रिटायरमेंट एक ओल्ड-फैशंड इंग्लिश कॉन्सेप्ट है: सुरेखा सीकरी
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KANPUR: सुरेखा सीकरी पिछले 40 सालों से फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा हैं। सिल्वर स्क्रीन से लेकर टीवी तक, उन्होंने कई किरदारों में जान फूंक दी और ऐसे कई कैरेक्टर्स हैं जो लोगों के दिलों में हमेशा के लिए बस गए हैं। एक रीसेंट इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि क्या रिटायरमेंट को लेकर उनके कोई प्लांस हैं तो उन्होंने जवाब दिया, 'हेलो, मुझे तो ये वर्ड भी नहीं पता। इसका मतलब क्या है? यह एक बहुत ही पुराना ओल्ड-फैशंड इंग्लिश कॉन्सेप्ट। ये कॉन्सेप्ट गवर्नमेंट सर्विस कर रहे लोगों पर लागू होता है। फॉर्च्युनेटली मैं एक फ्रीलांसर हूं और मेरी रिटायर होने की कोई भी इरादा नहीं हूं। मैं काम करते रह सकती हूं और करते रहना चाहती हूं।'
टीवी और थिएटर की दुनिया में कमाया नाम
सुरेखा ने 1978 में पॉलिटिकल ड्रामा किस्सा कुर्सी का से डेब्यू किया था। उन्होंने टीवी और थिएटर की दुनिया में काम करते हुए जबरदस्त नाम कमाया। उन्होंने तमस, मम्मो, सरफरोश, जुबैदा जैसी फिल्मों में भी यादगार रोल प्ले किए हैं. टीवी पर वो बालिका वधु शो में दादी सा के कैरेक्टर से घर-घर में छा गईं।
टीवी हुआ है रिग्रेसिव
बीते वक्त और आज के वक्त में फर्क बताते हुए वह कहती हैं, 'चीजें आज ज्यादा ओपेन हैं। लोग चीजों को एक्सेप्ट करने के लिए रेडी हैं और उसके बारे में बातें कर रहे हैं। पहले सब कुछ 'प्रिटी-प्रिटी' और फॉलो द फॉर्मूला वाला कॉन्सेप्ट चलता था बॉलीवुड में। पुराने वक्त में टीवी की दुनिया ज्यादा बेहतर थी जो अब रिग्रेसिव हो गई है। लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में चीजें आगे बढ़ रही हैं।
अगर आज होती एंट्री
सुरेखा कहती हैं कि उन्हें लगता है कि काश वो आज के दौर में इंडस्ट्री में एंट्री करतीं। उन्होंने कहा, 'आज के दौर को देखते हुए मैं हमेशा कहती हूं कि मुझे 40-50 साल आगे के दौर में एंटर करना चाहिए था। लेकिन फिर भी आज भी यहां मेरे जैसे लोगों के लिए कई रोल्स हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि आज सीनियर सिटीजंस के लिए इंटरेस्टिंग रोल्स लिखे जा रहे हैं तो उन्होंने कहा, 'मैं श्योर हूं अच्छे रोल्स होंगे। सब कुछ बदल गया है और आप ऐसी मूवी के बारे में नहीं सोच सकते थे जो पूरी तरह से ओल्ड कैरेक्टर्स पर बेस्ड हो जैस 102 नॉट आउट। इसलिए मुझे लगता है कि मेरे जैसे लोगों के लिए यहां पर भरपूर चांस हैं।'
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KANPUR: सुरेखा सीकरी पिछले 40 सालों से फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा हैं। सिल्वर स्क्रीन से लेकर टीवी तक, उन्होंने कई किरदारों में जान फूंक दी और ऐसे कई कैरेक्टर्स हैं जो लोगों के दिलों में हमेशा के लिए बस गए हैं। एक रीसेंट इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि क्या रिटायरमेंट को लेकर उनके कोई प्लांस हैं तो उन्होंने जवाब दिया, 'हेलो, मुझे तो ये वर्ड भी नहीं पता। इसका मतलब क्या है? यह एक बहुत ही पुराना ओल्ड-फैशंड इंग्लिश कॉन्सेप्ट। ये कॉन्सेप्ट गवर्नमेंट सर्विस कर रहे लोगों पर लागू होता है। फॉर्च्युनेटली मैं एक फ्रीलांसर हूं और मेरी रिटायर होने की कोई भी इरादा नहीं हूं। मैं काम करते रह सकती हूं और करते रहना चाहती हूं।'
टीवी और थिएटर की दुनिया में कमाया नाम
सुरेखा ने 1978 में पॉलिटिकल ड्रामा किस्सा कुर्सी का से डेब्यू किया था। उन्होंने टीवी और थिएटर की दुनिया में काम करते हुए जबरदस्त नाम कमाया। उन्होंने तमस, मम्मो, सरफरोश, जुबैदा जैसी फिल्मों में भी यादगार रोल प्ले किए हैं. टीवी पर वो बालिका वधु शो में दादी सा के कैरेक्टर से घर-घर में छा गईं।
टीवी हुआ है रिग्रेसिव
बीते वक्त और आज के वक्त में फर्क बताते हुए वह कहती हैं, 'चीजें आज ज्यादा ओपेन हैं। लोग चीजों को एक्सेप्ट करने के लिए रेडी हैं और उसके बारे में बातें कर रहे हैं। पहले सब कुछ 'प्रिटी-प्रिटी' और फॉलो द फॉर्मूला वाला कॉन्सेप्ट चलता था बॉलीवुड में। पुराने वक्त में टीवी की दुनिया ज्यादा बेहतर थी जो अब रिग्रेसिव हो गई है। लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में चीजें आगे बढ़ रही हैं।
अगर आज होती एंट्री
सुरेखा कहती हैं कि उन्हें लगता है कि काश वो आज के दौर में इंडस्ट्री में एंट्री करतीं। उन्होंने कहा, 'आज के दौर को देखते हुए मैं हमेशा कहती हूं कि मुझे 40-50 साल आगे के दौर में एंटर करना चाहिए था। लेकिन फिर भी आज भी यहां मेरे जैसे लोगों के लिए कई रोल्स हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि आज सीनियर सिटीजंस के लिए इंटरेस्टिंग रोल्स लिखे जा रहे हैं तो उन्होंने कहा, 'मैं श्योर हूं अच्छे रोल्स होंगे। सब कुछ बदल गया है और आप ऐसी मूवी के बारे में नहीं सोच सकते थे जो पूरी तरह से ओल्ड कैरेक्टर्स पर बेस्ड हो जैस 102 नॉट आउट। इसलिए मुझे लगता है कि मेरे जैसे लोगों के लिए यहां पर भरपूर चांस हैं।'
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