फीरोजाबाद। नगर निगम का अजीबोगरीब हाल है। जो कर्मचारी काम नहीं कर रहे हैं, उन्हें हर माह तनख्वाह मिल रही है, मगर जो काम कर रहे हैं उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है। यही नहीं साजिश के तहत इन्हें हटाया भी जा रहा है। इसी तरह के एक मामले में नौकरी से हटाए जाने पर कर्मचारी ने नगर आयुक्त को आत्महत्या की चेतावनी दी है।

सुहाग नगर निवासी प्रेम नरायन अग्रवाल वर्ष 2002 में नगर पालिका (अब नगर निगम) में कोर्ट पैरोकार के पद पर नियुक्त हुए थे। उन्होंने वर्ष 2002 से 2008 तक लगातार कार्य किया और इसका उन्हें वेतन भी मिला। वर्ष 2008 में पालिकाध्यक्ष के पद पर काबिज हुए मनीष असीजा ने उन्हें नगर पालिका से हटा दिया। इसके खिलाफ प्रेम नरायन ने श्रम न्यायालय में याचिका दायर की। श्रम न्यायालय में इस मामले में सुनवाई की और प्रेम नरायन के पक्ष में फैसला दिया। न्यायालय ने नगर पालिका को आदेश दिए कि प्रेम नरायन को हटाए जाने से आदेश तक आधा वेतन देने और तत्काल ज्वाइ¨नग कराई जाए।

इसके खिलाफ नगर पालिका इलाहाबाद हाईकोर्ट चली गई। हाईकोर्ट ने भी प्रेम नरायन के पक्ष में फैसला देते हुए तीन सप्ताह में उसे तत्काल काम पर रखने को कहा। इस आदेश के खिलाफ नगर पालिका सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन यहां न्यायाधीश ने 30मई, 2013 को पालिका की याचिका खारिज कर दी। इस पर नगर पालिका के तत्कालीन पालिकाध्यक्ष राकेश दिवाकर ने आठ जुलाई, 2013 को प्रेम नरायन को नौकरी पर वापस रख लिया। इस दौरान पालिका ने एक माह तक तो प्रेम नरायन से उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर कराए, लेकिन फिर नहीं करने दिए। इसके बाद भी रोजाना काम पर आता रहा। इस दौरान चार अगस्त, 2014 को पालिका को नगर निगम का दर्जा मिल गया, लेकिन प्रेम नरायन कर विभाग में काम करते आ रहे हैं। सोमवार को नगर आयुक्त राम औतार रमन ने प्रेम नरायन को नगर निगम से हटा दिया है। यह जानकारी प्रेम नरायन को हुई तो वह सन्न रह गया। इस संबंध में मंगलवार को प्रेम नरायन ने नगर आयुक्त राम औतार रमन को शिकायती पत्र दिया है। इसमें कहा है उसे हाईकोर्ट के आदेश पर रखा गया था, लेकिन अब उसे हटाना गलत है। उसने कहा है यही नहीं से वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। उसने चेतावनी दी है अगर उसे काम पर रखते हुए जल्द वेतन नहीं दिया गया तो वह आत्महत्या कर लेगा। इसकी शिकायत उसने उच्चाधिकारियों से भी की है।