हुआ है सर्वे

केंद्र सरकार के राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम और और एम्स के आरपी सेंटर द्वारा किए गए सर्वे में खुलासा हुआ है कि बाजार में मौजूद 75 फीसदी गॉगल अमेरिका के एफडीए द्वारा तय किए मानक के अनुसार यूवी से आंखों को सुरक्षा देने में फेल है। हार्ड रेसिन (सख्त प्लास्टिक) और क्राउन ग्लासेस दो तरह के चश्मों की गुणवक्ता का लैबोरेटरी में टैस्ट हुआ था। मार्केट में यूवी ए और यूवी बी कैटेगरी के गॉगल में 100 फीसदी यूवी संरक्षण का दावा किया गया, जिसमें ग्लास और हार्ड रेसिन की मोटाई निर्धारित मानक से अधिक पाई गई।

पांच प्रतिशत सही

यूवी संरक्षण के लिए तय 190 से 400 एनएम तक के बीच चश्मों की जांच की गई.  शोध में पाया गया कि अगर कोई कंपनी अपने चश्में में 100 फीसदी यूवी संरक्षण का दावा करती है तो उसमें केवल पांच फीसदी ही सुरक्षा देखी गई। इसका सीधा मतलब ये है कि आपके आंखों में चश्मा होने के बावजूद भी आपकी आंखें सुरक्षित नहीं है और कई तरह की समस्या बढ़ सकती है।

ऐसे होता है परिक्षण

गॉगल के कलर, ग्लास की मोटाई और यूवी संरक्षण की जांच के लिए स्पेशल स्पेक्टोमीटर का इस्तेमाल होता है। चश्मे के रंग के लिए पैराअमीनोबैनोज(पीएबीए) और मैथानोल का प्रयोग हुआ। जबकि यूवी संरक्षण के लिए 190 से 400 एमएम तक स्कैनिंग होता है।

एफडीए के मानक

अमेरिकन नेशनल स्टैंडर्ड इंस्टीट्यूट द्वारा यूवी ए और यूवी बी कैटेगरी के चश्मों के लिए दो अलग-अलग मानक तय किए गए हैं। यूवी ए के लिए 380 एनएम से कम और यूवी बी के लिए 315 एनएम तय किया है। एनएम अल्ट्रावायलेट रेडियेशन संरक्षण का मापक है।

ये हैं खतरे

- गर्मी के कारण आंखों के रेटिना और पलकों को नुकसान

- मोतियाबिंद होने का खतरा

- फोटो कैरेटोकंजेक्टिवाइटिस का खतरा

- कैरेटोपैथी और दृश्यता संबंधी परेशानी होने का खतरा

फोर योर इंफोर्मेशन

- गर्मी में यूवी संरक्षण चश्मों की 80 फीसदी मांग बढ़ जाती है।

- मार्केट में कई चश्में सिंपल ग्लास के ही पाए जाते हैं जिनमें एक फीसदी भी यूवी सुरक्षित नहीं होते हैं।

- 280 एनएम को यूवी संरक्षण का सबसे सही मानक माना जाता है।

'आरपी सेंटर और सेंट्रल गवर्नमेंट के सर्वे में जो रिपोर्ट आई है वो पूरी तरह से सही है। तमाम ब्रांडेड और नॉन ब्रांडेड कंपनियों को पूरी तरह से आश्वस्त करना चाहिए। पब्लिक को भी अवेयर रहना चाहिए और अपने चश्मों का यूवी संरक्षण जांच भी करानी चाहिए। मैं मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल से इस बारे में बात करूंगा कि मेडिकल के आई सेंटर में इस तरह की जांच की सुविधा हो.'

- डॉ। संदीप मित्तल, आई स्पेशैलिस्ट

सन ग्लासेज के फायदे

बच्चों के लिए तो ये किरणें और भी ज्यादा नुकसानदायक होती हैं। इनके इस्तेमाल से धूप ही नहीं धूल और प्रदूषण से भी आंखों का बचाव होता है। इसके अलावा सनग्लासेस टीयर सेल को सूखने से बचाते हैं। साथ ही जिनकी आंखों में पावरयुक्त चश्मे लगे हैं, वे भी अपने पावर नंबर के मुताबिक फोटोक्रोमेटिक या ब्लैक धूप चश्मे का इस्तेमाल कर सकते हैं।

इनका रखें ध्यान

धूप के चश्मे लेते समय दो बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना जरूरी है। एक तो चश्मे का साइज बड़ा हो और दूसरा उसकी क्वालिटी अच्छी हो। जब तक शीशे में स्क्रैच या धुंधलापन न आए तब तक उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

इस समय जरूर पहनें

एक्सपट्र्स की मानें तो दोपहर 11 से 3 बजे के दौरान धूप बेहद तेज होती है, इसलिए इस समय आंखों को हानिकारक किरणों से बचाने के लिए किसी सनग्लासेस पहनना बेहद जरूरी है। यूवी किरणों के लगातार संपर्क में रहने से धीरे-धीरे आंखों के चारों तरफ की स्किन जल जाती है।

मार्केट में बिक रहे है चश्में  

गॉगल्स रेंज - 350 से 9 हजार

प्रोवोग - 1800 से 2500

वोग - 4500 से 7000

विंटेज - 1200 से 2500

फास्ट टै्रक - 800 से 3000

विक्टोरियो - 1600

सेफिलो - 1600

ओपिम - 1800 से 2400

रेयबैन - 4500 से 10000

सेंट मार्क - 450 से 1250