- विक्रम के अपराधिक मामले में जमानत भी ली थी सूरज ने

- बिजनेस में दबदबा बनाने के लिए विक्रम का साथ पकड़ा था

- आर्थिक कमजोर होने लगा था हत्यारोपी सूरज

LUCKNOW : वैभव का हत्यारोपी सूरज कभी उसका गहरा दोस्त था। कारोबार बढ़ने के साथ सूरज के भीतर सफेदपोश दबंग बनने की ललक बढ़ गई थी। इसी के चलते उसने नरही के विक्रम का साथ पकड़ा था। उसकी महत्वाकांक्षा उसके फेसबुक पर लिखे एक स्टेट्स को भी साफ बयां कर रही है। सूरज ने एफबी पर लिखा है कि 'वाकिफ तो रावण भी था अपने अंजाम से, बस जिद थी अपने अंदाज से जीने की' साथ ही एक फोटो भी डाली है जिसमें टेबिल में सिगरेट का बा1स और एक लाइसेंसी पिस्टल रखी है। जबकि परिजनों का कहना है कि सूरज के पास आ6र्स का कोई लाइसेंस ही नहीं है।

दबंग विक्रम का 'गॉड फादर' बन गया था

सूरज शु1ला अपने कारोबार को बढ़ाने के साथ ही दबंगई को भी उजागर करना चाहता था। इसलिए उसने विक्रम को अपने साथ रखना शुरू कर दिया था। विक्रम की मुलाकात उससे सीएमएस स्कूल में पढ़ाई के दौरान हुई थी। विक्रम दबंग और नशे का लती था। नशे की हालत में वह कुछ भी कर गुजरने के लिए बदनाम भी था। कुछ वर्ष पहले दबंग विक्रम ने हजरतगंज स्थित एक रेस्तरां मालिक से रंगदारी मांगी थी। रेस्तरां मालिक ने केस दर्ज कराया था और पुलिस ने विक्रम को जेल भी भेजा था। इस मामले में सूरज ने ही विक्रम की जमानत कराई थी और जमानत में खर्च रकम भी उसी ने दी थी। विक्रम की जमानत लेने वाले अखंड प्रताप को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है।

वफादारी निभाने को विक्रम ने ली जान

सूरज भी शराब का लती था। विक्रम भी नशे का लती था। अ1सर दोनों साथ में नशा करते थे। घटना वाले दिन भी दोनों वैभव से मिलने साथ पहुंचे थे। चश्मदीद गवाह आदित्य ने बताया कि सूरज और वैभव के बीच नोक-झोंक हुई लेकिन उनके तनाव में हत्या के साजिश की बू नहीं थी, लेकिन सूरज के साथ आए विक्रम उसे इ6प्रेश करने के लिए वैभव से भिड़ गया और पिस्टल तान दी थी। वहां मौजूद किसी को भी यह अंदाजा नहीं था कि सात लाख रुपये के झगड़े में सूरज वैभव की हत्या करा सकता है। सिरफिरे विक्रम ने सूरज के प्रति अपनी वफादारी साबित करने के लिए ही वैभव पर गोली चला दी।

आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा था सूरज

परिजनों का कहना है कि सूरज ने परिवार से अलग प्रापर्टी का कारोबार शुरू किया था। अपनी गलत आदत और नशे की लत में वह परिवार को भी दरकिनार रखता था। पूर्व विधायक जिप्पी तिवारी के बेटे वैभव के संपर्क में आने के बाद उसने प्रापर्टी का कारोबार शुरू किया था। परिजनों का कहना है कि इधर, कुछ वर्षो से वह आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा था। उसके पैसे कई जगह पर फंस गए थे। जिसके चलते भी उसने विक्रम का सहारा लिया था।