- मंडे को दून में सुसाइड के दो मामले आए सामने

- एक ने डिप्रेशन दूसरे ने डांटे जाने पर दे दी जान

देहरादून, कच्ची उम्र में भी इस कदर तनाव में हैं कि वे इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहे और आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। मंडे को दून में ऐसी दो घटनाएं सामने आईं। क्लेमेंट टाउन में 14 वर्ष के एक नाबालिग बच्चे ने फंदे से लटक कर खुदकुशी कर ली तो वहीं प्रेमनगर में 19 वर्षीय एक लड़की ने विषाक्त पदार्थ खाकर सुसाइड कर लिया।

मां ने डांटा तो फंदे से लटक गया

थाना क्लेमेंट टाउन पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक सुबह करीब 8 बजे सूचना मिली की नागल बुलंदवाला दूधली में नाबालिग ने फंदे से लटककर जान दे दी है। सूचना मिलते ही पुलिस घटना स्थल पहुंची और शव को कब्जे में लिया, जिसके बाद पुलिस ने परिजनों से मौत के वजह जाननी चाही तो मृतक बच्चे की मां ने बताया कि स्कूल जाने के लिए डांटने पर वह नाराज हो गया था। इतनी सी बात पर उसने कमरे में जाकर पंखे से लटककर खुदकुशी कर ली।

डिप्रेशन के चलते खा लिया जहर

दूसरे मामले में प्रेमनगर पुलिस ने बताया कि प्रेमनगर के सुभारती अस्पताल से उन्हें एक डैथ मेमो प्राप्त हुआ। जिसमें 19 वर्षीय लड़की की जहर खाकर खुदकुशी करने की सूचना थी। पुलिस अस्पताल पुहंची और शव को कब्जे में लेकर परिजनों से पूछताछ की। परिजनों ने बताया कि लड़की लंबे समय से डिप्रेशन में थी, जिसका इलाज चल रहा था। रात को उसने कीटनाशक दवा खा ली, उसे अस्पताल लाया गया लेकिन उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।

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पहले भी आए ऐसे कई मामले

26 अप्रैल -केस -1

थाना कोतवाली में एक निजी इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाली छात्रा ने फेसबुक वॉल पर सुसाइड नोट लिखा, बताया कि वह अपना जीवन समाप्त करना चाहती है। पुलिस ने तफ्तीश की तो उसकी लोकेशन हैदराबाद में ट्रेस हुई। पुलिस अभी तक उसे बरामद नहीं कर पाई है।

26 जुलाई 2016 -केस 2

प्रेमनगर के झाझरा में 14 वर्षीय नाबालिग ने छत से कूदकर खुदकुशी कर ली थी। पुलिस ने परिजनों से पूछताछ की तो पता चला कि मम्मी-पापा के डांटने पर वह नाराज हो गया और छत से कूद गया।

22 मार्च 2018- केस 3

राजपुर थाना इलाके के आईटी पार्क के पास एक स्कूल की छात्रा ने फंदे से लटकर खुदकुशी कर ली थी।

15 सितंबर 2016 -केस 4

राजपुर के जाखन में रहने वाली 12 वीं की छात्रा ने खुदकुशी कर ली थी।

14 मार्च 2013- केस 4

देहरादून के कौलागढ़ में मां की डांट के बाद लड़की फंदे से लटक गई।

साइकोलॉजिस्ट्स की सलाह

- बच्चों को पर्याप्त समय दें, उन्हें अकेला महसूस न होने दें।

- परिवार में दोस्ताना माहौल बनाकर रखें।

- बच्चा परेशान दिखे तो उससे बात करें, उसकी परेशानी जानें।

- तनाव या डिप्रेशन जैसी स्थिति में मनोचिकित्सक से संपर्क करें।

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छोटी उम्र में आत्महत्या जैसा कदम उठाने के पीछे कहीं न कहीं माता पिता की भी जिम्मेदार हैं। मां-बाप अपने बच्चों को समय ही नहीं दे पाते। वे अपनी नौकरी-पेशे में व्यस्त रहते हैं और बच्चा अकेलेपन का शिकार हो जाता है। ऐसे में वह अपनी परेशानी किसी से शेयर नहीं कर पाता और डिप्रेशन में चला जाता है। ऐसे में वह कई बार आत्महत्या जैसे कदम उठा लेता है।

- डॉ। मुकुल शर्मा, साइकोलॉजिस्ट।