कंपनियां इनके विकास पर भी काम कर रही

आइआइटी मद्रास का दावा है कि जल्द इसका औद्योगिक उत्पादन शुरू हो जाएगा। फिलहाल इस तकनीक के जरिये राजस्थान और असम के दस हजार से ज्यादा घरों को रोशन किया जा रहा है। बिजली की खपत कम करने वाली सोलर डीसी तकनीक का विकास हाल ही में आइआइटी मद्रास ने वर्षों के लंबे शोध के बाद किया है। इसके तहत सोलर पैनल को डीसी (डायरेक्ट करंट) तकनीक से जोड़ा जाता है। इसमें इस्तेमाल होने वाले सारे उपकरण जैसे बल्ब, ट्यूबलाइट, पंखा आदि डीसी तकनीक वाले ही होने चाहिए। कई कंपनियां इनके विकास पर भी काम कर रही हैं।

डीसी करंट में भी तब्दील कर दिया जाता

सोलर डीसी तकनीक को विकसित करने वाले आइआइटी मद्रास के प्रोफेसर अशोक झुनझुनवाला ने बताया कि दो कमरे वाले घर के लिए एक किलोवाट का सोलर पैनल पर्याप्त होता है। वहीं, चार कमरे वाले घरों में दो किलोवाट के सोलर पैनल की जरूरत होगी। इसकी लागत 80 हजार के आसपास होगी। इससे घर में टीवी, पंखा, फ्रिज, एसी, कंप्यूटर सब चल सकेगा। खास बात यह है कि इस तकनीक के तहत एक ऐसा इलेक्ट्रिक कन्वर्टर भी विकसित किया गया है, जिसकी मदद से 230 वोल्ट के एसी (अल्टरनेटिव करंट) को 48 वोल्ट के डीसी करंट में भी तब्दील कर दिया जाता है।

हर घर को सोलर डीसी तकनीक से लैस किया गया

प्रोफेसर झुनझुनवाला का कहना है कि इस तकनीक से चलने वाले उपकरणों को तैयार करने में देश की कई बड़ी इलेक्ट्रिकल कंपनियों ने रुचि दिखाई है। उनकी मानें तो जल्द ही डीसी उपकरण बाजार में उपलब्ध होंगे। सोलर डीसी तकनीक को लेकर हाल ही में मध्य प्रदेश सहित उत्तर-पूर्व के कई राज्यों ने रुचि दिखाई है। प्रोफेसर झुनझुनवाला के मुताबिक इन राज्यों ने आइआइटी से संपर्क साधा है। जल्द ही इन्हें तकनीक सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। उन्होंने बताया कि हाल ही में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के एक-एक गांव में सीएसआर फंड की मदद से हर घर को सोलर डीसी तकनीक से लैस किया गया है।

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