RANCHI: ये कैसा सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल? जहां इमरजेंसी वार्ड का पता नहीं और सीढि़यों पर गर्भवती का दम फूल रहा हो। जी हां, सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल का उद्घाटन हुए एक साल हो चुके हैं। इसके बावजूद यहां आने वाले मरीजों को अब तक सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल का लाभ नहीं मिल पा रहा है। आलम यह है कि फ‌र्स्ट फ्लोर पर बने वार्ड में पहुंचने के लिए गर्भवती को रैम्प या सीढि़यों की दौड़ लगानी पड़ रही है तो इमरजेंसी वार्ड नहीं होने से गंभीर मरीजों की हालत हॉस्पिटल पहुंचने के बावजूद बिगड़ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि हॉस्पिटल में सुपरस्पेशियलिटी सुविधाएं मरीजों को कब मिलेंगी?

लिफ्ट सिर्फ अधिकारियों के लिए

हॉस्पिटल में मरीजों की सुविधा के लिए दो लिफ्ट हैं, लेकिन ये सिर्फ अधिकारियों के विजिट के लिए हैं। क्योंकि उनके जाते ही दोनों लिफ्ट शोपीस बन जाती हैं। इस चक्कर में मरीजों के पास सीढि़यां चढ़ने के अलावा कोई चारा नहीं होता। वहीं रैंप के सहारे चढ़ने में उनके पसीने छूट जाते हैं। इसके बाद भी लिफ्ट को आजतक मरीजों के लिए चालू नहीं किया जा सका है।

कूड़े में व्हील चेयर व ट्राली

इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के लिए ट्राली और व्हील चेयर की व्यवस्था की गई थी। इसके लिए एक स्पेशल जगह भी बनाई गई थी। लेकिन आज वहां ढूंढने पर भी न तो ट्राली मिलेगी और न व्हील चेयर। उस जगह पर हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने डस्टबिन लगा दी है। वहीं सफाई कर्मचारियों ने वहां पर स्टोर बना दिया है।

ट्राली को भटक रहे मरीज

किसी भी हॉस्पिटल में एंट्रेंस गेट पर ही मरीजों के लिए ट्राली और व्हीलचेयर रखा जाता है, ताकि मरीजों के आने पर स्टाफ उसे तुरंत इमरजेंसी में लेकर जाएं। लेकिन हॉस्पिटल में जाने के बाद परिजनों को ट्राली के लिए भटकना पड़ रहा है। वहीं, आवाज लगाने पर सिक्योरिटी गार्ड भागते हुए ट्राली लेकर आते हैं। इसके बाद मरीजों का इलाज शुरू होता है। अगर टाइम पर ट्राली न मिले तो मरीज की स्थिति बिगड़ जाएगी।

ग्राउंड फ्लोर पर वार्ड नहीं

हॉस्पिटलों में वार्ड ग्राउंड फ्लोर पर होता है तो मरीजों को लाने पर तत्काल उन्हें इलाज मुहैया कराया जा सके। लेकिन सदर हॉस्पिटल में इलाज कराने के लिए रैंप के सहारे मरीज को वार्ड तक ले जाना होता है। इस तरह जेनरल वार्ड पहुंचने तक मरीज की हालत और खराब हो जाती है। ऐसे में समय पर इलाज न मिले तो मरीज की जान भी जा सकती है।

क्या कहतीं हैं महिला मरीज

वार्ड पहले तल्ले पर है तो चढ़ने में परेशानी है। ढलान वाला रास्ता भी काफी लंबा है। इतना चलने से तो हमलोग थक जाते हैं। एक बार के बाद दोबारा जाने की सोचना भी मुश्किल है।

सरोज

दूसरे हॉस्पिटल में लिफ्ट रहती है। लेकिन यहां तो लिफ्ट भी चालू नहीं है। सीढ़ी और ढलान वाला रास्ता हालत खराब कर देता है। अब इलाज कराना है तो यह सब झेलना ही पड़ेगा।

सुनिता

वर्जन

पूरा हॉस्पिटल चालू होने के बाद सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त हो जाएंगी। अभी 200 बेड का हॉस्पिटल चालू हुआ है। इसमें धीरे-धीरे मरीजों को सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। मैनपावर की बड़ी समस्या है। इसके अलावा एचडीयू बनाने को लेकर प्रस्ताव एक्सेप्ट कर लिया गया है। परमिशन मिलते ही काम चालू कर दिया जाएगा। 500 बेड के हॉस्पिटल में आईसीयू भी होगा। लेकिन उसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।

डॉ। एके झा, डीएस, सदर