राजीव गांधी हत्याकांड मामला

सुप्रीम कोर्ट की सविंधान पीठ ने यह आदेश राज्य सरकारों को दिया है. चीफ जस्टिस आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली पीठ राजीव गांधी हत्याकांड के आरोपियों को उम्रकैद की सजा में राज्य सरकार द्वारा माफी देने वाले मामले की सुनवाई कर रही थी. दरअसल तमिलनाडु सरकार ने राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के आदेश दिए थे जिसके खिलाफ केंद्र सरकार ने पेटीशन दाखिल की थी. इस पेटीशन पर सुनवाई करते हुए एपेक्स कोर्ट ने राज्यों को यह आदेश पारित किया है.

सीबीआई के मामलों में केंद्र सरकार को अधिकार

जेएस खेहर, जे चेल्मेश्वर, एके सीकरी और रोहिंटन नरीमन की सदस्यता वाली इस पीठ ने कहा कि सीबीआई से जुड़े मामलों में उम्रकैद प्राप्त कैदियों को माफी देने में राज्य सरकार की भूमिका के बारे में जवाब मांगा. इस पर सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि सीबीआई से जुड़े केसेस में केंद्र सरकार को ही ऐसे विषयों पर विचार का अधिकार है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 फरवरी को राजीव गांधी हत्याकांड के तीन दोषियों मुरूगन, संथन और अरिवु को रिहा करने के राज्य सरकार के निर्णय पर रोक लगाई थी. इससे दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने तीनों मुजरिमों की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील किया था जिस पर जयललिता सरकार ने एक तरफा फैसला लेते हुए इन मुजरिमों को रिहा करने का फैसला लिया था.  

क्या हैं राज्यों के अधिकार

इस मामले में राज्यों के पास अधिकारों को जानना जरूरी है. दरअसल राज्य सरकारें सीआरपीसी की धारा 432 और 433, 433ए  के अनुसार एक सर्टेन टाइम पीरियड के बाद उम्रकैद की सजा प्राप्त कैदियों या अन्य कैदियों की सजा माफ / निलंबित या कम करके उन्हें रिहा कर सकती हैं. हालांकि केंद्रीय जांच एजेंसियों के मामलों में सजा माफ करने से पहले राज्य सरकारों को केंद्र से एडवाइज लेने की बाध्यता है.

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