तीन वर्ष पूर्व किला नदी में मिली थी भाई की लाश, 6 लोगों पर लगाया था हत्या का आरोप

-डॉक्टर को मिल रही थी धमकी, केस लड़ते-लड़ते हो गया कर्ज, मकान भी बेचना पड़ा

BAREILLY: पुलिस किस तरह से बड़े-बड़े मामलों को पेंडिंग लिस्ट में डाल देती है कि लोग थाना, अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर लगाकर थक जाते हैं। पुलिस के इसी ढुलमुल रवैया के चलते एक डॉक्टर ने परेशान होकर सुसाइड कर लिया। होम्योपैथिक डॉक्टर पिछले तीन वर्ष से भाई के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए पुलिस के चक्कर लगा रहा था, लेकिन पुलिस हत्या ही मानने को तैयार नहीं थी। भाई को न्याय दिलाने में उस पर कर्ज हो गया और मकान भी बिक गया। उसे लगातार धमकियां मिलीं। वह डिप्रेशन का शिकार हो गया। अब डॉक्टर की मां भी अकेले पड़ गई है, क्योंकि एक-एक कर उसके पति और तीनों बेटों की उसकी आंखों के सामने मौत हो गई। जब आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई तो मां फूट-फूटकर रोने लगी तो उसने बेटे का पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।


चौकी के सामने था क्लीनिक

30 वर्षीय रविंद्र सक्सेना, चाहबाई, प्रेमनगर में रहने वाला था। उसकी परिवार में मां सर्वेश सक्सेना, दो बहन मोनिका और मोनी हैं। उसके पिता की वर्ष 2002 में हार्टअटैक से मौत हो गई थी। उसके बड़े भाई सोनू की वर्ष 2008 में एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। रविंद्र का कोहाड़ापीर पुलिस चौकी के सामने होम्योपैथिक क्लीनिक था। वह छोटे भाई मोहित उर्फ मोना के साथ क्लीनिक चलाता था। वर्ष 2015 में जुआ खेलने के दौरान मोहित की हत्या हो गई थी। उसका शव समाधि गौटिया के पास किला नदी में मिला था। रविंद्र ने उसके ही 6 दोस्तों पर हत्या करने का आरोप लगाया था। प्रेमनगर थाना में एफआईआर दर्ज हुई थी और वर्तमान में केस क्राइम ब्रांच में चल रहा था।


मां से झगड़े के बाद किया सुसाइड

मां सर्वेश सक्सेना ने बताया कि रविंद्र, शराब पीने का आदती हो गया था। उसने 15 दिन से दुकान नहीं खोली थी। 15 दिन बाद सैटरडे को दो बार दुकान खोली और उसके बाद शराब लाकर पी ली। वह सुबह भी 500 रुपए शराब के लिए मांग रहा था, लेकिन उनके पास रुपए नहीं थे। जिसके बाद नशे में बेटे ने उनसे झगड़ा किया। वह 10 मिनट के लिए घर से बाहर गई। वह वापस आई तो देखा कि रविंद्र पंखे से लटका हुआ है। उन्होंने तुरंत शोर मचाया तो मोहल्ले वाले आए और उसे नीचे उतारा, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। सूचना पर पुलिस पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने लगी तो मां को गुस्सा आ गया। वह बोली अब पोस्टमार्टम से क्या होगा जब एक बेटे को पुलिस न्याय नहीं दे सकी। पुलिस से नोकझोंक भी हुई लेकिन बाद में पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के ि1लए भेजा।


नदी के पानी को ही बना दिया जहरीला

डॉक्टर रविंद्र की मौत पर परिजनों का आरोप है कि मोहित की हत्या के बाद से रविंद्र लगातार पुलिस थानों और अधिकारियों के ऑफिस के चक्कर लगा रही थी। पुलिस शुरू से ही इस केस में लीपापोती कर रही थी। पहले पुलिस ने इसे डूबने से स्वाभाविक मौत बता दिया। तत्कालीन इंस्पेक्टर देवेश सिंह पर आरोपियों के बचाने के आरोप लगे। किसी तरह से पुलिस ने हत्या की एफआईआर दर्ज तो की लेकिन पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट न होने से विसरा रिपोर्ट के आने के इंतजार के बहाने केस पेंडिंग में डाल दिया। जब विसरा रिपोर्ट आयी तो जहर से मौत की पुष्टि हुई, लेकिन पुलिस ने किला नदी के पानी को ही जहरीला बता दिया। उसके बाद पानी का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया, लेकिन उसमें जहर नहीं आया तो केस क्राइम ब्रांच ट्रांसफर हो गया। क्राइम ब्रांच भी लंबे समय से केस को लटकाए रही, लेकिन न तो केस फाइनल किया और न ही किसी की गिरफ्तारी। दो दिन पहले क्राइम ब्रांच से फोन तो आया था, लेकिन रविंद्र ने जाने से ही इनकार कर दिया।


लाखों रुपए का हाे गया कर्ज

भाई को न्याय दिलाने में डॉक्टर पर लाखों रुपए का कर्ज हो गया। नौबत यहां तक आ गई कि उसने 15 दिन पहले मकान का आधा हिस्सा भी साढ़े 7 लाख रुपए में बेच दिया, जिसमें से 5 लाख 20 हजार रुपए कर्ज जमा किया। 1 लाख 80 हजार रुपए चेक से बैंक में जमा कर दिए। 50 हजार नकद मिले तो वह परेशान होकर शराब पीने में उड़ा दिए।


लगातार मिल रही थी धमकी

भाई के हत्यारोपियों को पकड़वाने के लिए लगातार प्रयास करने के चलते ही रविंद्र के कई दुश्मन बन गए थे। मां ने बताया कि बेटे को लगातार धमकी मिल रही थीं। कई बार आरोपी उनका रास्ता भी रोक चुके थे। इसी डर के चलते 15 दिन से क्लीनिक नहीं खोला था। रविंद्र ने 4 दिन से खाना भी नहीं खाया था।


अब कोई नहीं बचा सहारा

बेटे के चेहरे को पकड़कर मां बार बार रोते हुए कह रही थी कि अब उनका कोई भी सहारा नहीं बचा है। पति और दो बेटे पहले ही नहीं रहे थे और अब डॉक्टर बेटा भी उन्हें छोड़कर चला गया। अब सिर्फ उनकी बेटियां ही सहारा रह गई हैं। रविंद्र ने भाई को न्याय न मिलने तक शादी न करने की कसम खाई थी। मां ने कई बार उससे शादी करने के लिए कहा था, लेकिन वह हर बार इनकार कर देता था।


गोपनीय कार्यालय की भी शिकायतें पेंडिंग

पुलिस थानों में विवेचनाएं और प्रार्थना पत्र लंबे समय से पेंडिंग चलते रहते हैं और लोग बार-बार थाने के चक्कर लगाकर थक जाते हैं। थाने से उम्मीद टूटने पर लोग सीनियर अधिकारियों से शिकायतें करते हैं। कोई एडीजी तो कोई आईजी तो कोई एसएसपी आवास में जाकर शिकायत करता है। इन शिकायतों को गोपनीय विभाग में भेजा जाता है, लेकिन गोपनीय विभाग में पहुंचने वाली शिकायतें भी पेंडिंग पड़ी रहती हैं। एसएसपी के गोपनीय कार्यालय में आयीं 41 शिकायतें अभी भी पेंडिंग चल रही हैं। थानों में इन्हें पेंडिंग में डाल दिया गया, जिससे लोगों ने उम्मीद छोड़ दी। कई शिकायतें तो डेढ़ वर्ष से पड़ी हैं। संडे को एसएसपी के निर्देश पर विवेचना दिवस में ऐसे ही प्रार्थना पत्रों का निस्तारण कराया गया।

 

-नढि़या खेड़ा, आंवला निवासी नेकपाल की शिकायत 22 फरवरी 2017 से पेंडिंग है

-फतेहगंज पश्चिमी की शबनम की शिकायत 7 अप्रैल 2017 से पेंडिंग है

-बसंत विहार निवासी शालिनी उर्फ सायमा की शिकायत 21 जनवरी 2017 से पेंडिंग है

-बारादरी निवासी सुरेश पाल की शिकायत 17 फरवरी 2017 से पेंडिंग है

-इस्लाम नगर बहेड़ी निवासी नसीम अहमद की शिकायत 13 मई 2017 से पेंडिंग है

 

अनिकेत रस्तोगी का केस भी पेंडिंग

जिस तरह से मोहित सक्सेना का केस 3 वर्ष से पेंडिंग चल रहा है, उसी तरह से किला के रहने वाले अनिकेत रस्तोगी का केस भी पेंडिंग चल रहा है। अनिकेत मई 2015 में अपने दोस्तों के साथ बीआई बाजार आया था। यहां अचानक उसकी तबीयत खराब हो गई थी और उसकी प्राइवेट हॉस्पिटल में मौत हो गई थी। परिजनों ने अनिकेत की हत्या का आरोप लगाते हुए दोस्त के खिलाफ 7 जुलाई 2016 को कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में परिजनों ने पोस्टमार्टम नहीं कराया था। बावजूद इसके कैंट पुलिस केस को पेंडिंग डाले है।

 

डॉक्टर ने सुसाइड किया है, उसके भाई की हत्या का केस मेरे संज्ञान में नहीं था। यदि उसने भाई की वजह से सुसाइड किया है तो भाई के केस की जांच कराई जाएगी। फॉरेंसिक जांच की वजह से पेंडेंसी होगी तो इसे भी चेक कराया जाएगा।

कलानिधि नैथानी, एसएसपी