क्रिकेट की दुनिया में अपना मुकाम बना चुके सचिन तेंदुलकर जब शतकों का शतक लगाने के बेहद करीब हैं तभी उन्हें देश का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न देने की मांग ने जोर पकड़ ली है. वैसे यह मांग इंडिया के वर्डकप जीतने के बाद भी काफी जोर हो गई थी. आइये नजर डालते हैं भारत रत्न एवार्ड के उस पहलू पर जिसपर अबतक ज्यादा डिबेट नहीं हुई है.

'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा' और 'दिल्ली चलो' जैसे नारे देने वाले सुभाष चन्द्र बोस को 1992 में मरणोपरान्त भारत रत्न सम्मान से नवाजा गया. मगर सुप्रीम कोर्ट के आर्डर के बाद इसे वापस लेना पड़ा.  भारत रत्न एवार्ड्स की हिस्ट्री में ऐसा पहली बार हुआ था. दरअसल सुभाष चन्द्र बोस की डेथ एक मिस्ट्री है और कोई नहीं जानता है कि वे अभी जिन्दा हैं या नहीं.

माना जाता है कि नेताजी की डेथ 18 अगस्त 1945 को टोकियो जाते समय एक प्लेन क्रैस में हो गई थी. उनकी डेथ मिस्ट्री सुलझाने के लिये सरकार ने एक मुखर्जी आयोग बनाया. इस आयोग ने अपने 6 साल के इनवेस्टीगेशन के बाद ये पाया कि 18 अगस्त 1945 के बाद भी नेताजी सोवियतसंघ में कुछ साल जरूर रहे थे मगर फिर वहाँ उनके साथ क्या हुआ इसे जानने की दिलचस्पी इंडियन गवर्नमेंट ने नहीं दिखाई. रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस मुखर्जी खुद भी रूस गये लेकिन वहाँ की सरकार ने कोई सहयोग नही किया.