आपदाओं के बारे पता नही

वेडनसडे को राजपुर रोड के एक होटल में स्कूली बच्चों की एक रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें आपदा प्रदेश की हकीकत की पोल खुली। इस रिपोर्ट को पढऩे के बाद शायद एसी कमरों में बैठे हमारे नेता और प्लानिंग करने वाले ऑफिसर्स भी चौंक जाएंगे। रिपोर्ट में बताया गया है कि सर्वे के दौरान करीब 30 परसेंट लोगों को जानकारी ही नहीं है कि कितनी प्रकार की आपदाएं होती हैं। बचे हुए 70 परसेंट को थोड़ा बहुत आपदा के बारे में पता हैं।

ट्रेनिंग क्या होती है?

आपदा से निपटने के लिए स्टेट में हर साल ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन पता चला है कि इस प्रकार की ट्रेनिंग के बारे में कुल 20 परसेंट  टीचरों ने ही ट्रेनिंग ली है, जबकि महज 6 परसेंट बच्चों को टीचर्स ने ट्रेनिंग के बारे में बताया है।

दवाइयां भी ओवर डेट की

रिपोर्ट के अनुसार 75 बच्चों को पता ही नहीं हैं कि उनके स्कूल की बिल्डिंग अर्थक्वैक प्रूफ है या नहीं। सर्वे के दौरान पाया गया कि गांवों, स्कूलों और ब्लाक मुख्यालयों पर ऐसे कोई इंस्ट्रयूमेंट नहीं जो आग लगने पर आग बुझाने के काम आए। गांव व स्कूल्स में महज 6 फीसदी स्थानों पर ही फस्र्ट एड किट पाई गई, लेकिन इनमें एक्सपाइयरी डेट की दवाइयां मिलंी।

ये भी चौंकाने वाला तथ्य

इसके अलावा 88 परसेंट लोगों को ये नहीं पता कि भूकंप आने के दौरान क्या करना चाहिए, बचने के लिए कैसी रणनीति होनी चाहिए। 29 फीसदी डिस्ट्रिक्ट व ब्लाक लेवल के अधिकारियों व कर्मचारियों को जिला आपदा प्रबंधन के बारे में में कोई जानकारी नहीं है। जबकि सरकारें कहते आई हैं कि जिले से लेकर ब्लाक लेवल तक आपदा के लिए केंद्र संचालित किए जा रहे हैं।

रिपोर्ट ‘एज वी सी इट’

 प्लान इंडिया और भुवनेश्वरी महिला आश्रम के ज्वाइंट बेंचर में पिछले दो महीनों से प्रदेश के 139 गांवों, 245 स्कूल्सं, 139 टीचर्स और 885 स्कूली बच्चों के बीच 110 बाल पत्रकारों ने सर्वे किया। इस दौरान 56 जिला आपदा प्रबंधन अधिकारियों, जिसमें डीएम, सीएमओ और ब्लॉक लेवल के अधिकारियों से भी बातचीत की गई। इसके बाद तैयार रिपोर्ट का नाम ‘एज वी सी इट’ दिया गया। ये रिपोर्ट वेडनेसडे को राज्य के आपदा प्रबंधन एवं न्यूनीकरण के सीईओ डा। पियूष रौतेला को बच्चों ने सौंपी। डा। रौतेला ने कहा कि इस बाबत एजूकेशन डिपार्टमेंट को अवगत कराया जाएगा।