वहां जो कुछ झेला, वो मुसीबत से कम नहीं था। बृजेंद्र अकेले नहीं थे। सैकड़ों स्टूडेंट्स उन्हीं की तरह परेशान थे। वो खामोश नहीं बैठे। एक जिम्मेदार सिटिजन जर्नलिस्ट का रोल निभाते हुए बृजेंद्र ने आई नेक्स्ट को ये बात बताई। बृजेंद्र बताते हैं, माइग्रेशन सर्टीफिकेट निकलवाने गया था। मार्कशीट में एनरॉलमेंट नंबर न होने की वजह से दोबारा नंबर दर्ज कराने को कहा गया लेकिन इसके लिए 100 रुपए लिए जा रहे थे। मेरा ऑब्जेक्शन था कि जब फस्र्ट इयर में 100 रुपए ले लिए गए थे तो दोबारा लेने का क्या मतलब। मेरी बात किसी ने नहीं मानी। वहां लाइन में लगभग 400 स्टूडेंट्स इसी काम से खड़े थे और सभी से ही 100 रुपए लिए जा रहे थे। मजबूरन मुझे भी दोबारा 100 रुपये जमा करने पड़े। मगर, मैंने सोचा कि आई नेक्स्ट के जरिए ये बात लोगों तक पहुंचाऊंगा.

सैटरडे को जब आई नेक्स्ट की टीम यूनिवर्सिटी पहुंची तो हमें कई स्टूडेंटस ऐसे मिले जिनके हाथों में अपनी-अपनी मुश्किलों के फॉर्म थे। कोई माइग्रेशन सर्टिफिकेट के लिए परेशान था तो कोई मार्कशीट और रिजल्ट समय पर न आने से परेशान था। वहां मौजूद सभी स्टूडेंट्स पहली बार नहीं बल्कि कई दिनों से चक्कर लगा रहे थे। जब हमने स्टूडेंट्स से पूछा कि उन्हें सबसे ज्यादा किस बात की दिक्कत है तो सबका एक ही जवाब था कि यहां कोई सही इंफॉरमेशन देने वाला नहीं हैं। किसी भी इंफॉरमेशन को लेने के लिए एक काउंटर से दूसरे काउंटर के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

नहीं मिलती information

फर्रुखाबाद, बरेली, लखनऊ, बिजनौर, इलाहाबाद जैसे शहरों से रोज स्टूडेंट्स सीएसजेएम यूनिवर्सिटी आते हैं, अपनी एक प्रॉब्लम को बताने के लिए उन्हें घंटो इंतजार करना पड़ता है, कई बार तो सुविधा शुल्क के नाम पर पैसे भी देने पड़ते हैं, उसके कई दिनों बाद ही बात बनती है। स्टूडेंट्स का कहना है कि काउंटर पर कई बार लोग ही नहीं रहते और अगर बैठते भी है तो उनके पास सही इंफॉरमेशन नहीं होती। ऐसा होने से कई बार स्टूडेंट्स समय पर अपना एग्जाम तक नहीं दे पाते.

हंगामे पर हुआ काम

सैटरडे को प्रोविजनल सर्टीफिकेट लेने आए स्टूडेंट्स को पहले काउंटर बंद है और मंडे को ही सर्टीफिकेट मिलेगा ये कहकर टाला गया, यही नहीं स्टूडेंट्स को धक्के मारकर बाहर भी निकाला। लेकिन जब स्टूडेंट्स ने शोर मचाया तब उनकी बात सुनी गई। स्टूडेंट्स के पास इस बात की फोटो कॉपी भी थी जिसमें ये लिखा था कि 10 सितंबर 2011 को दोपहर 2 बजे सर्टीफिकेट मिलेगा। शोर मचाने के बाद काउंटर को 3 बजे खोला गया और 4 बजे तक स्टूडेंट्स को सर्टीफिकेट दिए गए.