- डीडीयूजीयू 34 वें दीक्षांत समारोह के दौरान मेधावियों को किया गया सम्मानित

GORAKHPUR: डीडीयूजीयू के 34वें दीक्षांत समारोह के मौके पर जब होनहारों के पर गोल्ड मेडल्स की बौछार शुरू हुई तो उनकी खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। दीक्षांत समारोह का आयोजन सुबह 10.30 बजे से किया गया। मुख्य अतिथि गृह मंत्री राजनाथ सिंह रहे। जबकि समारोह की अध्यक्षता गवर्नर रामनाइक ने की। कार्यक्रम की शुरुआत कुलगीत 'दिव्य सुंदर परम पावन' के साथ हुई। इसके बाद वीसी प्रो। अशोक कुमार ने मंच पर विराजमान गेस्ट्स को बुके देकर उनका स्वागत किया। साथ कार्यपरिषद और विद्यापरिषद सदस्यों के साथ-साथ डीन और हेड ऑफ डिपार्टमेंट के विद्वानों की पदयात्रा निकाली गई।

2015 के 42 गोल्ड मेडलिस्ट

होनहारों को जब गोल्ड मेडल देने के लिए एक-एक कर मंच पर बुलाना शुरू किया गया तो उनके पैरेंट्स की आंखों में खुशी के आंसू झलक रहे थे। सेशन 2014-15 के सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वालों में कुल 42 गोल्ड मेडलिस्ट शामिल रहे। जबकि 59 मेमोरेबल मेडल प्राप्त करने वाले मेडलिस्ट शामिल रहे। वहीं यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडल व मेमोरेबल गोल्ड मेडल (2011-14) के कुल 8 होनहारों को भी सम्मानित किया गया। इनमें से 8 यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडल और पांच मेमोरेबल मेडल से सम्मानित किया गया।

टॉप फोर मेडलधारी

1- दिव्य ज्योति सिंह

वर्ष 2015 में अतिविशिष्ट शोध प्रकाशन में महायोगी गुरुगोरक्षनाथ स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ।

2- आलोक कुमार

2015 में पीजी दर्शन शास्त्र की परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने पर योगीराज बाबा गंभीरनाथ स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।

3- सरस्वती शाह

2015 में पीजी स्तर पर शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर उपलब्धियों में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ स्वर्णपदक दिया गया।

4- नेहा कुमारी गुप्ता

2015 की स्नातक स्तर पर शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर उपलब्धियों में ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ स्वर्णपदक दिया गया।

वीसी ने बताई योजनाएं

-प्रशासनिक स्तर पर अभिलेखों के डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया को बढ़ावा देना, जिससे पारदर्शी एवं समाजपयोगी व्यवस्था बने।

- संचार और कंप्यूटर उपकरणों के सुव्यवस्थित उपयोग से कैंपस की नेटवर्किग और ई-लर्निग व्यवस्था करना।

- कैंपस में वैकल्पिक उर्जा का प्रयोग विशेषकर सौर उर्जा को ध्यान में रखते हुए करना है।

- कैंपस में साइंस म्यूजियम की स्थापना करना

- लंबे समय से शिक्षक भर्ती के लिए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करना है।

किया शिलान्यास

दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि गृह मंत्री राजनाथ सिंह और गर्वनर राम नाइक ने यूनिवर्सिटी के पुरातन छात्र परिषद भवन, जुलोजी डिपार्टमेंट एनिमल हाउस और हीरापुरी कॉलोनी के पार्क का शिलान्यास किया। इस मौके पर वीसी प्रो। अशोक कुमार समेत तमाम डीन, एचओडी व टीचर्स मौजूद रहे।

- सन 2015 - गोल्ड मेडल - 42

- सन 2015 - मेमोरेबल मेडल - 59

इसी वर्ष 2015-16 में दिए गए मेमोरेबल मेडल - 4

- सन 2011-14 - गोल्ड मेडल - 08

- सन 2011-14 - मेमोरेबल मेडल - 5

प्रगति निगम - पीजी राजनीतिशास्त्र, 7 मेडल

ज्योति मिश्रा - पीजी हिंदी, 6 मेडल

श्वेता शाही - यूजी आर्ट, 5 मेडल

इनके जज्बे को सलाम

1. सरस्वती शाह - पीजी मैथमेटिक्स, 9 मेडल

गोरखपुर जनपद के सिकरीगंज की रहने वाली सरस्वती शाह साइंटिस्ट बनना चाहती हैं। डीडीयूजीयू मैथमेटिक्स से एमएससी क्वालिफाई करने वाली सरस्वती शाह को एक नहीं, दो नहीं बल्कि 9 मेडल प्राप्त हुए। बेहद गरीब परिवार की सरस्वती के पिता राधेश्याम शाह बिजनेस मैन है। वह अपने इस खुशी के पल को शब्दों में बयां नहीं कर पा रही थीं। अलंकनदा ग‌र्ल्स हास्टल में रह कर पढ़ने वाली सरस्वती बचपन से ही होनहार रही हैं। वे 10 वीं 73 परसेंट, 12 वीं में 77 परसेंट, बीएससी में 73 परसेंट और एमएससी मैथमेटिक्स से सर्वोच्च अंक हासिल कर न सिर्फ अपने डिपार्टमेंट का नाम रोशन किया बल्कि साइंस फैकेल्टी में सर्वाधिक अंक हासिल किया।

2. श्वेता श्रीवास्तव - पीजी संस्कृत, 8 मेडल

बस और ट्रेन से डेली यूनिवर्सिटी आकर पढ़ाई करने वाली श्वेता को आठ मेडल मिले हैं। श्वेता बताती हैं वे संस्कृत की प्रोफेसर बनना चाहती हैं। पिता रवि श्रीवास्तव मेडिकल स्टोर चलाते हैं। वह पीपीगंज में रहती हैं। घर वाले हमेशा सपोर्ट करते रहते हैं। यही रीजन है कि बचपन से ही श्वेता अपने क्लास में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर अपने पैरेंट्स का मान बढ़ाया है। 10वीं में श्वेता जहां 70 परसेंट, 12 वीं में 80 परसेंट और ग्रेजुएशन में 65 परसेंट से टॉप किया है।

3- प्रगति निगम, 7 मेडल, राजनीति शास्त्र से पीजी

आज जितने भी मेडल्स मुझे मिले हैं, इसका सारा श्रेय टीचर्स और पैरेंट्स को है। उनके आशीर्वाद से आज इतने मेडल्स मिले। मेरी 2015 में शादी हुई। हसबैंड डॉ। अरविंद गौतम महाराजगंज जिले में मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात हैं। जब उन्हें पता चला कि मैंने टॉप किया है तो उन्हें भी काफी गौरव महसूस हुआ। शादी होने के बाद भी मेरे ससुराल वाले आज मुझे पूरा सपोर्ट करते हैं। मुझे आईएएस बनना है। पापा सुनील ठेकेदार हैं और मम्मी यूपीपी में काम करती हैं, इन दोनों के व्यस्त होने के बावजूद मैने पढ़ाई में पूरा ध्यान दिया।

4- ज्योति मिश्रा, 6 मेडल, हिंदी से पीजी

मिश्रवलिया, हरपुर बुदहट, सहजनवा की रहने वाली ज्योति मिश्रा हिंदी सब्जेक्ट के टीचर बनना चाहती हैं। ज्योति बताती हैं कि पिता अशोक मिश्रा और मां मीना मिश्रा का हमेशा से सपोर्ट मिला है। वे सुबह बस से डेली गोरखपुर पढ़ाई करने आती थीं। घर पहुंचने के बाद कुछ देर आराम करने के बाद वह फिर से पढ़ाई में जुट जाती थी। उनका गोल पूरा हो। इसके लिए वह नेट की प्रीपरेशन कर रही हैं। इन्हें 6 मेडल मिलने पर वह इसके लिए अपने पैरेंट्स को क्रेडिट देती हैं।

श्वेता शाही, 5 मेडल, आर्ट से यूजी

बीए होम साइंस की श्वेता टीचर बनना चाहती हैं। तरकुलवां, देवरिया की रहने वाली श्वेता ने रेश्मा देवी कॉलेज से पढ़ाई की हैं। कॉलेज में पढ़ाई करने के बावजूद उन्होंने 5 मेडल हासिल किए हैं। इसके लिए वह अपने पैरेंट्स और टीचर्स को श्रेय देती हैं। वे बताती हैं इनके पिता प्राइवेट टीचर के पद पर कार्यरत हैं, आगे की पढ़ाई के साथ-साथ वह नेट भी तैयारी कर रही हैं।