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PATNA: इंडिया की पॉलिटिक्स की दिशा तय करने वाले स्टेट में सेएक बिहार में इस बार दलबदलू लीडर्स सबसे अधिक मौज-मस्ती कर रहे हैं। सत्ता पाने की लालच में लगभग सभी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं व संगठन की अपेक्षा कर दलबदलुओं पर दांव खेल रही हैं। इंडियन पॉलिटिक्स पर अगर ध्यान दिया जाए तो दलबदलू नेता पहले से ही नाजायज माना जाता है। मेरा मानना है कि अगर कोई भी लीडर्स लंबे टाइम तक अपनी पार्टी का नहीं हो सकता है वह भला आम पब्लिक का क्या होगा? वहीं, इन दिनों लोकसभा चुनाव अपने दहलीज पर है और पटना सहित पूरे बिहार में दलबदलू नेताओं का दौर शुरू हो गया है। पटना सहित पूरे बिहार के पॉलिटिक्स पर गौर करें, तो अदर स्टेट की तुलना में यहां पर दलबदलू नेताओं की लंबी लिस्ट लगी हुई है, जिसका लेटेस्ट एक्जाम्पल लालू प्रसाद यादव और बीजेपी पार्टी में देखी गई। यही नहीं, बिहार की सभी पार्टी में दलबदलू का दौर चालू है। अपनी सत्ता को पाने के लिए सांसद पार्टी को बदल दूसरी पार्टी ज्वाइन कर लेते हैं, पर सही बात तो यह है कि अगर कोई भी जनप्रतिनिधि अपने वर्क के प्रति ईमानदार हैं, तो उसे पार्टी बदलने में कोई इंटरेस्ट नहीं होगा। अगर कोई नेता कई बार पार्टी बदलता है तो वह सही मायने में ईमानदार नहीं होगा। मेरा मानना है कि लीडर जितना पार्टी बदलने में ध्यान देता, उतना अगर पब्लिक पर ध्यान देते तो उसे दूसरी पार्टी कभी नहीं बदलनी पड़ेगी। वोट डालने से पहले पटनाइट्स को पार्टी बदलने वाले लीडर्स पर फोकस करके ही उसे वोट दें, ताकि आपके ऐरिया का सही मायने में डेवलप हो सके।

सुमित कुमार, स्टूडेंट