सपा ने की घोषणा

सपा छात्र सभा ने एनएएस और एसएमपी कॉलेज दो कॉलेजों में अपना पैनल उतार दिया है। जबकि बाकी कॉलेजों में जल्द ही पैनल घोषित करने की तैयारी चल रही है। जहां सपा ने कैंपस में अपने कैंडीडेट उतार कर उन्हें जिताया। वहीं दूसरे गुट जाने किस इंतजार में हैं।

जिताऊ की तलाश

एबीवीपी और एनएसयूआई ने कैंपस में झटका खाने के बाद अब तक कोई हलचल नहीं दिखाई है। हालांकि कॉलेजों में दोनों की स्थिति पिछले साल सपा से बेहतर रही थी। लेकिन दोनों ही गुटों ने अभी तक प्रत्याशी घोषित करने में कोई इंट्रेस्ट नहीं दिखाया है। दोनों ही गुट जिताऊ कैंडीडेट्स की तलाश कर रहे हैं। पिछले साल भी देखा गया है कि जो भी कैंडीडेट चुनाव के लिए पर्चा दाखिल करते हैं। नाम वापसी के बाद ये दोनों गुट उन्हीं में से अपना पैनल तैयार करते हैं। दोनों के ही संगठन में आपसी गतिरोध और मनमुटाव शुरू हो चुका है। कार्यकर्ताओं में रोष है कि संगठन के पदाधिकारी संगठन कार्यकर्ताओं को चुनाव में टिकट क्यों नहीं देते हैं।

ये हैं तैयारी में

मेरठ कॉलेज से महामंत्री का चुनाव लडऩे के इच्छुक गौरव सिंह का कहना है कि मैं एबीवीपी के चुनाव लडऩा चाहता हूं। पर टिकट ना मिलने पर निर्दलीय भी जीत सकता हूं। गौरव के साथ ही बलराम सोम, सन्नी ठाकुर, अमित समेत अन्य छात्रों ने भी चुनावों के मद्देनजर अपने बैनर पोस्टर लगवा दिए हैं।

होगा मुकाबला

बता दें कि कॉलेजों में इस साल चुनावों में कड़ी टक्कर होने वाली है। कैंपस में भी पिछले साल की तुलना में इस साल दोगुना प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था। इसी तरह से कॉलेजों में भी चुनाव लडऩे वालों की फौज तैयार हो चुकी है। बता दें कि पिछले साल मेरठ कॉलेज से 52 प्रत्याशियों ने पर्चा दाखिल किया था। इसी तरह आरजी कॉलेज में तीस, एनएएस में तीस, डीएन में 31, कनोहर लाल में चालीस, इस्माईल नेशनल में 27 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था। जिस हिसाब से प्रत्याशी बढ़ेंगे उसी हिसाब से वोट भी बटेंगी और कंप्टीशन भी बढ़ेगा। सभी कैंडीडेट्स जो लंबे समय से छात्र राजनीति में सक्रिय हैं अपनी तैयारी में लग गए हैं। अपने उपर लगे मुकदमों को हटवाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं।

"मैं महामंत्री पद के लिए चुनाव लडऩे जा रहा हूं। उम्मीद है कि अच्छे मुद्दों पर स्टूडेंट्स मुझे वोट करेंगे."

गौरव सिंह, स्टूडेंट

"मैं चाहता हूं कि ऐसे लोग छात्र संघ में आएं जो छात्रों की समस्याएं सही में सुनते हों। नाकि सिर्फ हवा हवाई बातें करते हों."

बलराम सोम, स्टूडेंट

"मेरे हिसाब से किसी अच्छे, साफ छवि वाले इमानदार स्टूडेंट को ही जीतना चाहिए। जो सबको साथ लेकर चले."

सन्नी, स्टूडेंट

"अक्सर चुनाव जीतने के बाद छात्र नेता स्टूडेंट की बात नहीं सुनते हैं। कम से कम इस बार ऐसा नहीं होना चाहिए."

सौरभ धामा, स्टूडेंट

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