिए हर जिले को इनका बंध्याकरण कराने का आदेश है लेकिन प्रॉपर बजट न होने के कारण इनकी आबादी को रोकने के लिए इनके बंध्याकरण का काम सिर्फ कागजों तक ही सीमित हो चुका है। जिसके कारण इनकी आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है। निगम के जिम्मेदार अफसर भी मानते हैं कि आवारा कुत्तों को पकड़ने का काम तो होता है लेकिन बजट के अभाव में इनके बंध्याकरण पर लंबे वक्त से कोई काम नहीं हुआ है।

बढ़ रही है संख्या

- शहर में करीब पांच हजार से ज्यादा आवारा कुत्ते हैं

- इनके आतंक से हर कोई परेशान है

- सड़क से गली तक इनकी उत्पात जारी है

- करीब पांच साल पहले कुत्तों के बंध्याकरण का काम हुआ था

- जानवरों के सरकारी डॉक्टरों की टीम ने करीब 200 से ऊपर आवारा कुत्तों का बंध्याकरण हुआ था

- इसके बाद ये काम नहीं हुआ

- जिसके कारण पांच सालों में आवारा कुत्तों की तादाद तेजी से बढ़ी