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PATNA : बांका के सनीत कुमार सिंह ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को पत्र भेजकर सुपर 30 की कहानी बताई है। उन्होंने आपबीती घटना को शेयर करते हुए कहा है कि वह एक गरीब परिवार में जन्म लिए। पिता विनोद कुमार सिंह छोटी सी किराना की दुकान चलाते थे इसके बाद भी वह उन्हें आईआईटी भेजने का सपना पाले हुए थे। इस सपने को पंख तब लग गया जब उन्हें पता चला कि पटना में सुपर 30 नाम से आनंद कोचिंग चलाकर गरीब बच्चों को आईआईटी की तैयारी कराते हैं। ऑफिस पहुंचने पर फीस और कोर्स के बारे में बताया गया। पैसे की व्यवस्था कर 2010-2011 में एडमिशन कराया लेकिन थोड़े ही दिन बाद इंजीनियर बनने का सपना टूटने लगा।
आंनद का जादू भी सर से उतरने लगा
आंनद का जादू भी सर से उतरने लगा था। वह न तो रेगुलर पढ़ाते थे और न ही कोई गाइड था उनका। घर में भी शिकायत पर डांट पड़ती थी। सुनीत का कहना है कि वह आनंद की कोचिंग में पढ़ाई से निराश थे और जब घर वालों से पीड़ा बताकर दूसरे जगह एडमिशन लिए तो सपना फिर परवान चढऩे लगा। वह आज बेंगलुरू में इंजीनियर हैं। उनका कहना है कि सुपर 30 को लेकर कई भ्रम है और इसी भ्रम में स्टूडेंट्स रामानुजम क्लासेस में फंस जाते हैं। आनंद कुमार को स्थिति साफ करनी चाहिए और पूरी तरह से पारदर्शिता लानी चाहिए।
मेरी कहानी भी सुनिए
झारखंड की जयनीति ने वर्ष 2016 में सुपर 30 का नाम सुनकर पटना आईं थीं। डीजे आई नेक्स्ट को मैसेज कर अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा है कि साधारण परिवार से थी और मुझे उम्मीद थी कि फ्री में तैयारी हो जाएगी। लेकिन यहां आने पर रामानुजम में एडमिशन हुआ। फिर भी उम्मीद यही थी कि परफॉरमेंस के आधार पर मैं सुपर 30 में चयनित हो जाऊंगी। लेकिन, एक साल की कोचिंग के बाद सच्चाई सामने आ गई। क्लास में 11वीं का ही सिलेबस पूरी तरह नहीं पढ़ाया गया। बरसात के मौसम में क्लास के अंदर पानी जमा हो जाता था इस वजह से लगभग दो महीने पढ़ाई नहीं होती है। कोई टेस्ट नहीं, कोई गाइडेंस नहीं, एक साल तक निराश होने के बाद जब हमने आनंद कुमार से बात की तो वह कहने लगे की सिचुएशन इंप्रूव हो जाएगा। एक साल तक सुपर 30 के बच्चों के बारे में एवं उनके क्लासेज कहां और कैसे होता है, उसकी जानकारी के लिए जिज्ञासावस काफी प्रयास किया। परन्तु एक साल में न तो कोई सुपर 30 का स्टूडेंट दिखा, ना ही कोई क्लास जहां ऐसे बच्चों की पढाई होती हो। थक हारकर, हमने अपना एडमिशन अगले एक साल के लिए बोरिंग रोड के मेंटर में कराया। एक साल में मेरे सामने पूर गणित सामने आ गई है।
आनंद कुमार क्यों नहीं जवाब दे रहे हैं यह बड़ा सवाल है। अगर वह सुपर 30 में पूरी तरह से पारदर्शिता बरतते हैं तो 26 स्टूडेंटस की लिस्ट लेकर आगे क्यों नहीं आ रहे हैं। स्टूडेंटस को तो पहले से ही सब खेल पता था अब आम पब्लिक भी जान गई है।
- सुमित कुमार
सुपर 30 का गड़बड़झाला बिहार ही नहीं देश के स्टूडेंटस को प्रभावित कर रहा है। इस मामले में सरकार को जांच कराकर कार्रवाई करनी चाहिए जिससे स्टूडेंटस के साथ किसी भी कोचिंग में कोई धोखा न हो। कोचिंग को लेकर सरकार को सख्त होना चाहिए।
- प्रतीक कुमार
कोचिंग पर सरकार रुख सख्त अपनाए। जिससे कोचिंग की मनमानी पर शिकंजा कसा जा सके। सुपर 30 के नाम पूरे देश से स्टूडेंटस को बुलाया जाता है और यहां आकर पता चलता है कि एडमिशन रामानुजम क्लासेस में कराया जाएगा। इसकी भी जांच कराई जाए।
- राहुल कुमार
ऐसा क्या है कि आनद कुमार स्टूडेंटस की लिस्ट को गोपनीय रखते हैं। गोपनीयता का मतलब गड़बड़झाला है। डिमांड के बाद भी वह डिटेल नहीं दे रहे हैं। सरकार भी ध्यान नहीं दे रही है जिससे मनमानी जारी है। जब तक जिम्मेदार गंभीर नहीं होंगे शोषण ऐसे ही होगा।
- शैलेष कुमार
किसी भी कोचिंग संस्थान के संबंध में पूरी जानकारी लेने का हर स्टूडेंटस और हर आम आदमी का अधिकार है। बार-बार मांगने के बाद भी 26 स्टूडेंटस की लिस्ट नहीं देना सुपर 30 व उससे जुड़ी संस्था को संदिग्ध बना रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए।
- रामसेवक
शहर में कोचिंग के नाम पर इतना बड़ा खेल चल रहा है और राज्य सरकार चुप्पी साधे हुए है। इस गंभीर मामले में निष्पक्ष जांच कराकर कार्रवाई क जानी चाहिए जिससे बिहार ही नहीं देश से आने वाले स्टूडेंटस को कोचिंग के जाल में फंसने से बचाया जा सके।
- अमन कुमार
सोशल मीडिया पर आनंद से मांगा जा रहा इन सवालों का जवाब
- क्या केवल मैथ पढ़ाकर आनंद कुमार स्टूडेंट्स को आईआईटी में पहुंचा देते हैं
- सुपर 30 के स्टूडेंटस की सूची के साथ टीचरों को भी लाया जाए सामने
- सुपर 30 और रामानुजम को लेकर क्यों बरत जा रही है इतनी गोपनीयता। अगर है पारदर्शिता तो आनंद कुमार दें जवाब?
- पूरा देश पूछ रहा है सवाल फिर भी आनंद कुमार क्यों नहीं दे रहे जवाब
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