वाशिंगटन (पीटीआई)। नींद की कमी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी से जुड़े दिमाग में ताऊ प्रोटीन के स्तर को बढ़ाकर अल्जाइमर रोग के खतरे को बढ़ा सकती है। अमेरिका में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि नींद न आना ब्रेन में ताऊ के टॉक्सिक क्लंप्स को बढ़ा देता है, जो बाद में दिमाग को डैमेज और डेमेंटिया जैसी बीमारी को पैदा कर देते हैं। जर्नल साइंस में प्रकाशित निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि नींद की कमी से बीमारी बढ़ जाती है और अच्छी नींद ब्रेन के स्वास्थ्य को सही बनाए रखने में मदद कर सकती हैं।

ब्रेन में पाया जाता है ताऊ

वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर डेविड होल्ट्जमैन ने कहा, 'इस रिसर्च से जुड़ी दिलचस्प बात यह है कि ये वास्तविक जीवन पर आधारित है और इससे पता चलता है कि नींद की कमी किसी व्यक्ति के दिमाग पर कितना जल्दी क्या असर डाल सकती है।' उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि नींद की समस्या और अल्जाइमर एमिलॉइड बीटा  (एक अलग अल्जाइमर प्रोटीन) से जुड़े हुए हैं लेकिन यह अध्ययन बताता है कि नींद की कमी से प्रोटीन ताऊ को तेजी से बढ़ने और समय के साथ फैलने में मदद मिलती है। ताऊ आम तौर पर ब्रेन में पाया जाता है, यहां तक ​​कि स्वस्थ लोगों में भी। कुछ कारण से यह एक साथ टंगल्स में टकराता है, जो आस-पास के टिश्यू को घायल कर देते हैं।

कम सोने वाले बुजुर्गों में यह बीमारी अधिक   

हाल के शोध से यह भी पता चला है कि ताउ उन वृद्ध लोगों में अधिक है जो कम सोते हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि नींद की कमी सीधे ताऊ के स्तर को बढ़ाती है या किसी अन्य से प्रभावित होती है। इस रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने चूहों और सामान्य समेत कम नींद लेने वाले लोगों को एकत्रित किया था। उन्होंने पाया कि ब्रेन की सेल्स के आसपास ताऊ का स्तर रात में लगभग दोगुना था, जबकि दिन के मुकाबले जानवर अधिक जागते और सक्रिय होते हैं। शोध के दौरान देखा गया कि दिन में चूहों को जब सोने नहीं दिया गया तब उनके ताऊ का स्तर दोगुना हो गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि एक रात की नींद खराब करने से ताऊ का स्तर लगभग 50 प्रतिशत बढ़ जाता है, जो बाद में अल्जाइमर के खतरे को आसानी से बढ़ा सकता है।

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