50 हजार मरीज प्रभावित

16 मरीजों की सर्जरी ट्रॉमा में

190 मरीज आए ट्रॉमा में

45 किए गए एडमिट

- वेस्ट बंगाल में डॉक्टर्स की पिटाई से नाराज डॉक्टरों ने रखी हड़ताल

 

-पीजीआई में बिहार से लेकर झारखंड तक के मरीज बिना इलाज लौटे

lucknow@inext.co.in
LUCKNOW : सर्वाधिक असर संजय गांधी पीजीआई और केजीएमयू में मरीजों पर पड़ा. यहां पर सैकड़ों की संख्या में मरीजों की सर्जरी टल गई और दूसरे राज्यों से आए लोग मायूस होकर लौट गए. हड़ताल में आईएमए और रेजीडेंट डॉक्टर्स की थी लेकिन बड़े चिकित्सा संस्थानों के फैकल्टी मेंबर्स ने भी उनका साथ दिया. हजारों मरीजों को दर्द देकर अंतत: सोमवार देर शाम हड़ताल वापसी की घोषणा हो गई.

दूसरे राज्यों के मरीज परेशान
झारखंड निवासी कनक देवी गंभीर किडनी रोग के लिए दिखाने पति के साथ आई थीं. लेकिन उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका. गोरखपुर निवासी आंचल (6म्) को कैंसर के कारण परिजन एक दिन पहले ही लेकर पीजीआई आ गए थे. उनकी हालत गंभीर है लेकिन परचा नहीं बना. जिसके कारण वह बिना इलाज वापस लौटने को मजबूर हो गई. ऐसे ही अति गंभीर हालत में देश के विभिन्न राज्यों और विभिन्न शहरों से आए 600 से अधिक मरीज पीजीआई की ओपीडी से और करीब इतने ही मरीज विभिन्न जांचें कराए बगैर ही लौटने को मजबूर हो गए.

doctors strike : हजारों मरीजों को दर्द देकर हड़ताल खत्म

बिना जांच के लौटे
पीजीआई में तीन दर्जन से अधिक मरीज सुबह 8 बजे से ही इंडोस्कोपी का इंतजार कर रहे थे, लेकिन डॉक्टर्स के साथ ही कर्मचारी तक नदारद रहे. एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी के लिए आए सभी मरीजों काे सुबह ही वापस कर दिया गया था.

 

 

महिला को दिया धक्का
पीजीआई में मरीजों की जांच के लिए पैथोलॉजी का काउंटर एक बजे तक बंद रहा. मरीजों के दबाव पर कुछ देर के लिए काउंटर खोला गया तो कहा गया कि सिर्फ रुपए जमा हो सकते हैं सैंपल नहीं लिया जाएगा. एक कर्मचारी नसीर ने एक महिला मरीज को इस दौरान धक्का भी दे दिया. अधिकारियों तुरंत काउंटर बंद करा दिया. दूसरे राज्यों के बहुत से मरीज ऐसे थे जिन्होंने शनिवार को ओपीडी में दिखाया था. सोमवार के लिए वह सिर्फ सैंपल देने के लिए ही रुके थे लेकिन जरुरी जांचें न हो सकीं.

केजीएमयू ओपीडी में ताला

रेजीडेंट डॉक्टर्स ने सोमवार सुबह ही ओपीडी में ताला जड़ दिया. डेली करीब 10 हजार मरीजों की ओपीडी होती है लेकिन सोमवार को सिर्फ 3580 मरीज ही देखे गए. नेपाल देश तक से मरीज आए थे और बिना इलाज बैरंग वापस लौटने को मजबूर हुए. एमआरआई से लेकर सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड जांचे तक टाल दी गईं. रोजाना केजीएमयू में करीब 125 से अधिक मरीजों की छोटी बड़ी सर्जरी की जाती हैं. सोमवार को सभी सर्जरी टाल दी गई. सिर्फ ट्रॉमा में 16 मरीजों की सर्जरी की गईं.

 

 

 

doctors strike : हजारों मरीजों को दर्द देकर हड़ताल खत्म

लोहिया में देखे गए मरीज

डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हड़ताल का खास असर नहीं दिखा. यहां फैकल्टी और रेजीडेंट डॉक्टर सभी ओपीडी में मरीज देखते नजर आए. कुछ डॉक्टर्स ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया लेकिन मरीजों को कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा. उधर एराज मेडिकल यूनिवर्सिटी में भी रेजीडेंट डाक्टर्स ने हड़ताल रखी और मरीजों को ओपीडी से वापस लौटना पड़ा.

 

आईएमए, आईडीए भी स्ट्राइक पर
सरकारी संस्थानों के साथ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, इंडियन डेंटल एसोसिएशन से जुड़े डॉक्टर्स ने भी हड़ताल की. आईएमए से जुड़े डॉक्टर्स और पदाधिकारियों ने क्लीनिक में ओपीडी सेवाएं ठप रखीं. कई बड़े पैथोलॉजी सेंटर भी बंद रहे. आईएमए भवन में पदाधिकारियाें ने एकत्र होकर प्रदर्शन किया.

कुछ इस तरह दिखा स्ट्राइक का असर

एसजीपीजीआई

सेवा डेली मरीज सोमवार को

 

नए मरीज 600 से अधिक 0

 

जांचें 800 से 1000 0

 

इंडोस्कोपी 45 से अधिक 0

 

मेजर सर्जरी 35 से अधिक 0

 

एंजियोग्राफी 25 से अधिक 0

 

केजीएमयू

 

ओपीडी 10 हजार से अधिक 3580

 

जांचें 1 हजार से अधिक 0

 

सर्जरी 125 से अधिक 0

 

 

ट्रॉमा सेंटर एक नजर में

 

मरीज आए- 190

 

एडमिशन- 45

 

सर्जरी- 16

 

 

हड़ताल खत्म कर दी गई है. डॉक्टर्स की सुरक्षा के लिए ऐसा कड़ा कानून बने ताकि ऐसी घटनाएं आगे न हों. ऐसी घटनाओं के बाद मरीज को ही नुकसान होता है.

 

डॉ. अनिल गंगवार, आरडीए एसजीपीजीआई