-प्लेसमेंट कंपनी भगाने के मामले में डीएवी प्रेसीडेंट ने दी सफाई

-डीएवी कॉलेज प्रिंसिपल ने प्रेसीडेंट के बयान को बताया निराधार

DEHRADUN : डीएवी प्लेसमेंट मामले में छात्र संघ अध्यक्ष का दांव ऐसा उल्टा पड़ा कि छात्र विरोध में खड़े दिखने लगे हैं। अब बदले माहौल में छात्र संघ अध्यक्ष ने छात्र हित का नया राग अलापते हुए कॉलेज प्रशासन पर आरोप लगाया कि प्लेसमेंट में बाहरी छात्रों को शामिल किया जा रहा था, जिसका उन्होंने विरोध किया। हालांकि, कॉलेज प्रशासन के पास पुख्ता तथ्य हैं कि केवल डीएवी के छात्रों को ही प्लेसमेंट के लिए आमंत्रित किया गया था।

अध्यक्ष ने तोड़ दिया छात्रों का सपना

वेडनसडे को कैंपस प्लेसमेंट के लिए डीएवी पीजी कॉलेज पहुंची मल्टीनेशनल कंपनी आईबीएम के एचआर डिपार्टमेंट के अधिकारियों को छात्र संघ अध्यक्ष पारस गोयल ने साथियों के साथ मिलकर सभागार से बाहर निकाल दिया था। प्लेसमेंट में शामिल होने पहुंचे छात्रों को भी धमकाकर खदेड़ दिया गया था। छात्रों का बड़ी कंपनी में नियुक्ति का सपना टूटा तो उनका रुख छात्रसंघ के प्रति नकारात्मक होने लगा। कई वर्षो के बाद डीएवी के छात्रों को ऐसा ही मौका मिला था, लेकिन छात्रसंघ अध्यक्ष पारस गोयल की एक हरकत ने न केवल युवाओं का सपना तोड़ दिया, बल्कि आने वाले वक्त में कंपनियों के कॉलेज की ओर रुख करने पर भी खौफ का साया डाल दिया है।

अध्यक्ष के आरोप निराधार

अब बदले माहौल को भांपते हुए छात्र संघ अध्यक्ष पारस गोयल ने पत्रकार वार्ता कर एक नया राग अलापा। उन्होंने कहा कि प्लेसमेंट में डीएवी कॉलेज के छात्रों से ज्यादा बाहरी छात्र शामिल हो रहे थे। जब उन्होंने प्रतिभागियों से पहचान पत्र मांगे तो हंगामा शुरू हुआ, इसीलिए प्लेसमेंट बंद कराया गया। इस मामले में कॉलेज प्रशासन के तर्क ज्यादा मजबूत हैं। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि प्लेसमेंट विशुद्ध रूप से डीएवी कॉलेज के लिए था। इतना ही नहीं फाइनल सूची में स्थान बनाने वाले छात्रों का कॉलेज प्रशासन से सत्यापन भी किया जाना था। ऐसे में छात्र संघ अध्यक्ष के तमाम आरोप निराधार हैं।

'लंबे समय के बाद किसी बड़ी कंपनी ने कॉलेज का रुख किया था। इससे न केवल युवाओं के लिए रोजगार की राह खुलती, बल्कि कॉलेज की छवि पर भी प्रभाव पड़ता। छात्रसंघ अध्यक्ष के बाहरी छात्रों को शामिल किए जाने के आरोप बेतुके हैं। कॉलेज प्रशासन की ओर से केवल स्नातकोत्तर प्रथम और द्वितीय वर्ष में पढ़ रहे छात्रों को एसएमएस किए गए थे और आईबीएम की ओर से आए पत्र को वेबसाइट पर डाला गया था। ऐसे में बाहरी छात्रों के आने का सवाल ही नहीं उठता.'

- डॉ। देवेंद्र भसीन, प्राचार्य, डीएवी पीजी कॉलेज