- आईआईटी एडमिनिस्ट्रेशन तीन साल के लिए प्रोवाइड कराता है पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर

- इंडस्ट्री के लिए जॉब करने के साथ सैकड़ों लोगों को दे रखा है जॉब

- कैंपस से पासआउट 30 कंपनियां सिंगापुर से लेकर यूएसए तक मचा रहीं धमाल

KANPUR: आईआईटी को ब्रेन फैक्ट्री यूं ही नहीं कहा जाता। आईआईटियंस डिग्री लेने के बाद जॉब नहीं करते बल्कि खुद की कंपनी बनाकर लोगों को जॉब देते हैं। दुनिया भर में सैकड़ों कंपनियों को आईआईटियंस रन कर रहे हैं। आईआईटी कैंपस में ही 32 कंपनियों के ऑफिस हैं। इन सभी कंपनियों के मालिक पासआउट आईआईटियंस हैं। इन कंपनियों में सैकड़ों लोगों को जॉब मिला हुआ है। बीते नौ सालों में 30 कंपनियां कैंपस से पासआउट हो चुकी हैं जो दिल्ली से लेकर यूएसए तक धमाल मचा रही हैं।

सिडबी देता है 25 लाख का लोन

कैंपस में स्टूडेंट को कंपनी स्टेब्लिश करने के लिए आईआईटी एडमिनिस्ट्रेशन सिडबी के साथ मिलकर उनकी पूरी मदद कर रहा रहा है। आईआईटी कैंपस के सिडबी इनोवेशन एण्ड इन्क्यूबेशन सेंटर को साल 2004 में स्टेब्लिश किया गया था। लेकिन सेंटर ने पूरी तरह से 2006 में काम करना शुरू किया। आईआईटी के सिडबी सेंटर में कंपनी बनाने वाले को 25 लाख रुपए का लोन मिलता है। कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद लोन आसानी से स्वीकृति हो जाता है।

जॉब वर्क से लेकर टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन तक

इस सेंटर में वर्तमान में करीब 32 आईआईटियंस की कंपनियां काम कर रही हैं। यह कंपनियां इंडस्ट्री के जॉब वर्क से लेकर टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन तक इंडस्ट्री को अवेलेवल करा रही हैं। सिडबी से हेल्प के बाद कंपनी स्टेब्लिश करने के लिए आईआईटी कानपुर स्टूडेंट्स को कंपलीट इंफ्रॉस्ट्रक्चर प्रोवाइड कराता है। ऑफिस के लिए रूम, इलेक्ट्रिसिटी, फोन और इसके अलावा कंपनी को इंटरनेट की सुविधा भी मिलती है। कंपनी को यह सुविधा 2 साल के लिए दी जाती है और रिक्वेस्ट पर एक साल का एक्सटेंशन कंपनियों को मिल जाता है। ज्यादातर कंपनियां तीन साल तक कैंपस में रहती हैं।

दुनिया के हर कोने तक

साल 2006 से सिडबी सेंटर से अभी तक करीब 30 आईआईटियंस की कंपनियां कैंपस से पासआउट हो चुकी हैं। इन कंपनियां ने देश के मेजर सिटीज के अलावा यूएसए तक में अपने ऑफिस बना लिए हैं। कंपनियों ने अपना बिजनेस यूएसए, यूरोप, मिडिल ईस्ट के साथ साथ एशियन कंट्रीज को टारगेट बनाया है। मास्टर ऑफ डिजाइन के कुछ स्टूडेंट्स ने अपना बिजनेस ऑफिस सिंगापुर में बनाया है।

अब दिल्ली जाने की तैयारी

नैनो सैटेलाइट जुगनू डेवलप करने में स्टूडेंट्स को लीड करने वाले मेरीटोरियस शांतनु अग्रवाल ने आर्नियम कंपनी बनाई है। वह उद्योगपतियों को टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन दे रहे हैं। कंपनी ने कैंपस में तीन साल पूरे कर लिए हैं। अब यह कंपनी अपना ऑफिस दिल्ली में शिफ्ट करने की तैयारी में जुट गई है। इस कंपनी में दो डायरेक्टर हैं और दोनो ही आईआईटियन हैं।

विदेशी शिक्षण संस्थानों ने माना लोहा

नैनो टेक्नोलॉजी का मैटीरियल बनाने वाली कंपनी ई स्पिन नैनोटेक के एमडी डॉ। संदीप पाटिल ने आईआईटी कानपुर के केमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट से पीएचडी की थी। इसके बाद मेंटर प्रो। डॉ। आशुतोष शर्मा की गाइडेंस में नैनो टेक्नोलॉजी का मैटीरियल बनाने वाली मशीन बना कर विदेशी शिक्षण संस्थानों को सप्लाई कर अपना हुनर दिखाया। अब यह कंपनी भी कैंपस से बाहर जाने की तैयारी में जुट गई है।

एमडेस का जलवा

मास्टर ऑफ डिजाइन के सीनियर प्रोफेसर एस रे ने बताया कि डिजाइन प्रोग्राम के करीब 10 मेरीटोरियस ने कंपनी बनाई है। जिसमें कि नीरल देसाई ने डेनमार्क में कंपनी स्टेब्लिश की है। इसी तरह से बुतुल अब्बास, शाह मोहम्मद समेत कई स्टूडेंट्स शामिल हैं। राज मनोहर ने हेक्सालैब के नाम कंपनी बनाई जिसका ऑफिस सिंगापुर में है।

वर्जन

आईआईटी कैंपस में इस समय 32 कंपनियां स्टूडेंट्स की रन कर रही हैं। करीब 30 कंपनिया कैंपस से पासआउट हो गई हैं। पास आउट कंपनियां के ऑफिस इंडिया से लेकर यूएसए तक में बन चुके हैं। कंपनिया यूएसए, यूरोप, मिडिल ईस्ट और एशियन कंट्रीज में कारोबार कर रही हैं। आईआईटी स्टूडेंट्स अब कंपनी बनाकर काम करने में काफी रुचि दिखा रहे हैं। कुछ बाहरी लोगों ने भी आईआईटी कैंपस के सिडबी सेंटर में कंपनी स्टेब्लिश की है।

प्रो। बीवी फनी, कैंपस सेंटर कोआर्डिनेटर