केस - वन

राजेंद्र नगर की रहने वाली पारुल सिंह इंडेन कंपनी की कंज्यूमर है। ये गैस की बुकिंग ऑनलाइन ही कराती हैं। दो महीने पहले आईवीआरएस के जरिए गैस की बुकिंग कराते वक्त उनसे जीरो बटन प्रेस हो गया, जिससे उनका एलपीजी नंबर अब नॉन सब्सिडी में एक्टिवेट हो गया है। पारुल का कहना है कि अब उन्हें सब्सिडी नहीं मिलती है। इसकी शिकायत भी उन्होंने एजेंसी पर की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अब तो बिना सब्सिडी की गैस लेना मजबूरी बन गयी है।

केस - टू

इंद्रा नगर के चमन भी जीरो नंबर के शिकार को चुके हैं। खुद का बिजनेस होने के चलते यह अक्सर कंपनी के हेल्पलाइन के माध्यम से ही गैस की बुकिंग कराते हैं। अप्रैल में गैस की बुकिंग करते समय इनसे भी जीरो बटन प्रेस हो गया। चमन ने बताया कि अप्रैल से अब तक दो सिलेंडर ले चुके हैं, लेकिन दोनों की सिलेंडर पर सब्सिडी नहीं मिली। एजेंसी का कहना है कि आप सब्सिडी छोड़ चुके हैं। अब अलग फाइनेंशियल ईयर ही कुछ हो सकता है।

BAREILLY:

ये दो एग्जॉम्पल तो उन 148

लोगों का छोटा-सा किस्सा है, जो जल्दबाजी या फिर हड़बड़ाहट में गैस की सब्सिडी के लाभ से वंचित हो गए। तो फिर ध्यान रहे अगली बार आप भी ऐसी गलती न कर बैठें। अन्यथा, आप भी सब्सिडी से हाथ धाे बैठेंगे।

जीरो बटन दबने का पंगा

यह सारा खेल जीरो बटन का है। दरअसल, फोन से गैस की बुकिंग करते वक्त हिंदी और इंग्लिश में लैंग्वेज का ऑप्शन आता है। हिन्दी में जानकारी के लिए 2 और इंग्लिश में जानकारी के लिए 3 नंबर की बटन प्रेस करनी होती है। इसके बाद उपभोक्ता को संबंधित एजेंसी का कोड सहित लैंडलाइन नंबर या मोबाइल नंबर प्रेस करना होता है। तत्पश्चात ये नंबर मोबाइल पर रिवाइज होगा। नंबर सही होने पर एलपीजी उपभोक्ता ओके का बटन प्रेस करना होता है। फिर यहीं से शुरू हो जाता सब्सिडी गंवाने का सारा खेल। नॉन सब्सिडी, सब्सिडी, गैस की बुकिंग, आधार से लिंक, पोर्टेबिलिटी जैसे ऑप्शन आते हैं। इसी क्रम में अलग-अलग ऑप्शन के हिसाब से बटन भी प्रेस करने होते है। लेकिन, कई बार उपभोक्ता धोखे में 'जीरो' बटन प्रेश कर जा रहे है, जो कि सब्सिडी छोड़ने का ऑप्शन है।

साल भर इंतजार है ऑप्शन

एक बार गलती से सब्सिडी न लेने का बटन प्रेस हो जाने पर इसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। इसके लिए आपको फाइनेंशियल ईयर तक इंतजार करना होगा। नेक्स्ट फाइनेंशियल ईयर से ही आपको दोबारा सब्सिडी की बेनिफिट मिल पाएगी। इसके लिए उपभोक्ता को अपने डिस्ट्रिब्यूटर को सिर्फ एक लिखित अप्लीकेशन देनी होगी। एलपीजी कंपनियों का कहना है कि यदि एक बार जीरो बटन प्रेश हो गया जो उपभोक्ता की कोई शिकायत पर विचार नहीं होगा। ऐसा माना जाता है उपभोक्ता ने अपनी स्वेच्छा से ऐसा किया है।

चल रहा विचार

हालांकि, उपभोक्ताओं की मिल रही शिकायत पर इस बात पर विचार किया जा रहा है। कि उपभोक्ताओं से यदि गलती से सब्सिडी छोड़ देता है तो उसकी शिकायतों पर विचार करते हुए उसका समाधान किया जाए। एजेंसियों की ओर से बार-बार कंपनियों से इस संबंध में रिक्वेस्ट की जा रही है, लेकिन अभी तक इस संबंध में पेट्रोलियम मिनिस्ट्री और एलपीजी कंपनियों द्वारा कोई सर्कुलर जारी नहीं किया गया है। ऐसे में सर्कुलर आने तक उपभोक्ताओं के पास इंतजार करने के अलावा और दूसरा कोई ऑप्शन नहीं है।

रहें अलर्ट नहीं होगी चूक

कंपनियों द्वारा जारी हेल्प लाइन नंबर से गैस की बुकिंग कराने पर कंज्यूमर के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर तीन बार मैसेज अलर्ट आएगा। पहले गैस की बुकिंग के दौरान, दूसरा एजेंसी द्वारा बाउचर प्रिंट होने पर और तीसरा मैसेज गैस की डिलिवरी होने या कैंसिल होने की स्थिति में। छुट्टी के दिन भी गैस की बुकिंग करायी जा सकती है। ऐसे में जरूरत है तो बस गैस की बुकिंग करते वक्त ऑप्शन को ध्यान से सुनें और अपनी जरूरतों के अकॉर्डिग बटन को प्रेस करें। जल्दबाजी न करते हुए आप सब्सिडी को गंवाने से बच सकते हैं।

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बॉक्स

- शहर में एजेंसियों की संख्या - 21.

- उपभोक्ताओं की संख्या - 3 लाख।

- गलती से सब्सिडी छोड़ने वालों की संख्या - 148.

- स्वेच्छा से सब्सिडी छोड़ने वालों की संख्या- 350.

- 148 ने गंवाए करीब - 4,35,000 रुपए।

कंपनियों का हेल्प लाइन नंबर

इंडेन कंपनी - 9012554411

एचपी कंपनी - 9889623456

भारत कंपनी - 9457456789

नोट- संबंधित उपभोक्ता इन नंबर के माध्यम से गैस की बुकिंग कर सकते है।

यदि किसी ने गलती से भी सब्सिडी छोड़ दिए है तो उसे पूरे फाइनेंशियल ईयर तक वेट करना ही होगा। इसलिए जरूरी है कि गैस की ऑनलाइन बुकिंग करते वक्त सावधानी बरतें।

कैलाश गुप्ता, एरिया मैनेजर, इंडियन ऑयल

हेल्प लाइन नंबर पर गैस की बुकिंग कराते वक्त कई सारे ऑप्शन आते हैं। गलती से लोग जीरो बटन प्रेश कर दे रहे हैं, जिसके चलते लोगों की सब्सिडी छूट जा रही है।

रंजना सोलंकी, प्रेसीडेंट, डोमेस्टिक गैस डिस्ट्रिब्यूटर एसोसिएशन

मेरे यहां अभी तक इस तरह के 6 मामले आ चुके हैं। ऐसे उपभोक्ताओं को अगले फाइनेंशियल ईयर में ही राहत मिल सकती है। उनको इस साल सब्सिडी नहीं मिल सकेगी।

राजेश गुप्ता, प्रोपराइटर, एजेंसी