--राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने दिया ऐसे स्कूलों पर सख्ती बरतने का निर्देश

--निजी स्कूलों के लिए सख्त गाइडलाइन जारी करे सरकार

मुख्य सचिव को पत्र
आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस तरह की प्रताड़ना तथा भेदभाव पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार द्वारा निजी स्कूलों को सख्त गाइडलाइन जारी करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि आयोग को ऐसे कई मामले की शिकायतें मिली हैं, जिनमें अभिभावकों द्वारा फीस का भुगतान नहीं करने पर प्राचार्य या शिक्षकों द्वारा इसके लिए संबंधित छात्रों को प्रताडि़त किया जाता है। यह जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन है। प्रताड़ना से तंग आकर कुछ छात्र आत्महत्या करने जैसे कदम उठा लेते हैं।

फीस स्कूल और अभिभावक का मामला
आयोग के सदस्य ने यह भी कहा है कि शुल्क का मामला स्कूल और अभिभावकों के बीच का है। इसे दोनों को मिलकर निपटाना चाहिए। इसमें किसी भी हाल में छात्रों को बीच में नहीं लाना चाहिए। छात्र को बीच में लाने से उनपर मानसिक असर पड़ता है।

सभी डीईओ, डीएसई को अनुपालन का आदेश
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के निर्देश मिलने के बाद मुख्य सचिव ने इसका अनुपालन कराने का निर्देश स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को दिया है। विभाग ने हालांकि इसे लेकर अभी तक गाइडलाइन तो जारी नहीं किया है। लेकिन विभाग की संयुक्त सचिव सुचित्रा सिन्हा ने सभी क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों, जिला शिक्षा पदाधिकारियों तथा जिला शिक्षा अधीक्षकों को पत्र लिखकर आयोग के निर्देश का सख्ती से अनुपालन कराने को कहा है। बकायदा आयोग के पत्र की कॉपी भी इन सभी पदाधिकारियों को भेजी गई है।