मदद तो बहाना है, माहौल जो बनाना है
 
हर तरफ बैनर-पोस्टर, सुबह से लेकर शाम तक सैकड़ों से नमस्ते-बंदगी, फेसबुक, ईमेल, वीआईपी मोबाइल नम्बर का जुगाड़ और न जाने क्या-क्या। सब कुछ वोट के लिए। यूनिवर्सिटीज, कॉलेजेज में यही सीन है स्टूडेंट पॉलिटिक्स का। अभी छात्रसंघ इलेक्शन की डेट आयी नहीं लेकिन नेता बनने का ख्वाब सजाए स्टूडेंट लीडर बन गए हैं। कैम्पस में अपनी जमीन तैयार करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। खुद को एक-दूसरे से आगे दिखाने के लिए एक से बढ़कर एक नायाब हथकंडे अपना रहे है। उन्हें रुपयों की भी कोई परवान नहीं है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सम्पूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी, हरिश्चंद्र पीजी कालेज, यूपी कॉलेज स्टूडेंट पॉलिटिक्स के रंग में रंग गए हैं. 

पहले बनायी टीम

नए सेशन के लिए कैम्पस के खुलते ही पॉलिटिक्स का मन बनाए स्टूडेंट लीडर बनने की तैयारी में जुट गए। जो पहले से राजनीति कर रहे थे उनकी टीम फास्ट हो गयी। जिन्होंने नयी-नयी नेतागिरी शुरू की उन्होंने सबसे पहले चार-छह स्टूडेंट्स की टीम बनायी और जुट गए माहौल बनाने में। टीम बनने के साथ ही तोडऩे का काम भी शुरू हो गया है। कोई स्टूडेंट सुबह एक लीडर की टीम में नजर आ रहा तो शाम तक दूसरा उसे हाईजैक करके अपनी टीम में शामिल कर ले रहा है.

हाथ मिलाने से लेकर पैर छूने तक

लगभग सभी यूनिवर्सिटीज और कॉलेजेज में अभी तक नए सेशन के लिए एडमिशन पूरे नहीं हुए हैं। लीडर्स के बीच में नये स्टूडेंट्स के बीच अपनी पहचान बनाने की होड़ सी लग गयी है। सुबह होते ही वह अपनी टीम के साथ कैम्पस के एक कोने से दूसरे कोने तक घूम रहे हैं। जहां कोई स्टूडेंट नजर आता है। तत्काल उसके पास पहुंच जा रहे हैं। गल्र्स को 'दीदी नमस्तेÓ से जुदा सम्बोधन नहीं होता है। लड़का है तो हाथ मिलाकर झट से अपना इंट्रोडक्शन दे रहे हैं। ऐसे में कोई पुराना स्टूडेंट मिल गया तो लीडर 90 डिग्र्री के एंगल पर झुकता है और उसका हाथ सीधे पैर तक पहुंचता है। मुंह से शब्द निकलते हैं, 'भइया इस बार आपके भरोसे चुनाव लड़ रहे हैं, आशीर्वाद दीजिए.Ó

मेंटेन हो रही डायरी

स्टूडेंट पॉलिटिक्स का सबसे अहम हथियार है डायरी। स्टूडेंट लीडर जिससे भी मिलता है उससे सपोर्टर नाम और एड्रेस लेना नहीं भूलते हैं। मोबाइल नम्बर तो सबसे जरूरी है। यह डायरी शुरू से लेकर इलेक्शन तक कैम्पेन करने में बेहद कारगर साबित होती है। मोबाइल नम्बर का यूज तीज-त्योहार पर बधाई संदेश से लेकर एकेडमिक इन्फॉर्मेशन देने तक में यूज होता है। किसी दिन तुरंत धरना-प्रदर्शन का प्लैन बन गया और भीड़ जुटानी है तो डायरी में मौजूद नम्बर ही काम आता है.

हर काम का दावा है

कैम्पस में अपनी मजबूत पकड़ दिखाने के लिए स्टूडेंट लीडर्स हर तरह का काम कराने का दावा कर रहे हैं। मनचाहे कोर्स में एडमिशन, डाक्यूमेंट की गड़बड़ी दूर करना, रिजल्ट निकलवाना, फीस जमा कराना, हॉस्टल का इंतजाम और कैम्पस से जुड़ा सब कुछ। वह स्टूडेंट को एहसास कराने से नहीं चूक रहे हैं कि सबसे अधिक जुगाड़ उनके पास है। ताकि स्टूडेंट को उससे बेहतर कोई और लीडर नजर न आए। अगर कोई स्टूडेंट किसी तरह का काम लेकर आता है तो भले ही काम हो या न हो, लीडर अपनी टीम के मेम्बर को उसके लिए फास्ट जरूर कर दे रहा है.

भाई माहौल बनाना है

अभी इलेक्शन का दूर-दूर तक पता नहीं है लेकिन माहौल बनाने के लिए स्टूडेंट लीडर्स ने पूरे सिटी को बैनर-पोस्टर से पाट दिया है। कैम्पस के आसपास छोटे-छोटे फ्लैक्स लगा दिये हैं। सिटी की हर बिजी रोड पर बड़े-बड़े बैनर लटका दिये हैं। सिटी की रोड किनारे मौजूद ऐसी कोई दीवार नहीं बची जिस पर किसी स्टूडेंट लीडर का नाम न लिखा हो। कैम्पस में कार्ड से लेकर पैम्फलेट बांटने का सिलसिला भी तेज हो गया है। इसके साथ डायरी, कैलेंडर भी बांटा जा रहा है। खर्च की परवाह किसी को नहीं है। अधिकतर स्टूडेंट लीडर्स अभी तक पचास हजार रुपये से ऊपर खर्च कर चुके हैं। इलेक्शन आते-आते ज्यादातर का बजट लाख-डेढ़ लाख रुपये पहुंच चुका होगा। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष जैसे प्रत्याशी का खर्च तो चार से पांच लाख तक पहुंचेगा. 

सही है सोशल नेटवर्किंग का फंडा

इतना सब कुछ करने के साथ स्टूडेंट लीडर सोशल नेटवर्किंग का फंडा भी अपनाने से नहीं चूक रहे हैं। हर किसी का ई-मेल है। इसे अपने बैनर-पोस्टर पर लिख रहे हैं। फेसबुक के माध्यम से स्टूडेंट्स तक पहुंच बना रहे हैं। अपने साथ कैम्पस से जुड़ी हर एक्टिविटी को इस पर अपडेट रखते हैं। कुछ तो यह काम खुद कर रहे हैं और कुछ दूसरों से करा रहे हैं। इसके लिए अपडेट करने वाले को सैलरी दे रहे हैं. 

जुगाड़ रहे वीआईपी नम्बर

स्टूडेंट्स के बीच अटै्रक्शन के लिए स्टूडेंट लीडर्स में वीआईपी मोबाइल नम्बर लेने की होड़ लग गयी है। लगभग हर किसी के पास एक से अधिक मोबाइल नम्बर है। उनका नम्बर ऐसा है कि अटै्रक्टिव दिखे और आसानी से याद हो सके। वीआईपी नम्बर लेने के लिए रुपये भी खर्च कर रहे हैं। स्पेशल मोबाइल नम्बर को लीडर के बैनर-पोस्टर पर जरूर लिखा रहे हैं. 

मदद तो बहाना है, माहौल जो बनाना है

 

हर तरफ बैनर-पोस्टर, सुबह से लेकर शाम तक सैकड़ों से नमस्ते-बंदगी, फेसबुक, ईमेल, वीआईपी मोबाइल नम्बर का जुगाड़ और न जाने क्या-क्या। सब कुछ वोट के लिए। यूनिवर्सिटीज, कॉलेजेज में यही सीन है स्टूडेंट पॉलिटिक्स का। अभी छात्रसंघ इलेक्शन की डेट आयी नहीं लेकिन नेता बनने का ख्वाब सजाए स्टूडेंट लीडर बन गए हैं। कैम्पस में अपनी जमीन तैयार करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। खुद को एक-दूसरे से आगे दिखाने के लिए एक से बढ़कर एक नायाब हथकंडे अपना रहे है। उन्हें रुपयों की भी कोई परवान नहीं है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सम्पूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी, हरिश्चंद्र पीजी कालेज, यूपी कॉलेज स्टूडेंट पॉलिटिक्स के रंग में रंग गए हैं. 

 

पहले बनायी टीम

 

नए सेशन के लिए कैम्पस के खुलते ही पॉलिटिक्स का मन बनाए स्टूडेंट लीडर बनने की तैयारी में जुट गए। जो पहले से राजनीति कर रहे थे उनकी टीम फास्ट हो गयी। जिन्होंने नयी-नयी नेतागिरी शुरू की उन्होंने सबसे पहले चार-छह स्टूडेंट्स की टीम बनायी और जुट गए माहौल बनाने में। टीम बनने के साथ ही तोडऩे का काम भी शुरू हो गया है। कोई स्टूडेंट सुबह एक लीडर की टीम में नजर आ रहा तो शाम तक दूसरा उसे हाईजैक करके अपनी टीम में शामिल कर ले रहा है।

 

हाथ मिलाने से लेकर पैर छूने तक

 

लगभग सभी यूनिवर्सिटीज और कॉलेजेज में अभी तक नए सेशन के लिए एडमिशन पूरे नहीं हुए हैं। लीडर्स के बीच में नये स्टूडेंट्स के बीच अपनी पहचान बनाने की होड़ सी लग गयी है। सुबह होते ही वह अपनी टीम के साथ कैम्पस के एक कोने से दूसरे कोने तक घूम रहे हैं। जहां कोई स्टूडेंट नजर आता है। तत्काल उसके पास पहुंच जा रहे हैं। गल्र्स को 'दीदी नमस्तेÓ से जुदा सम्बोधन नहीं होता है। लड़का है तो हाथ मिलाकर झट से अपना इंट्रोडक्शन दे रहे हैं। ऐसे में कोई पुराना स्टूडेंट मिल गया तो लीडर 90 डिग्र्री के एंगल पर झुकता है और उसका हाथ सीधे पैर तक पहुंचता है। मुंह से शब्द निकलते हैं, 'भइया इस बार आपके भरोसे चुनाव लड़ रहे हैं, आशीर्वाद दीजिए.Ó

 

मेंटेन हो रही डायरी

 

स्टूडेंट पॉलिटिक्स का सबसे अहम हथियार है डायरी। स्टूडेंट लीडर जिससे भी मिलता है उससे सपोर्टर नाम और एड्रेस लेना नहीं भूलते हैं। मोबाइल नम्बर तो सबसे जरूरी है। यह डायरी शुरू से लेकर इलेक्शन तक कैम्पेन करने में बेहद कारगर साबित होती है। मोबाइल नम्बर का यूज तीज-त्योहार पर बधाई संदेश से लेकर एकेडमिक इन्फॉर्मेशन देने तक में यूज होता है। किसी दिन तुरंत धरना-प्रदर्शन का प्लैन बन गया और भीड़ जुटानी है तो डायरी में मौजूद नम्बर ही काम आता है।

 

हर काम का दावा है

 

कैम्पस में अपनी मजबूत पकड़ दिखाने के लिए स्टूडेंट लीडर्स हर तरह का काम कराने का दावा कर रहे हैं। मनचाहे कोर्स में एडमिशन, डाक्यूमेंट की गड़बड़ी दूर करना, रिजल्ट निकलवाना, फीस जमा कराना, हॉस्टल का इंतजाम और कैम्पस से जुड़ा सब कुछ। वह स्टूडेंट को एहसास कराने से नहीं चूक रहे हैं कि सबसे अधिक जुगाड़ उनके पास है। ताकि स्टूडेंट को उससे बेहतर कोई और लीडर नजर न आए। अगर कोई स्टूडेंट किसी तरह का काम लेकर आता है तो भले ही काम हो या न हो, लीडर अपनी टीम के मेम्बर को उसके लिए फास्ट जरूर कर दे रहा है।

 

भाई माहौल बनाना है

 

अभी इलेक्शन का दूर-दूर तक पता नहीं है लेकिन माहौल बनाने के लिए स्टूडेंट लीडर्स ने पूरे सिटी को बैनर-पोस्टर से पाट दिया है। कैम्पस के आसपास छोटे-छोटे फ्लैक्स लगा दिये हैं। सिटी की हर बिजी रोड पर बड़े-बड़े बैनर लटका दिये हैं। सिटी की रोड किनारे मौजूद ऐसी कोई दीवार नहीं बची जिस पर किसी स्टूडेंट लीडर का नाम न लिखा हो। कैम्पस में कार्ड से लेकर पैम्फलेट बांटने का सिलसिला भी तेज हो गया है। इसके साथ डायरी, कैलेंडर भी बांटा जा रहा है। खर्च की परवाह किसी को नहीं है। अधिकतर स्टूडेंट लीडर्स अभी तक पचास हजार रुपये से ऊपर खर्च कर चुके हैं। इलेक्शन आते-आते ज्यादातर का बजट लाख-डेढ़ लाख रुपये पहुंच चुका होगा। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष जैसे प्रत्याशी का खर्च तो चार से पांच लाख तक पहुंचेगा. 

 

सही है सोशल नेटवर्किंग का फंडा

 

इतना सब कुछ करने के साथ स्टूडेंट लीडर सोशल नेटवर्किंग का फंडा भी अपनाने से नहीं चूक रहे हैं। हर किसी का ई-मेल है। इसे अपने बैनर-पोस्टर पर लिख रहे हैं। फेसबुक के माध्यम से स्टूडेंट्स तक पहुंच बना रहे हैं। अपने साथ कैम्पस से जुड़ी हर एक्टिविटी को इस पर अपडेट रखते हैं। कुछ तो यह काम खुद कर रहे हैं और कुछ दूसरों से करा रहे हैं। इसके लिए अपडेट करने वाले को सैलरी दे रहे हैं. 

 

जुगाड़ रहे वीआईपी नम्बर

 

स्टूडेंट्स के बीच अटै्रक्शन के लिए स्टूडेंट लीडर्स में वीआईपी मोबाइल नम्बर लेने की होड़ लग गयी है। लगभग हर किसी के पास एक से अधिक मोबाइल नम्बर है। उनका नम्बर ऐसा है कि अटै्रक्टिव दिखे और आसानी से याद हो सके। वीआईपी नम्बर लेने के लिए रुपये भी खर्च कर रहे हैं। स्पेशल मोबाइल नम्बर को लीडर के बैनर-पोस्टर पर जरूर लिखा रहे हैं.