नई दिल्ली (आईएएनएस)। केंद्र सरकार फ्रांस के साथ हुई राफेल विमान डील को लेकर इधर काफी दिनों से विवादों में घिरी है। ऐसे में कल सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने केंद्र सरकार को इस मामले में कुछ आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार राफेल से जुड़ी सारी जानकारी 10 दिन के भीतर सीलबंद लिफाफे में सौंपे। सरकार 36 राफेल विमान की कीमतों और अनुमानित लाभ और ऑफसेट पार्टनर को सेलेक्ट करने की प्रक्रिया बताए।

हलफनामा देकर गोपनीयता की वजह बताई जाए
ऐसे में सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि लड़ाकू विमान की कीमत गोपनीय है। इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोपनीय जानकारी हटा ली जाए लेकिन हलफनामा देकर गोपनीयता की वजह बताई जाए। वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद विपक्षी दलों में खुशी की लहर दौड़ गई है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में काफी अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने इस मामले में बनाए गए गोपनीयता के चक्र को वेधने को कहा है।

किस अनुच्छेद में गोपनीयता का जिक्र किया गया

मनीष तिवारी ने कहा कि 36 राफेल विमान वाले इस सौदे का सबसे अहम हिस्सा उसकी कीमत है। ऐमें कोर्ट ने कहा कि कि केंद्र सरकार को गोपनीयता का दावा करते हुए एक हलफनामा दाखिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत-फ्रांस डिफेंस डील में 18 अनुच्छेद हैं।  ऐसे में उन्होंने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री न्रेंद्र मोदी, वित्तमंत्री अरुण जेटली, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण राष्ट्र को बताएंगे कि किस अनुच्छेद में गोपनीयता का जिक्र किया गया है ?  जिसके तहत ये लोग गोपनीयता का डंका पीट रहे हैं।

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