यूपी के टॉप थ्री स्वच्छ शहरों की सूची से बाहर मेरठ

339वां स्थान मिला था मेरठ को पिछली बार

3 बार भाग ले चुका है स्वच्छता सर्वेक्षण में मेरठ नगर निगम

टॉप थ्री में गाजियाबाद, झांसी और मथुरा का हुआ चयन

100 शहरों की सूची में मेरठ नगर निगम को नाम आने की उम्मीद

बुधवार को घोषित होगी स्वच्छता सर्वेक्षण की रैकिंग लिस्ट

652 नगर निकाय प्रदेश के स्वच्छता सर्वेक्षण में हुए शामिल

4237 नगर निकाय देशभर के स्वच्छता सर्वेक्षण में हुए शामिल

64 लाख लोगों का शहर में कराया गया था फीडबैक

6 माह की कवायद का आज परिणाम आएगा सामने

Meerut। स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर नगर निगम की छह माह की कवायद का आज परिणाम सामने होगा। केंद्र स्तर पर आयोजित स्वच्छता सर्वेक्षण के रिजल्ट की दिल्ली में घोषणा की जाएगी। जैसा की उम्मीद की जा रही थी कि मेरठ नगर निगम के दावों से परे स्वच्छता सर्वेक्षण में मेरठ नगर निगम कुछ खास प्रदर्शन नही कर पाएगा वैसा ही हो रहा है। इस प्रतियोगिता के रिजल्ट के लिए यूपी से अंतिम टॉप थ्री नगर निगम के जो नाम भेजे गए हैं उनमें मेरठ का नाम शामिल नही है। ऐसे में अब मेरठ के लिए टॉप 100 में चयनित होने की एक आखिरी उम्मीद बच गई है। अब टॉप 100 में से मेरठ किस स्थान पर आएगा यह बुधवार को साफ हो जाएगा।

टॉप 100 की उम्मीद पर टिका मेरठ

स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रदेश के कुल 652 नगर निकायों समेत देश भर के कुल 4237 निकायों को शामिल किया गया था। सर्वेक्षण में करीब 64 लाख लोगों के फीडबैक के बाद बुधवार को देश के सबसे स्वच्छ निगम, निकाय और पंचायत का नाम घोषित किया जाएगा। जैसा की उम्मीद की जा रही थी कि मेरठ निगम का भी इसमें नाम शामिल होगा वैसा नही हो सका। मंगलवार को इस रिजल्ट के प्रदेश के तीन सबसे स्वच्छ निगमों के नाम भेजे गए जिनमें मेरठ शामिल नही हुआ। इस सूची में गाजियाबाद, झांसी और मथुरा को चयनित किया गया है। अब मेरठ के लिए केवल टॉप 100 ही एक उम्मीद बची है।

खोखले दावे, सीमित अभियान

गत वर्ष शुरु हुए स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान के लिए निगम ने सभी मानकों में शत प्रतिशत सफलता के खोखले दावे किए थे। लेकिन एक भी दावा पूरा नही कर सके। नगर निगम प्रशासन ने अगर सही से काम किया होता तो इस स्वच्छता सर्वेक्षण में मेरठ को सफलता मिल सकती थी लेकिन ऐसा नही हुआ जिसके कई कारण है। जिनमें शहर की सफाई में कोई सुधार ना होना, न ही डोर-टू- डोर कूड़ा उठाने, कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाने, हर घर में शौचालय बनवाने से लेकर ओडीएफ फीडिंग में लापरवाही शामिल रही। जन समस्याओं का निस्तारण भी निगम में नहीं हो रहा है। इन सभी बिंदुओं पर निगम को इस बार पिछले साल की रैंक से भी कम रैंक पर संतुष्ट होना पड़ सकता है। ये कुछ ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु थे जिन पर निगम को अंक प्राप्त करने थे।

गत वर्ष 339 इस बार क्या

स्वच्छता सर्वेक्षण में मेरठ नगर निगम तीन बार भाग ले चुका है। पिछले साल स्वच्छता सर्वेक्षण में मेरठ को 339वां स्थान मिला था। गत वर्ष 2018 में 4 जनवरी से 10 मार्च तक चले स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रचार प्रसार से लेकर तरह-तरह के तरीके अपनाने के बाद भी मेरठ को स्वच्छता में अन्य शहरों के सामने हार का सामना करना पड़ा था। इस सर्वेक्षण में 4203 शहरों को शामिल किया गया था। जबकि इस बार 4237 शहर शामिल हैं।

निगम के दावे सिर्फ कागजों तक सीमित रहते हैं असल में काम नही हुआ इसलिए शुरु से ही यह स्पष्ट था कि सर्वेक्षण में निगम का अच्छा रिजल्ट नही आएगा।

अब्दुल गफ्फार, पार्षद

केवल भाजपा शासित वार्डो तक ही स्वच्छता सर्वेक्षण का दिखावा किया गया। असल में जिन वार्डो को स्वच्छता की जरुरत थी उनमें निगम की टीम पहुंची ही नही। इसलिए फीड बैक भी गिने चुने वार्डो तक ही सीमित रहा।

धर्मवीर सिंह, पार्षद

अवस्थापना निधि में मेरठ का एक सेंट्रल मार्केट पास किया गया था, बावजूद इसके गत तीन माह में निगम द्वारा किसी प्रकार का काम मार्केट को विकसित करने में नही किया गया। कुछ खास वार्डो तक ही निगम का पूरा ध्यान रहा।

नरेंद्र राष्ट्रवादी, पार्षद

स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर करोड़ों का बजट तो खर्च किया गया लेकिन काम उसकी तुलना में 10 प्रतिशत भी नही हुआ है। यदि निगम बजट के अनुरुप काम करता तो शायद हम टॉप फाइव तक तो पहुंच ही जाते।

अजित शर्मा