कई बार दे चुका था पत्‍‌नी को जान से मारने की धमकी

ALLAHABAD: पत्‍‌नी का गला घोंट कर उसे मौत की नींद सुलाने के बाद एक युवक ने सोमवार की रात खुद भी फांसी लगा ली। सुबह मां को बुलाने के लिए कमरे में गई बेटी दोनों को काफी आवाज दी। जब कोई कुछ नहीं बोला तो वह खबर अपने बाबा को दी। कमरे में पहुंचे परिजन दोनों के शव को देख दहाड़े मार कर रो पड़े। दिल दहला देने वाली यह घटना घूरपुर थाना क्षेत्र के बरौली गांव की है।

अक्सर दिया करता था धमकी

बरौली गांव निवासी दिलीप कुमार (35) पुत्र देवराज गांव में ही टेलरिंग शॉप चलाता था। करीब चार साल पहले उसकी शादी सुनीता से हुई थी। दोनों में अक्सर विवाद हुआ करता था। दिलीप आए दिन गला दबाकर पत्‍‌नी को जान से मारने की धमकी दिया करता था। सोमवार की रात अखिरकार उसने अग्नि को साक्षी मान कर सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा तोड़ ही दिया। कमरे में सो रही पत्नी का गला दबा उसने हत्या कर दी। इसके बाद खुद भी फांसी लगा कर खुदकुशी कर लिया। सुबह बड़ी बेटी मानसी (06) बिस्तर से उठी और मां को बुलाते ही उसके कमरे में पहुंच गई। वहां उसकी मां जमीन पर पड़ी थी। काफी बुलाने के बाद भी जब उसकी मां कुछ नहीं बोली तो वह रोते हुए पिता दिलीप को देखने लगी। दिलीप का शव फांसी के फंदे से लटक रहा था। यह देखकर वह बाबा देवराज के पास पहुंची और स्थिति की जानकारी दी। उसकी बात सुनते ही देवराज व अन्य परिजन भागकर उसके कमरे में पहुंचे। कमरे में दोनों का शव देख वे चीख-चीख कर रोने लगे। रोने की आवाज सुनकर पहुंचे लोगों ने सूचना पुलिस को दी। खबर मिलते ही एसओ घूरपुर हमराहियों के साथ मौके पर पहुंच गए। उन्होंने बताया कि महिला के गले पर चोट व गला दबाने जैसा काला निशान था। दोनों के शव को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया है।

'मम्मी पापा को क्या हुआ दीदी'

नम आंख लिए तीन मासूमों का क्या होगा? यह बात सोच कर ग्रामीण काफी चिंतित नजर आए। घटना से अनजान मृतकों के दो बेटे अमन (05) व हिमांशु (03) अपनी बड़ी बहन मानसी 6 वर्ष पूछते रहे कि मम्मी पापा को क्या हुआ दीदी। हालात को पूरी तरह समझ चुकी मानसी दो भाइयों के इस सवाल को सुन कर निरुत्तर एक कोने सुबकती रही।

परिजनों ने बताया है कि करीब एक वर्ष से दिलीप का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था। अन्य बिन्दुओं पर भी जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही केस में कुछ कहा जा सकता है। घटना की वजह पारिवारिक कलह है या फिर कुछ और, पता लगाया जा रहा है।

ओम शंकर शुक्ला,

एसओ घूरपुर