RANCHI रांची यूनिवर्सिटी के ट्राइबल एंड रिजनल लैंग्वेज डिपार्टमेंट के यूजी और पीजी सिलेबस में बार-बार बदलाव से आजिज आकर स्टूडेंट्स ने मंगलवार को डिपार्टमेंट में तालेबंदी कर दी। स्टूडेंट्स ने कहा कि सिलेबस हर छह महीने में चेंज होता रहता है, वहीं इस बार अप्रकाशित पुस्तकें भी शामिल कर दी गयीं हैं। इसका खामियाजा स्टूडेंट को भुगतना पड़ रहा है।

सिलेबस का कर रहे 'रिसर्च'

टीआरएल डिपार्टमेंट में तालेबंदी का नेतृत्व कर रहे नागपुरी भाषा शोधार्थी छात्र संघ के अध्यक्ष रामकुमार ने कहा कि यूजी और पीजी कोर्स के सिलेबस का मेंबर शोधार्थियों को बना दिया गया है। इसमें स्थापित साहित्यकारों को दरकिनार करके शोधार्थियों की पुस्तकें डाली गयी हैं। इसका खामियाजा यह होगा कि स्टूडेंट नेट और जेपीएससी क्वालिफाई नहीं कर पाएंगे, क्योंकि नई पुस्तकें एक तो अप्रकाशित हैं दूसरी वे जेपीएससी और नेट के सिलेबस को कवर नहीं करती हैं।

22 से पहले निकले समाधान

डिपार्टमेंट में तालेबंदी के बाद विभागाध्यक्ष और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ हरि उरांव गेट के बाहर खड़े थे। शोधार्थी वीसी को बुलाने की मांग कर रहे थे। वीसी को जब तालेबंदी की सूचना मिली तो वे उनसे मिलने आये और उनके बातचीत के आश्वासन के बाद तालेबंदी खत्म हो गयी। इसके बाद शाम में वीसी ने आंदोलनकारी विद्यार्थियों के साथ बातचीत की और उनकी मांगें पूरा करने का आश्वासन दिया। विद्यार्थियों ने उनसे कहा कि यदि 22 से पहले उनकी समस्याओं का समधान नहीं हुआ तो वे फिर दो जनवरी से तालेबंदी करेंगे।

नोटिफाइड कमिटी बनाती है सिलेबस

टीआरएल के एचओडी डॉ त्रिवेणी नाथ साहू ने कहा कि उनपर जो आरोप लगाये जा रहे हैं वह गलत हैं। सिलेबस यूनिवर्सिटी की नोटिफाइड कमिटी बनाती है। सिलेबस के लिए शोधार्थियों से सुझाव भी मांगे गये थे पर कोई सुझाव नहीं आया। हमने उनसे बात करने की कोशिश की पर कोई बातचीत करने के लिए तैयार नहीं है। विभाग में नौ भाषाओं की पढ़ाई होती है पर एक नागपुरी भाषा के लिए पूरे विभाग की तालेबंदी की गयी है यह ठीक नहीं है। वहीं विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत डॉ हरि उरांव ने कहा कि स्टूडेंट्स को समस्या हो सकती है और उसके समाधान की कोशिश की जा सकती है पर इसके लिए तालेबंदी ठीक नहीं।

एचओडी हाय-हाय से गूंजा कैंपस

टीआरएल डिपार्टमेंट में तालेबंदी करने के बाद विद्यार्थी विभागाध्यक्ष हाय-हाय, हमारी मांगे पूरी करो जैसे नारे लगा रहे थे। विद्यार्थियों का नेतृत्व कर रहे राम ने बताया कि पहले सिलेबस में प्रफुल्ल कुमार राय की शंकर गोटेक जिंदगी शामिल थी। इसे हटाकर रणेंद्र के उपन्यास ग्लोबल गांव के देवता का नागपुरी अनुवाद सिलेबस में शामिल किया गया। इसका अनुवाद ज्ञानोत्तम विधि ने किया है। वहीं सिलेबस में डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ टीएन साहू की दो किताबें शामिल हैं। इसमें एक नागपुरी कविता संग्रह और दूसरा नागपुरी कहानी संग्रह है। सिलेबस में स्थापित साहित्यकारों को दरकिनार करके शोधार्थियों की पुस्तकें डाली गयी हैं।