कंपनियां निशाने पर

नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम ) में गरीबों को बेहतर ट्रीटमेंट देने के लिए गवर्नमेंट हर साल करोड़ों रुपये का बजट पास करती है। डिस्ट्रिक्ट के लिए एनआरएचएम स्कीम में हर साल शासन 10 करोड़ रुपए का बजट देता है। 12 सितम्बर को आई कैग टीम की रिपोर्ट में सामने आया है कि सबसे बड़ा घोटाला सर्जिकल इक्विपमेंट्स को खरीदने में किया गया है।

सीरिंज से लेकर पीएचसी और सीएचसी पर काम आने वाले इक्विपमेंट्स को निर्धारित रेट से डबल रेट पर खरीदा गया है। इसकी वजह से सिटी की कई सर्जिकल सप्लायर्स और फार्मेसी कम्पनियां सीबीआई के निशाने पर आ गई हैं।

फर्जी नाम सामने आए

आशा वर्कर्स को बांटे गए चेक और जननी सुरक्षा योजना में दिए गए चेक को टीम द्वारा चेक किया गया था। यहां तक कि मामले की तह तक जाने के लिए पेशेंट के घर जाकर उनकी क्रॉस चेकिंग की गई थी। सोर्सेज के मुताबिक, इस छानबीन में कई फर्जी नाम और पते भी सामने आए हैं। पल्स पोलियो अभियान में भी गलत नाम पते के बारे में पता चला है। सीएमओ डॉ। राम रतन पूरे मामले में कुछ भी बोलने से इंकार कर रहे हैं। उनके मुताबिक, पूरी कार्रवाई शासन स्तर से हो रही है।