-कांट्रैक्ट नर्सो की स्ट्राइक दूसरे दिन भी जारी, एक स्लाइन तक चढाना हुआ मुश्किल

-सर्जिकल वार्ड में कोई नहीं था इंजेक्शन देने वाला, सिविल सर्जन ने पीएमसीएच को दिया 50 नर्से

PATNA: पीएमसीएच में स्ट्राइक का दूसरा दिन भी बिना नर्सिग के बीता। दिनभर वार्ड, सर्जिकल ब्लॉक और इमरजेंसी में पेशेंट के कराहने की आवाज अनसुनी कर दी गयी। वार्ड में सूई देने का काम नर्सो की बजाय वार्ड ब्वॉयज से कराना पड़ा। ऐसे पेशेंट भी थे, जिन्हें इस व्यवस्था से कोई उम्मीद नहीं दिखी और वे नाम कटाकर प्राइवेट अस्पताल चल चले। यहां तक कि एक स्लाइन की बोतल चढ़ाने में पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन का पसीना छूट गया, जिसे डॉक्टर ने जितना स्लाइन चढ़ाने के लिए एडवाइस किया था, वह पूरा नहीं हो सका। यह कोई एक वार्ड नहीं, बल्कि पूरे पीएमसीएच में यही हालत दिखा। कान्ट्रैक्ट नर्से अपने जॉब के रेग्यूलराइजेशन पर अड़ी हैं, तो दूसरी ओर ट्रीटमेंट के लिए आए पेशेंट को कोई राहत नहीं मिली।

तीन के बदले चढ़ा एक स्लाइन

पेडियाट्रिक वार्ड में मनेर से आए मदन कुमार की तीन साल की पोती अंजलि को डायरिया की प्रॉब्लम है। और उसे हर दिन तीन स्लाइन चढ़ाने को कहा गया है, लेकिन उसका शनिवार दोपहर एक बजे तक उसे केवल एक ही स्लाइन चढ़ा है। वहीं शुक्रवार को भी केवल दो ही स्लाइन चढ़ाया गया था। समस्तीपुर से आए दीन दयाल राय के ग्यारह साल के बेटे राजन को लगातार उल्टी से कमजोरी हो गयी है। उसे चार बोतल स्लाइन चढ़ाया जाना था, लेकिन दोपहर एक बजे तक केवल एक ही स्लाइन चढ़ाया गया। उसके पिता ने बताया कि वह यहां दस दिन से एडमिट है स्लाइन चढ़ाने का समय मॉर्निग छह बजे से होता है, लेकिन इसे दिन में एक बजे तक पहले बोतल का आधा ही चढ़ाया जा रहा है।

नर्स के बिना इलाज हुआ मुश्किल

सीतामढ़ी से आए विवेक शाह के भतीजे आशीष को खाना नहीं पचता है। उसे एक स्लाइन और एक स्पेशल लिक्विड डोज चढ़ता है, लेकिन दोपहर में यह स्लाइन उतार कर रखा हुआ था। पूछने पर पता चला कि डाक्टरों ने अभी पहले इंजेक्शन देने को कहा है। लेकिन नर्सो के नहीं होने के कारण सूई के लिए दर-बदर भटकना पड़ रहा है। इसी प्रकार, इमरजेंसी वार्ड में लीवर की बीमारी से परेशान सीता देवी की बेचैनी लगातार बढ़ रही है। उसे लीवर की प्रॉब्लम है और उसे हर दिन चार बार तीन स्लाइन चलाया जाना है, लेकिन अभी तक केवल एक ही स्लाइन चढ़ाया गया है। बच्चा वार्ड, टाटा वार्ड और अन्य कुछ वार्डो में नर्सो की स्ट्राइक का जबरदस्त असर दिखा।

लाचार दिखा एडमिनिस्ट्रेशन

कांट्रैक्ट नर्सो की इस स्ट्राइक में पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन लाचार दिखा। इन्होंने पहले ही कह दिया है कि वे कोई एग्जाम या इंटरव्यू नहीं देंगी। उन्हें बस जॉब रेग्यूलराइज कर दिया जाए। इस बीच देर शाम तक कहीं कोई बातचीत नहीं हुई। एक तरफ नर्से स्ट्राइक करते हुए नारे लगा रहीं थीं, तो दूसरी ओर पेशेंट के रिलेटिव अपने परिचित लोगों के साथ बातचीत कर रहे थे कि आखिर यहां से जल्दी से छूट कहीं प्राइवेट में ठीक से इलाज कराएं। सासाराम से आए एक पेशेंट मो। अशफाक ने बताया कि वह दो दिनों से हथुआ वार्ड में एडमिट है। वह यहां की व्यवस्था से तंग आ चुका है और सासाराम में ही इलाज कराउंगा।

घट गया पेशेंट रजिस्ट्रेशन

अगर नए पेशेंट की बात करें, तो पेशेंट रजिस्ट्रेशन में भारी कमी आयी है। पीएमसीएच में शनिवार को ओपीडी में मात्र क्ख्00 पेशेंट रजिस्टर्ड किया गया, जबकि आम दिनों में यह ख्भ्00 से ज्यादा होता है। दूसरी ओर, इमरजेंसी में कुछ पेशेंट को वार्ड में ट्रांसफर कर दिया गया है।

नारेबाजी, तो दूसरी ओर चीख-पुकार

एक तरफ नर्सो ने इंट्रेंस के पास अपनी यूनिटी के नारे लगा रहीं थी, तो दूसरी ओर थोड़ी दूर आगे ही गाइनी वार्ड के सामने कुछ महिलाएं चीख-पुकार रहीं थी। उसका बच्चा खराब हो गया था। जब आई नेक्स्ट ने गाइनी वार्ड के अंदर गया तो मालूम हुआ कि यहां वार्ड में दोपहर के समय केवल एक नर्स थी। समझा जा सकता है कि पिछले दो दिनों से यहां कैसी व्यवस्था चलायी जा रही है।

स्ट्राइक से निपटने के लिए सिविल सर्जन ऑफिस से भ्0 नर्सो की डिमांड की गयी है। संडे से ये सभी ज्वांइन करेंगी। इनमें ए और बी दोनों ग्रेड की नर्से शामिल हैं।

-डॉ लखींद्र प्रसाद, सुपरिंटेंडेंट, पीएमसीएच

यहां पर जब ठीक से ट्रीटमेंट नहीं हुआ, तो अब अपनी पोती को यहां से लेकर निकल रहे हैं। प्राइवेट में इलाज कराएंगे।

-मदन कुमार, मनेर

राजन को स्लाइन हर दिन मॉर्निग छह बजे चढ़ता था, लेकिन स्ट्राइक के कारण पिछले दो दिनों से बेसमय और आधा-अधूरा स्लाइन चढ़ाया जा रहा है।

-दीनदयाल राय, समस्तीपुर

स्लाइन चढ़ाना तो दूर, मेरा भतीजा को तो एक सूई देने वाला तक कोई नहीं है। बेहद खराब स्थिति है यहां।

-विवेक शाह, सीतामढ़ी

मेरी मां इमरजेंसी में एडमिट है। वहां उसे ऑपरेशन होने वाला है। स्ट्राइक के कारण बड़ी परेशानी है।

-रूदल, खुखरूपुर

मेरे पिता लीवर के पेशेंट हैं। उन्हें हर दिन तीन बोतल स्लाइन चढ़ाया जाना था, लेकिन न तो शुक्रवार और न ही शनिवार को ही तीन बोतल चढ़ाया जा सका।

-रविशंकर, छपरा