- रूम छूट जाने के डर से खुलकर बोलने से भी कतराते हैं स्टूडेंट

- एक बेड वाले कमरे का दो हजार और दो बेड वाले कमरे में पंद्रह सौ पर बेड चार्ज

- दोस्तों के साथ थोड़ा हंस-बोल लो, तो मकान मालिक गाली-गलौज तक आ जाते हैं

PATNA: टेंथ और ट्वेल्थ के रिजल्ट आने वाले हैं। विभिन्न कॉम्पटीशन की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स अभी से ही पटना पहुंचने लगे हैं, पर राजधानी पटना में स्टूडेंट का जमकर शोषण चल रहा है। दूर-दराज के इलाके से आए स्टूडेंट स्टडी की खातिर हर शोषण सहने को मजबूर हैं।

लॉज मालिकों की चलती है दादागिरी

मखनियां कुआं के एक लॉज में रह रहे अमन ने बताया कि मेरे कमरे में एक सिंगल बेड की चौकी लगी है। इसके अलावा एक कुर्सी की जगह बची है, लेकिन इतने से जगह का मैं दो हजार रुपए देता हूं। खुदाबख्श लाइब्रेरी के सामने वाली गली में स्थित लॉज में लगभग पच्चीस कमरे हैं। सभी की हालत ऐसी ही है। एक बेड वाले कमरे का दो हजार और दो बेड वाले कमरे में पंद्रह सौ रुपए बेड लिया जाता है। मनमाना वसूली के बाद भी लॉज में सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। कुछ यही हाल है काजीपुर के एक लॉज का। मोतिहारी के संदीप ने बताया कि यहां रहकर एसएससी की तैयारी कर रहा है। पिछले दो साल से इसी लॉज में रह रहा हूं। हर साल पांच सौ रुपए किराया बढ़ा दिया जाता है। कई स्टूडेंट ने बताया कि हमेशा लॉज मालिक धौंस दिखाते हैं, जब मन होता है किराया बढ़ा दिया जाता है।

हमेशा पूछताछ, सफाई भी नहीं

कुछ ब्वॉयज हॉस्टल और लॉज को छोड़ दें तो पटना के तमाम लॉज की एक सी स्थिति है। मछुआ टोली के एक लॉज में रह रहे सुमन कहते हैं कि हमेशा मकान मालिक पूछताछ करते रहते हैं। कोई घर से भी आता है तो दस तरह का सवाल किया जाता है। अगर कभी क्लासमेट आ गए और हंसी-ठिठोली कर ली कमरे में तो फिर तो मकान मालिक डांट-फटकार और गाली-गलौज तक करने लगते हैं। स्टूडेंट्स में मकान मालिक का डर और रूम छूट जाने का खतरा ऐसा है कि वे कुछ भी खुलकर बोलने से कतराते हैं। पैसे तो स्टूडेंट्स से मकान मालिक मनमाना वसूलते हैं, लेकिन मिनिमम सुविधाएं भी अधिकांश लॉज में अवेलेबल नहीं है। रोजाना साफ-सफाई तक नहीं होती है। टुनटुन सिंह लेन स्थित एक लॉज के स्टूडेंट ने बताया कि मुझे याद ही नहीं है कि पिछली बार कब लॉज की टंकी साफ हुई थी। लॉज के आसपास और उसके परिसर में भी काफी गंदगी नजर आती है, लेकिन स्टूडेंट्स की मजबूरी है कि उसके पास कोई दूसरा उपाय नहीं है।

बिजली चोरी का खेल

कई लॉज में बिजली चोरी का खेल चलता है। जो ऑनर अपने घर में लॉज चलाते हैं वे बकायदा उसी हिसाब से उसे कंस्ट्रक्ट भी करवाये हुए हैं। कमरे छोटे-छोटे होते हैं, छोटे से छोटे स्पेस का यूज कर लिया जाता है। औसतन एक लॉज में बीस स्टूडेंट तो रहते ही हैं, लेकिन जिस लॉज को मकान मालिक अपने आमदनी का जरिया बनाये हुए हैं वे वहां जमकर इलेक्ट्रिसिटी चुराते हैं। अधिकांश लॉज मालिक कॉमर्शियल कनेक्शन नहीं लेते हैं। काजीपुर स्थित एक लॉज मालिक एसके सिंह कहते हैं कि हमलोगों ने कॉमर्शियल कनेक्शन लिया है। उन्होंने बताया कि बहुत पहले बिजली विभाग की ओर से छापेमारी की गयी थी। कुछ दिनों तक लोगों ने चोरी नहीं की, लेकिन फिर से वही धंधा चालू है।

नहीं रखी जाती स्टूडेंट्स की डिटेल

दिल्ली, कोलकाता जैसे मैट्रो सिटी की तरह पटना में भी जिला प्रशासन की ओर से यह आदेश दिया गया था कि जो भी रूम रेंट पर लगाते हैं या लॉज चलाते हैं उन्हें स्टूडेंट के बारे में पूरी जानकारी अपने पास रखना होगा, लेकिन किसी भी लॉज में ये नियम फॉलो नहीं किए जाते हैं। नियमत: स्टूडेंट्स की पूरी जानकारी से लॉज मालिकों को संबंधित पुलिस थाना को भी अवगत कराना होता है। स्टूडेंट के रेसिडेंशियल प्रूफ और स्कूल या फिर ट्यूशन का आई कार्ड मकान मालिक को अपने पास रखना है और एक कॉपी थाने को उपलब्ध कराना है, लेकिन इसका पालन पटना में नहीं होता है।