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JAMSHEDPUR: देश के प्रतिष्ठित इंजिनियरिंग संस्थानों में से एक आदित्यपुर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) में बाउंड्री वॉल टूटा होने की वजह से आवारा कुत्ते और जानवर घुस जाते हैं और हॉस्टल आई के मेस में खाने वाले बर्तन व प्लेट को चाटते हैं। मेस संचालक इन गंदे बर्तनों में खाना बनाते हैं। ऐसा खाना खाकर स्टूडेंट्स बीमार पड़ जाते हैं। गार्ड भी एक्टिव नहीं दिखाई देते। स्टूडेंट्स ने बताया कि खाने की क्वालिटी भी काफी खराब है। मेस में गंदगी व मक्खियों का बसेरा रहता है। स्टूडेंट्स ने इसकी शिकायत इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट के अलावा प्रधानमंत्री व एचआरडी मिनिस्ट्री से भी की है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। कैंपस में सात मेस है, जहां तीन हजार स्टूडेंट्स का खाना बनता है, इसमें सबसे बुरी हालत हॉस्टल आई के मेस की है। हॉस्टल आई में 500 स्टूडेंट्स का खाना बनता है।

मिला सिर्फ आश्वासन

स्टूडेंट्स ने बताया कि उन्होंने हॉस्टल आई के वार्डन व डायरेक्टर से कई बार इस बारे में कंप्लेन की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। स्टूडेंट्स को सिर्फ सुधार का आश्वासन ही दिया गया। स्टूडेंट्स ने बताया कि कॉलेज मैनेजमेंट ने जब उनकी बातों को नजरअंदाज किया तो उन्होंने अपनी परेशानी ट्वीटर पर भी शेयर किया तथा प्रधानमंत्री व एचआरडी मिनिस्टर को टैग किया गया। जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने वार्डन व डायरेक्टर से इस बारे में बात की तो उन्होंने ऐसा होने की बात से ही इनकार कर दिया, लेकिन जब उन्हें फोटो दिखाई, तो सारा ठिकरा बाउंड्री और मेस संचालक पर फोड़ दिया।

पर सेमेस्टर 16500

छात्रों ने बताया कि एनआईटी में स्टूडेंट्स को प्रति सेमेस्टर खाने के लिए 16500 रुपए चुकाने पड़ते हैं। एनआईटी में मेस का ही खाना कंपलसरी होता है। स्टूडेंट को प्रतिदिन खाने के लिए 110 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। इसमें दो टाइम का नाश्ता, लंच व डिनर शामिल हैं। स्टूडेंट्स को हफ्ते में चार दिन चिकेन दिए जाते हैं।

तीन कंपनी को मिला है टेंडर

कैंपस के कुल 7 मेस में खाना बनाने का टेंडर तीन साल पहले दिल्ली की तीन कंपनी हरीश हॉस्पिटैलीटी, होटल राजस्थान, बोनटोन प्राइवेट लिमिटेड से हुआ है। वार्डन जयनेंद्र कुमार ने बताया कि खाने की गुणवत्ता को लेकर भी काफी बार शिकायत आई है। इस साल तीनों कंपनी का टेंडर खत्म हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगला टेंडर इन कंपनियों को नहीं दिया जाएगा।

हॉस्टल आई में मेस का काम हरिश हॉस्पिटैलिटी देखती है। इस कंपनी के बारे में कई कंप्लेन आई है, इस पर कार्रवाई की जाएगी। इस साल कंपनी का टेंडर खत्म हो रहा है। अब इसे टेंडर नहीं दिया जाएगा। स्टूडेंट्स के खाने की गुणवत्ता से कोई असावधानी नहीं बरती जाएगी।

जयनेंद्र कुमार, वार्डन, हॉस्टल आई, एनआईटी, जमशेदपुर

इसकी शिकायत आई है। कैंपस में अगल-बगल से काफी मवेशी घुस जाते हैं इसलिए ऐसा होता है। मेस संचालक पर पैनल्टी लगाई जाएगी। वार्डन को भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। कुछ दिनों में कैंपस बाउंड्री का निर्माण पूरा हो जाएगा। इसके बाद ऐसी घटनाएं नहीं होंगी।

डॉ केके शुक्ला, डायरेक्टर, एनआईटी, जमशेदुर