हर रोज औसतन 100 लोग

सदर हॉस्पिटल के डॉग बाइट सेंटर के इंचार्ज एके सिंह ने बताया कि सेंटर में डेली ऑन ऐन एवरेज 100 लोग एंटी रैबीज वैक्सीन लेने आते हैं। उन्होंने बताया कि सदर, रिम्स और पीएचसी को जोड़ दिया जाए, तो यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी और उन्हें पकडऩे से भी कोई खास असर नहीं दिख रहा है। 2013 में सबसे ज्यादा मार्च में 2822 लोग डॉग बाइट के शिखार हुए,  जिसके बाद उन लोगों ने एंटी रैबीज वैक्सीन ली।

रात में काटा कुत्ते ने

वेडनसडे को सदर हॉस्पिटल में एंटी रैबीज वैक्सीन लेने आए न्यू मधुकम चूना भट्ठा निवासी पिंटू ने बताया कि वह खादगढ़ा बस स्टैंड पर उतरकर पैदल रात दस बजे घर जा रहे थे। तभी रास्ते में स्ट्रीट डॉग्स के झुंड ने उन्हें घेर लिया उन्हें दौड़ा कर काट लिया। वहीं, कडरू की रहनेवाली अफसाना परवीन ने बताया कि उन्हें मोहल्ले के स्ट्रीट डॉग ने तब काटा, जब वह शाम में ट्यूशन पढऩे जा रही थीं। कांटाटोली के बबलू ने बताया कि स्ट्रीट डॉग ने उन्हें पैर में काट लिया, जिससे उन्हें वैक्सीन लेनी पड़ रही है।

यहां है इनका आतंक

रात में स्ट्रीट डॉग्स का आतंक सबसे ज्यादा सिटी के कोकर से लेकर लालपुर चौक तक, करमटोली चौक से अल्बर्ट एक्का चौक तक, रातू रोड से पिस्का मोड़ तक, सुजाता चौक से सिरमटोली और हरिहर सिंह रोड से वसुंधरा गली, बरियातू से रिम्स जाने की सड़क पर है। हाल में ही डेली मार्केट में एक पागल कुत्ते ने पंद्रह लोगों को काटा था। इससे वहां अफरा-तफरी मच गई थी।

क्या है rabies?

रैबीज को हाइड्रोफोबिया भी कहा जाता है। यह एनिमल्स में फैलनेवाला वायरल जूनोटिक इंफेक्शन है। इससे इनकैफोलाइटिस जैसा उपद्रव होता है जो इलाज न किए जाने की सिचुएशन में डेंजरस होता है। इसका प्रमुख कारण किसी पागल कुत्ते का काटना होता है।

ऐसे समझिए कि कुत्ते को rabies है

सदर हॉस्पिटल के मेडिसीन डिपार्टमेंट के डॉ विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि अगर कुत्ते में कुछ खास लक्षण दिखाई दें, तो समझना चाहिए कि उसे रैबीज है। जैसे- जिस कुत्ते को रैबीज होगा, वह एब्नॉर्मली बिहेव करेगा और लोगों को बेवजह काटेगा। उसके मुंह से लार टपकेगी, किसी कोने में निढाल पड़ा रहेगा। वह पानी नहीं पी पाए, तो समझ लीजिए कि उसे रैबीज है। ऐसा कुत्ता दस दिन में मर भी जाता है।

जिसे सुई लगी हो उससे डर नहीं

डॉ विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि आमतौर पर दो तरह के कुत्ते लोगों को काटते हैं। एक तो वे होते हैं, जिन्हें पेट डॉग कहते हैं। ऐसे डॉग्स को अगर एंटी रैबीज इंजेक्शन लगा हुआ है, तो इससे कोई डर नहीं होता, फिर भी सावधानी के तौर पर पेट डॉग के काटने पर दस दिन तक उसे वॉच करना होता है। अगर दस दिनों में कुत्ता मर जाता है, तो वह इंफेक्टेड होता है। ऐसे में एंटी रैबीज वैक्सीन लेनी होती है, पर सबसे बड़ी प्रॉब्लम स्ट्रीट डॉग्स के काटने से होती है, क्योंकि उसे इंजेक्शन लगा है या नहीं, यह पता नहीं होता। ऐसे में अगर कोई स्ट्रीट डॉग काट ले, तो व्यक्ति को तुरंत पहले टेटनस का इंजेक्शन और फिर एंटी रैबीज वैक्सीन लेनी चाहिए। अगर कुत्ते ने चेहरे में काटा हो, तो एंटी रैबीज के साथ इम्यूनोग्लोबलीन इंजेक्शन भी लेने की जरूरत पड़ती है।

नहीं लिया तो मौत निश्चित

डॉ विजय ने बताया कि स्ट्रीट डॉग हो या पेट डॉग, उनके काटने के बाद लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। अगर कोई ऐसा करता है, तो यह जानलेवा हो जाता है। रैबीज होने के दस दिन बाद कुत्ते की मौत हो जाती है और 30 दिन में व्यक्ति की। हालांकि, कुछ केसेज में 60 दिन या दस साल बाद भी असर दिखा है। रैबीज होने के बाद व्यक्ति को मेनिनजाइटिस हो जाता है, जिससे वह

वॉयलेंट हो जाता है। इसके पेशेंट की मौत सांस लेने में दिक्कत होने से हो जाती है।

कुत्ता काटे, तो ये सावधानियां बरतें

-जितना हो सके, घाव को बहते गुनगुने पानी से धोएं।

-घाव को ढंकें नहीं, न उसपर पट्टी लगाएं और न टांके लगवाएं।

-नजदीकी दवाखाने या सरकारी अस्पताल में जाएं, जहां एआरवी अवेलेबल होती है।

-कुत्ता यदि पालतू है, तो उसे दस दिन तक वॉच करें।

-रैबीज रोकथाम की मुख्यधारा की चिकित्सा है कि कुत्ता काटते ही तुरंत छह से आठ घंटे या अधिक से अधिक 24 घंटे में एंटी बायोटिक वैक्सीन लगवा लें। इसमें तीन, पांच या सात इंजेक्शंस दिए जाते हैं। यह पेशेंट की बॉडी में कुत्ता काटने और कुत्ते में रैबीज होने पर बेस्ड होता है।

-यदि कुत्ता काटने के दस दिन बाद भी जीवीत है, तो सावधानी के लिए तीन इंजेक्शन ही काफी है।

-पागल कुत्ते के काटने पर पहले दिन, तीसरे दिन, सातवें दिन, 14वें दिन और 28वें दिन वैक्सीन लेनी होती है। वैक्सीनेशन का कोर्स पूरा होने के बाद रैबीज का खतरा कम हो जाता है।