इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अभी तक एक भी प्रत्याशी ने नहीं दिया चुनावी खर्च का विवरण
ALLAHABAD: सेंट्रल यूनिवर्सिटी इलाहाबाद में 14 अक्टूबर को छात्रसंघ चुनाव सम्पन्न हुआ। चुनाव में प्रत्याशी और समर्थकों की दबंगई खुल्लम खुल्ला देखने को मिली। वाहनों के काफिले और प्रचार के तौर तरीकों ने सभी सीमायें तोड़ दी थी। चुनाव बाद भी प्रत्याशियों की हेकड़ी कम नहीं हुई है। अभी तक एक भी प्रत्याशी ने खर्च का ब्यौरा नहीं दिया है। ब्योरा देने में उनका पसीना छूट रहा है।
चीफ प्रॉक्टर ने दिया था नोटिस
गौरतलब है कि चुनाव पूर्व चीफ प्रॉक्टर प्रो। आरएस दुबे ने कैम्पस में व्यापक चुनावी प्रचार के आरोप में विभिन्न पदों के लिये चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे 16 प्रत्याशियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इनमें अध्यक्ष पद की एक महिला प्रत्याशी भी शामिल थी। इन सभी से छात्रसंघ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में स्पष्टीकरण देने को कहा गया था। पूछा गया था कि क्यों न आपका नामांकन अथवा चुनाव परिणाम निरस्त कर दिया जाए।
इन्हें जारी हुई थी नोटिस
मृत्युंजय राव परमार- अध्यक्ष पद हेतु
चन्द्रशेखर चौधरी- उपाध्यक्ष पद हेतु
उदय प्रकाश यादव- अध्यक्ष पद हेतु
देवेश यादव सोनू- उपमंत्री पद हेतु
सचिन सिंह- महामंत्री पद हेतु
कमल कुमार- उपमंत्री पद हेतु
सूरज तिवारी- उपाध्यक्ष पद हेतु
विकास यादव- महामंत्री पद हेतु
अंजनी मिश्र- महामंत्री पद हेतु
प्रियंका सिंह- अध्यक्ष पद हेतु
निर्भय द्विवेदी- महामंत्री पद हेतु
अर्पित सिंह- महामंत्री पद हेतु
रोहित यादव- महामंत्री पद हेतु
प्रदीप कुमार मौर्य- संयुक्त मंत्री पद हेतु
शिवम कुमार तिवारी- उपाध्यक्ष पद हेतु
प्रशांत शुक्ल- उपाध्यक्ष पद हेतु
चुनाव खर्च संबंधी ये थे निर्देश
प्रत्याशी 5000 रुपए से अधिक खर्च नहीं कर सकेगा।
परिणाम की घोषणा के दो सप्ताह के भीतर प्रत्याशी खर्च का पूरा विवरण विवि को उपलब्ध कराएगा।
विवि इस खर्च को प्रकाशित कराएगा। जिससे छात्रसंघ का कोई भी सदस्य खर्च की जांच स्वतंत्र रूप से कर सके
प्रत्याशी का दावा सीमा से अधिक खर्च करने की स्थिति में निरस्त कर दिया जाएगा।
राजनैतिक दलों से धनराशि प्राप्ति को छात्रसंघ में रोकने हेतु प्रत्याशियों पर यह विशेष रोक लगाई गई है।
खर्च से संबंधित विवरण पहले परिवाद निवारण प्रकोष्ठ को देना होता है। इसके बाद जांच समिति इसका अवलोकन करती है। किसी ने यदि तय सीमा से अधिक खर्च किया है तो उसके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
-प्रो। आरके सिंह,
चुनाव अधिकारी