कुछ घंटों की मेहनत से कर ले रही हैं अच्छी कमाई

VARANASI : सोलर ऊर्जा को भविष्य की ऊर्जा का स्रोत माना जा रहा है। शहर के तमाम घरों को यह रोशन भी कर रही है। मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके जीवन को भी यह रोशन कर रही है। यह हैं शहर की कुछ महिलाएं जिन्हें 'मिलियन सोल योजना' के तहत ट्रेनिंग देकर सोलर लैंप असेंबल करने के काबिल बना दिया गया है। इस सौर ऊर्जा के सहारे ही अब ये महिलाएं भी स्वावलंबी बन चली हैं।

 

महिलाओं का ग्रुप कर रहा काम

सोलर लैंप असेंबल की ट्रेनिंग के बाद 26 महिलाओं का स्वयं सहायता समूह हर दिन लैंप बनाने का काम कर रहा है। मिलियन सोल योजना के तहत, 100 रुपये में बिकने वाले हर लैंप में असेंबल करने वाली महिला को 12 रुपये और वितरण करने वाली महिला को 17 रुपये मिलते हैं। हर महिला दिन में 20 लैंप बना लेती है। इस तरह दिन के कुछ घंटों की मेहनत से वह आराम से 240 रुपये कमा लेती है।

 

स्कूल-कॉलेजों में होता है वितरण

नेशनल लाइवलीहुड मिशन के तहत सोलर लैंप का वितरण स्कूल-कॉलेजों में किया जाता है। लैंप बिक्री से होने वाली आमदनी महिलाएं क्लस्टर ऑफिस में जमा कराती हैं और हर दिन उन्हें उनका मानदेय दे दिया जाता है। योजना का पहला क्लस्टर आराजी लाइन ब्लॉक के काशीपुर गांव में बनाया गया है।

 

यूं अपने पैरों पर खड़ी हुई महिलाएं

- 26 महिलाओं का समूह लगा है असेंबलिंग के काम में

- 9,722 सोलर लैंप दो महीने में वितरित कर चुकीं महिलाएं

- 11,000 लैंप बना चुकी हैं अब तक 26 महिलाएं

- 17 रुपये वितरण और 12 रुपये असेंबलिंग के मिलते हैं

- 2.81 लाख रुपये कमा चुकीं सोलर लैंप से

 

'महिलाओं को और स्वयं सहायता समूहों को ट्रेनिंग दी जा रही है। ताकि योजना के तहत उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सके.'

- गौरांग राठी, सीडीओ वाराणसी