-सेटेलाइट के पास सीएनजी के ट्रक की वजह से हुआ हादसा

-जंग लगकर जर्जर हुए पोल की नगर निगम ने नहीं ली थी सुध

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हॉस्पिटल में दे रही जिंदगी मौत का इम्तिहान

नगर निगम की जानलेवा लापरवाही के चलते जर्जर खंभे से चोटिल हुई युवती हॉस्पिटल के आईसीयू में जिंदगी और मौत से जूझ रही है। उसकी पहचान मैरीटोर बलिया निवासी प्रियंका वर्मा के रूप में हुई है। उसके पिता विजय बहादुर वर्मा गर्वनमेंट इंटर कॉलेज कुमशिला भिलंग टिहरी गढ़वाल में लेक्चरर हैं। उसका सेंटर आलमपुर पीलीभीत रोड स्थित सूर्या इंटर कॉलेज में पड़ा था, लेकिन सेंटर पर पहुंचने से पहले वह हादसे का शिकार हो गई।

ड्राइवर ने की लापरवाही

विजय बहादुर ने बताया कि वह सेंटर पर जाने के लिए सवारी का इंतजार कर रहे थे, तभी एक सीएनजी गैस के ट्रक को ड्राइवर ने बैक किया। बैक करने के दौरान ड्राइवर की लापरवाही से ट्रक पोल से टकराकर तारों में फंस गया। उसके बाद जर्जर पोल बेटी के ऊपर गिर गया। पोल गिरते ही बेटी गंभीर रूप से घायल हो गई। उन्होंने बताया कि प्रियंका भी निजी स्कूल में पढ़ाती है। वह कॉम्पि्टीशन की तैयारी कर रही है, और समीक्षा अधिकारी बनना चाहती है। इसीलिए उसने समीक्षा अधिकारी की परीक्षा की तैयारी और परीक्षा देने के लिए पहुंची थी।

हो सकता था बड़ा हादसा

जो पोल प्रियंका के ऊपर गिरा है, वह स्ट्रीट लाइट का है। इस रोड पर स्ट्रीट लाइट की देखरेख तीन वर्ष से नगर निगम कर रहा है। पोल लंबे समय से जर्जर था लेकिन इसके बावजूद भी जिम्मेदारों ने कोई भी सुध नहीं है। यही वजह रही कि मामूली टक्कर लगने से पोल नीचे गिर गया। यदि समय रहते पोल को उखाड़ दिया गया होता या फिर इसकी मरम्मत करा दी जाती तो शायद हादसा न होता। गनीमत रही कि हादसे का शिकार कोई अन्य नहीं हुआ, क्योंकि वहां से टीचर के पिता के अलावा अन्य लोग भी गुजर रहे थे। हो सकता था कि यदि पोल गिरने से कोई चिंगारी उठती और आग लग जाती तो हादसा और भी बड़ा हो सकता था, क्योंकि ट्रक भी सीएनसी गैस का था और कुछ ही दूरी पर सीएनजी पंप भी था

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लापरवाही पर हो सकती है सख्त कार्रवाई

ट्रक की टक्कर से नगर निगम की स्ट्रीट लाइट का पोल टूटकर युवती के ऊपर गिरा है, तो इसके लिए सर्व प्रथम ट्रक ड्राइवर जिम्मेदार है, लेकिन जर्जर पोल होने के चलते नगर निगम भी बराबर का जिम्मेदार है। घायल युवती के पिता नगर निगम के सक्षम अधिकारी के नाम पर गैर इरादतन घटना का केस कर सकते हैं, जिसमें नगर निगम को इलाज खर्च, वाद व्यय और मानसिक खर्चा पूरा देना होगा। नगर निगम यदि यह कहता है कि यह पोल लगाने का काम किसी कंपनी को दे रखा है, तो ऐसी स्थिति में वह कंपनी जुर्माना भरेगी जो कंपनी स्ट्रीट लाइट लगाने का काम देख रही है।

आशीष सक्सेना, एडवोकेट

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युवती के पिता को नगर निगम के खिलाफ केस करना चाहिए, जिससे उन्हें नगर निगम इलाज सहित पूरा खर्चा देने देगा। क्योंकि स्ट्रीट लाइट पोल नगर निगम का है तो उसकी निगरानी का काम भी नगर निगम का होगा। युवती के हाथ, पैर या सिर में अधिक चोट लगने से उसे अधिक नुकसान हुआ है तो नगर निगम को उसका भी हर्जाना देना पड़ेगा। क्योंकि स्ट्रीट लाइट यदि किसी ठेकेदार ने लगाई हैं तो सुपरविजन का काम तो नगर निगम का ही होगा।

सुशीला, एडवोकेट