कोई विंडो क्यों नहीं हो सकती

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार व आरबीआई से पूछा कि जो लोग नोटबंदी के दौरान दिए वक्त में पुराने नोट जमा नहीं करा पाए, उनके लिए कोई नई विंडो क्यों नहीं हो सकती? कोर्ट ने कहा कि जो लोग उचित कारणों के चलते रुपये बैंक में जमा नहीं करा पाए। उनकी संपत्ति सरकार इस तरह नहीं छीनी जा सकती है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों के पास पुराने नोट जमा कराने का सही कारण है, उन्हें मौका दिया जाना चाहिए।

 

केंद्र ने मांगी सुप्रीम कोर्ट से मोहलत 

जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसी भी स्थिति हो सकती है, जिसमें किसी शख्स की कोई गलती नहीं की हो और वो अपना पैसा खो दे। मान लीजिए कि कोई शख्स इस दौरान जेल में रहा होय हम ये जानना चाहते हैं कि आपने ऐसे शख्स को डिपॉजिट करने से क्यों रोक रहे हैं? इस पर केंद्र की तरफ  से मौजूद सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि इस पर हमें सोचने के लिए वक्त चाहिए कि क्या केस के बेस पर किसी शख्स को डिपॉजिट की परमीशन दी जा सकती है। 

 

पहले भी कोर्ट ने कहा था 

- केंद्र सरकार ने 8 नवंबर को घोषणा की थी कि 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट अब चलन में नहीं रहेंगे।

- वहीं, पुराने नोट को बैंक में जमा कराने के लिए 30 दिसंबर तक का समय दिया गया था।

- इस दौरान लोग बैंक, पोस्ट ऑफिस व आरबीआई में नोट डिपॉजिट करा सकते थे। 

- इसके बाद 31 मार्च 2017 तक आरबीआई की ब्रांच में पुराने नोट जमा करने का वक्त दिया था। 

 

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें उसने कहा था कि वो नोटबंदी के दौरान अस्पताल में थी और उसने बच्चे को जन्म दिया था। इस कारण से वह तय समय सीमा पर पुराने नोट जमा नही कर सकी।

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