आपकी सिटी के युवाओं में सुसाइडल टेंडेंसी तेजी से बढ़ रही है। पिछले 24 घंटे में तीन युवाओं ने मौत को गले लगा लिया। वहीं, एक वीक के आंकड़ों पर गौर करें, तो आधा दर्जन युवाओं ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली है। ये चौंकाने वाले आंकड़े ज्यादातर टीनएजर्स से जुड़े हैं, जो देश के भविष्य हैं और छोटी-छोटी बातों पर अपनी जिंदगी गंवा रहे हैं। ऐसे में इस मुद्दे पर दैनिक जागरण आइनेक्स्ट ने एक परिचर्चा का आयोजन किया, जिसमें साइकियाट्रिस्ट, सोशल वर्कर्स, प्रशासकीय पदाधिकारी, एजुकेशनिस्ट, स्टूडेंट्स आदि ने अपनी राय बेबाकी से रखी। कहा-छोटी-छोटी बातों पर जान से खेल रहे युवा। इसके पीछे ओवर एक्सपेक्टेशन, खुद को दूसरे से कम्पेयर करना, अकेलापन आदि प्रमुख कारण हैं। जिंदगी को गले लगाने और डिप्रेशन को दूर भगाने की जरूरत है। । ओवर एक्सपेक्टेशन से डिप्रेशन खुद को खत्म कर लेना दूसरे लोगों को परेशान करना है। अगर किसी तरह की कोई परेशानी है तो उससे लड़ने की जरूरत है। आजकल खासकर युवा वर्ग इतना ओवर एक्सपेक्टेशन रखता है कि वो पूरा नहीं होने के कारण डिप्रेशन में चला जाता है। साथ ही पैरेंट्स की अपेक्षा भी कहीं ना कहीं इसके लिए जिम्मेवार है। इसलिए जरूरी है कि पैंरेंट्स पहले अपने बच्चों की काउंसिलिंग करें और उनको मजबूत बनाएं, ताकि वो हर परिस्थिति से लड़ने को तैयार हों। जीवन में फेल करने के बाद पास करना बहुत आसान है। जो कोशिश करते हैं वही फेल होते हैं और दोबारा पास होते हैं। बड़ी विभूतियों ने भी असफलता झेल कर ही सफलता पाई है। -गणेश रेड्डी, सीईओ, सिटीजन फाउंडेशन खुद को जानें, कम्पेयर न करें अक्सर हमलोग देखते हैं कि ठंड के मौसम में लोगों में सुसाइड टेंडेंसी बढ़ जाती है। इसका एक कारण और भी है कि लोग जिस तरह की सोसायटी में रहते हैं उनको वहां भी खुद को लेकर काम्पलेक्स होता है। इसलिए भी ऐसा रास्ता अपनाते हैं। इसलिए जरूरी है कि हर किसी को खुद के बारे में और अपने बैंकग्राउंड के बारे में जानना जरूरी है। वो कम्पेयर ना करें और हर स्थिति से लड़ने के लिए तैयार रहें। -डॉ अजय कुमार, सोशल वर्कर परिस्थितियों से जूझना सिखाएं आज कल जो युवा सुसाइड कर रहे हैं, उसके कई कारण हो सकते हैं। लेकिन ऐसे डिसीजन से उनके साथ परिवार के लोग सफर करते हैं। इसके लिए जरूरी है कि अपने बच्चों को हमेशा केयर में रखें, उन पर नजर बनाए रखें। साथ ही उनको इतना मजबूत बनाएं कि कठिन परिस्थतियां आने पर घबराने के बजाय उसको चुनौती के रूप में ले। -मनोज कुमार, डीसी, रांची । ओवर एक्सेपेक्टेड ना बनें आज-कल के युवा ओवर एक्सपेक्टेड हैं। उनको हर चीज में अचीवमेंट और गोल करने की जल्दी है। जबकि ऐसा कभी नहीं होता है। हर कुछ को पाने के लिए समय देना होता है। बहुत सारी चीजों में एक बार में सफलता नहीं मिलती है, लेकिन दूसरी बार में मिलती है। हर किसी को खुद से जूझ कर निकलने के लिए तैयार रहने की जरूरत है। बहुत सफल लोगों ने भी समय देने के बाद ही सफलता पाई है। -कुलदीप द्विवेदी, एसएसपी, रांची मौसम का प्रभाव ठंड के सीजन में युवा अधिक सुसाइड करते हैं। यह टेंडेंसी बहुत दिनों से है। वजह बदलते मौसम में अपने मन पर पड़ने वाले प्रभाव को कंट्रोल नहीं कर पाना है। एक-दूसरे से कम्पेयर करना भी एक वजह है। ठंड के मौसम में उसके दोस्तों ने महंगा गर्म कपड़ा खरीदा, वो पुराना पहन रहा है। इस तरह की बात भी कम उम्र के लोगों के मन में लग जाती है। साथ ही जो लोग आइसोलेटेड रहते हैं। वैसे लोग इस तरह का डिसीजन अधिक लेते हैं। -संजय कुमार मुंडा, प्रोफेसर, सीआईपी, रांची अकेलापन घातक इस सीजन में लोग अधिक सुसाइड करते हैं। ठंड के समय में मन पर भी अधिक प्रभाव होता है और वो कंट्रोल नहीं कर पाते हैं। इसलिए भी ऐसा डिसीजन लेते हैं। इसके लिए जरूरी है कि वो अकेले ना रहें। क्योंकि मन में कोई विचार आने पर उसको रोकने के लिए लोगों के बीच ही रहना होगा। -डॉ अमूल रंजन, एक्स डायरेक्टर, रिनपास असफलता से घबराएं नहीं जीवन में जिस तरह की भी समस्या आती है, उसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए। हर कोई एक जैसा नहीं होता है इसलिए कम्पेयर करने की जरूरत नहीं है। जिसमें जितनी क्षमता होती है उसका यूज करे और खुद पर विश्वास रखे कि आपके सामने जो परेशानी है, वो जीवन का एक पार्ट है। असफलता से घबराने की जरूरत नहीं है। -रेणु कुमार, एचओडी, साइकोलॉजी डिपार्टमेंट, आरयू सफलता के कई मौके हर कोई अपने जीवन में अगर सफल है, तो उसका फैमिली बैकग्राउंड और मेहनत है। हर किसी के जीवन में सफल होने के बहुत सारे मौके आते हैं, इसलिए कुछ असफलताओं से डरने की जरूरत नहीं है। हमलोगों ने भी अपने जीवन में बहुत सारी असफलताओं को झेला है, लेकिन कभी भी घबराया नहीं, बल्कि उसे चुनौती के रूप में लिया। -अश्रि्वनी राजगढि़या अच्छा व बुरा, जीवन के पहलू छात्र जीवन से ही हमें बताया जाता है कि जीवन के दो पहलू हैं। एक अच्छा और दूसरा खराब। इसलिए जिस तरह अच्छे को एक्सेप्ट करते हैं, उसी तरह खराब को भी एक्सेप्ट करें। जब इसको अपने जीवन में उतार लेंगे, तो परेशानी नहीं होगी। -भारत भूषण चैलेंज को दूर करें अगर चुनौती स्वीकार कर उसे दूर करने के लिए काम करते हैं, तो कभी परेशानी नहीं आती है। चुनौती को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है, बल्कि उसके निदान के लिए काम करने की जरूरत है। अगर काम करते हैं तो अकेलापन भी कभी नहीं आएगा और परेशानी भी दूर हो जाएगी। कुणाल यादव पढ़ाई का दबाव न लें जीवन में बहुत सारी चुनौतियों को हमने भी झेला है, लेकिन उसके बारे में सोचने के बजाय उसे दूर करने के लिए काम किया। छात्र जीवन में भी पढ़ाई का प्रेशर होता है, लेकिन उसे प्रेशर कभी नहीं माना। उसे पढ़ाई का एक हिस्सा ही समझ कर पढ़ाई की। आशिका जैन हर समस्या का समाधान परेशानियों को चैलेंज के रूप में लेकर मैं काम कर रहा हूं। इसको अपने काम का ही एक पार्ट्र लेकर पूरा करने में मजा आता है। जब परेशानी खत्म करते हैं, तो मजा भी आता है। काम में ही इतना अधिक व्यस्त होते हैं कि कुछ सोचने की जरूरत ही नहीं है। -देवेश जैन