-स्टील सिटी में बढ़ रहे हैं सुसाइड के मामले

-45 साल तक के एज ग्रुप वाले लोगों की संख्या 73

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JAMSHEDPUR: इस साल शहर के 9ख् लोगों ने आत्महत्या कर ली। इनमें ब्भ् साल तक के एज ग्रुप वाले लोगों की संख्या 7फ् है। सुसाइड करने वालों में फ्भ् महिलाएं और भ्7 पुरुष शामिल हैं। इस साल के मई तक म्8 लोगों ने फांसी लगाकर जान दे दी। 0म् लोगों ने नदी या तालाब में डूब कर, 0भ् लोगों ने चलती ट्रेन के आगे कूदकर, 0भ् लोगों ने जहर खाकर, 0फ् लोगों ने सेल्फ इमलेशन और 0भ् लोगों ने अन्य दूसरे तरीकों से जिंदगी को होम कर दिया। सबसे चौंकाने वाली बात है कि सड़क दुर्घटना में होने वाली मौत संख्या से कहीं ज्यादा सुसाइड से लोग मर रहे हैं। पुलिस रिकॉर्ड की मानें तो इस साल सड़क दुर्घटना में मरनेवालों की संख्या करीब भ्0 है।

किस महीने कितने सुसाइड

जनवरी में क्फ्, फरवरी में क्ब्, मार्च में 0म्, अप्रैल में ख्फ् और मई महीने में क्ख् लोगों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जबकि जनवरी में 0ख्, फरवरी में 0क्, मार्च में 0क्, अप्रैल में 0क् और मई में 0क् लोगों ने नदी, तालाब में डूबकर जान दे दी।

इसलिए दी जान

पारिवारिक विवाद में क्8, जेनरल इलनेस में 0ब्, मेंटल इलनेस में 0ब्, एग्जामिनेशन रिलेटेड 0ख्, लव अफेयर 0फ्, फाइनेंसियल प्रॉब्लम 0ब्, अनइंप्लॉयमेंट 0ब्, डॉरी रिलेटेड 0ख्, स्ट्रेस 0फ्, डिप्रेशन 0फ् और अन्य कारणों से ब्भ् लोगों ने सुसाइड किया।

सात स्टूडेंट ने इस साल की आत्महत्या

इस साल मई तक सात स्टूडेंट्स ने मौत को गले लगा लिया। इसमें लड़के चार और लड़कियों की संख्या तीन है। स्कूल में पढ़ने वाले 0फ् स्टूडेंट हैं और कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 0ब् है। चौंकाने वाली बात यह है कि फांसी लगाने वाले ख् स्टूडेंट्स गवर्नमेंट ऑर्गनाइजेशन और ब् प्राइवेट ऑर्गनाइजेशन के स्टूडेंट हैं। जनवरी में 0फ्, फरवरी में 0ख् और मई में 0ख् स्टूडेंट्स ने आत्महत्या की। इसमें फांसी लगाकर आत्महत्या करने वालों की संख्या 0भ् है। एक ने डूबकर और एक अन्य स्टूडेंट ने दूसरी तरीके से आत्महत्या कर ली।

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परेशान हैं, तो कर सकते हैं कॉल

आत्महत्या रोकने के लिए जमशेदपुर के ख्भ् क्यू रोड, बिष्टुपुर में जीवन संस्था साल ख्007 से काम कर रही है। यह संस्था इंग्लैंड से संबद्ध है। देशभर में क्ख् केंद्रों से लोगों को परामर्श दिया जा रहा है। यहां पर लोगों को नि:शुल्क परामर्श दिया जाता है। टेलीफोन, पत्राचार और ई-मेल के थ्रू भी लोग अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं। हेल्पलाइन नंबर 0म्भ्7-म्ब्भ्फ्8ब्क् या म्भ्भ्भ्भ्भ्भ् पर कॉल कर सकते हैं। हेल्पलाइन नंबर से सुबह क्0 बजे से शाम छह बजे तक नि:शुल्क परामर्श ले सकते हैं। संस्थापक डॉ महावीर राम का कहना है कि सुसाइड से संबंधित पूछे गए सभी क्वेश्चन को गुप्त रखा जाता है। यहां तक काउंसल पीडि़त का नाम तक नहीं पूछते हैं। उनके कॉल डिटेल भी नहीं दिखता है। जीवन के काउंसल बताते हैं कि दिन भर में भ् से क्0 कॉल्स रोजाना अाते हैं।

90 परसेंट होते हैं असफल

जीवन के संस्थापक डॉ महावीर राम का कहना है कि पहली बार सुसाइड का प्रयास करने वाले 90 परसेंट लोग सुसाइड करने में असफल हो जाते हैं। परिवार के लोग इस घटना को नजर अंदाज नहीं करें, क्योंकि बचे हुए लोग फिर बार-बार आत्महत्या का प्रयास कर सकते हैं। जब तक कि वे सफल नहीं हो जाए या उनकी समस्या का समाधान न हो जाए। ऐसी स्थिति में जीवन जैसी आत्महत्या निवारण केंद्र में ले जाकर पीडि़त की काउंसिलिंग करा सकते हैं। या फिर किसी मनोचिकित्सक से उनका इलाज कराया जा सकता है.अस्सी फीसदी सुसाइड पूर्व नियोजित होती है। ऐसी सुसाइड करने वाले लोग कुछ समय पूर्व चेतावनी या संकेत देना शुरू कर देते हैं। यदि पैरेंट्स, टीचर, सहपाठी या सहकर्मी पूर्वानुमानों को समझ लें, तो काफी हद तक सुसाइड को कंट्रोल किया जा सकता है।

इन संकेतों पर ध्यान दें

-हमेशा मरने के बारे में बात करना या लिखना।

-खाने या सोने के व्यवहार में परिवर्तन।

बहुत ज्यादा या बहुत कम खाना और सोना।

-अपना काम समेटना शुरू करना जैसे वसीयत बनाना, कीमतों चीजों को बांट देना।

-अस्थिर मिजाज, बहुत उदास या बहुत प्रसन्न रहना।

-अपनी पसंद की चीजों या कामों में दिलचस्पी नहीं लेना

-खुद को घायल करना या चोट पहुंचाना।

-डिप्रेस्ड हो जाना, खुद को अलग-थलग करना।

-अपने आप को महत्वहीन या बेकार समझना।

-व्यवहार बदला-बदला होना।

-ड्रग्स, शराब का ज्यादा सेवन शुरू कर देना।

-रोना, लड़ना, कानून तोड़ना, इंपलसिवनेस या अंग भंग कर लेना

इन एरियाज में सुसाइड ज्यादा

आत्महत्या निवारण केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार बागबेड़ा, मानगो, सोनारी, उलीडीह, भालूबासा, भुइंयांडीह इलाके में लोग सबसे ज्यादा सुसाइड करते हैं। जबकि बिष्टुपुर और साकची इलाके में सुसाइड करने वालों की संख्या सबसे कम है। संस्थापक का कहना है कि सुसाइड के लिए प्रेरित करने का सबसे बड़ा कारण गरीबी और बेरोजगारी हो सकता है। उनके अनुसार बिष्टुपुर और साकची का स्डैंडर्ड लिविंग बेटर है, इसलिए भी यह आंकड़े इन इलाकों में कम है।

अमीर लड़कों की ख्वाहिशें ज्यादा होती हैं

अमीर घराने के स्टूडेंट सबसे ज्यादा सुसाइड करते हैं। डॉ महावीर राम के मुताबिक अमीर घरानों के लड़कों में पाने की इच्छा ज्यादा होती है। जरा सी ख्वाहिश टूटने पर, तुरंत सुसाइड के लिए प्रेरित हो जाते हैं। जबकि गरीब स्टूडेंट हमेशा अभावों में जीता है। इसलिए पाने की इच्छा कम होती है। ख्भ् साल से अधिक उम्र के लोगों में सुसाइड करने की प्रेरणा गरीब और बेरोजगार युवाओ में ज्यादा होती है। ख्भ् साल से अधिक उम्र के अमीर घराने के लोग कम सुसाइड करते हैं।

अलग एज ग्रुप के अलग कारण

डॉ मनोज साहू का कहना है कि डिप्रेशन अलग-अलग एज ग्रुप में अलग अलग हो सकता है। पढ़ाई में अच्छा नहीं कर पाना, रिलेशनशिप या फ्रेंडशिप में तनाव पैरेंट्स से मिलने वाले दबाव हो सकते हैं। एडल्ट ग्रुप में डिप्रेशन का रीजन अलग है। वर्क प्लेस में भेदभाव, घरलू रिश्ते में खटास आदि हो सकते हैं। ओल्ड एज ग्रुप में परिजनों के द्वारा केयर नहीं किया जाना आदि हो सकता है।

जीवन तनावग्रस्त, डिप्रेस्ड या आत्महत्या करने की सोच रखने वालों को भावनात्मक सहयोग प्रदान करता है। यह सहायता नि:शुल्क है। पीडि़तों के पूछे गए सवालों और उनकी पहचान पूरी तरह से गोपनीय रखी जाती है।

डॉ महावीर राम, संस्थापक, जीवन

इंडिया में म्0 से 70 फीसदी सुसाइड मानसिक बीमारियों के कारण होता है। मानसिक बीमारियों का कारण डिप्रेशन है। डिप्रेशन जेनेटिक भी हो सकता है। मेडिकल साइंस में मानसिक बीमारी और डिप्रेशन का इलाज है।

-डॉ मनोज कुमार साहू, साइकेट्रिस्ट, टीएमएच