वह समझ गई

सोमवार रात को सरन हॉस्पिटल परिसर में चोटिल हालत में पहुंची सुनैना को हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन से आसरा भी मिला और राहत भी। डॉ। जमीर अहमद ने सुनैना के दर्द को महसूस करते हुए उसके घावों पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगाई। मानवीय संवेदनाओं को महसूस करती सुनैना समझ गई कि वह सुरक्षित हाथों में है। इसके बाद शुरू हुआ सुनैना की केयर और इलाज का सिलसिला।

चलता रहा पंखा

गर्मी और चोट से बेहाल सुनैना को राहत देने के लिए रात में हॉस्पिटल ने इमरजेंसी का पंखा भी ओपेन छोड़ दिया। हॉस्पिटल की नर्स रेनू ने बताया कि सुनैना के साथ उसका बेहद प्यारा बच्चा था। वह बच्चा अपनी मां के पास ही पूरा दिन अठखेलियां करता रहा। बेबी मंकी की अठखेलियों का सिलसिला अगली सुबह भी जारी था। स्टाफ के लिए सुनैना की तरह उसका बेबी भी सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बना रहा।

वो चली गई थी

हॉस्पिटल स्टाफ से पता चला कि सुबह जब इमरजेंसी में वार्ड ब्वॉय आया तो सुनैना वहां थी। उसने देखा कि वह सो रही थी। वार्ड ब्वॉय सुनैना को सोता देखकर सुकून के साथ लौट गया। घड़ी की सुइयों की टिकटॉक के साथ हॉस्पिटल परिसर में पेशेंट्स की चहलकदमी बढ़ती जा रही थी। इसी बीच अपने फिक्स टाइम पर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। खंडूजा आए। उन्होंने सोचा कि सुनैना का हालचाल लें पर वह इमरजेंसी में नहीं थी।

हमेशा याद रहेगी सुनैना

हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ने सोचा कि चोट से राहत पाई सुनैना हॉस्पिटल में ही होगी। मगर जब काफी समय तक परिसर में सुनैना नजर नहीं आई तो नर्स और वार्ड ब्वॉय ने उसे ढूंढना शुरू किया लेकिन वह कहीं नहीं दिखी। सभी ने सोचा कि शायद आराम मिलने के बाद वह चली गई होगी। इसके बाद सभी एक सुकून भरी मुस्कुराहट के साथ अपने-अपने कामों में जुट गए लेकिन उन 36 घंटों की तस्वीरें

उनके जहन में बार-बार फ्लैश होती रहीं।