आरोपी चार जवानों ने दिल्ली में किया सरेंडर

11 जवानों के खिलाफ कोर्ट ने जारी किया वारंट

Meerut। हाशिमपुरा कांड के दोषी चार पीएसी के जवानों के जेल जाने की खबर आते ही चश्मदीद गवाह बाबूदीन के चेहरे पर चमक लौट आई। उन्होंने कहा कि 31 साल पहले जो पीएसी के जवानों ने कहर बरपाया था। उसका उन्हें दंड मिला है। उन्होंने कहाकि इंसाफ मिलने में देर हुई, लेकिन उन्हें कोर्ट पर पूरा भ्ारोसा है।

मेरठ का हाशिमपुरा कांड

गत 22 मई 1987 को मेरठ के हाशिमपुरा में एक व्यक्ति की हत्या के बाद शहर में सांप्रदायिक माहौल बिगड़ गया था। सर्च ऑपरेशन के नाम पर पीएसी की गाड़ी हाशिमपुरा में पहुंची। वहां से करीब 150 लोगों को बंदूक के बल पर बाहर सड़क पर लेकर आई। आरोप है कि वहां से पीएसी के जवानों ने 43 लोगों को पीएसी की गाड़ी में भरकर मुरादनगर ले गई। वहां पर एक-एक करके सभी को गोली मारी गई। उन्हें मुरादनगर की नहर में फेंक दिया गया था। किसी तरह बच गए मुरादनगर थाने में पीएसी के जवानों पर 43 लोगों की हत्या का आरोप लगाया गया, जिसमें 38 लोगों की हत्या की पुष्टि हो ग थी।

31 साल बाद फैसला

इस प्रकरण में 31 अक्टूबर 2018 को फैसला आया। जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने 16 जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इनमें से एक जवान की चार महीने पहले मौत हो गई है। जबकि शेष 15 पीएसी कर्मियों के जवानों को 22 नवंबर तक कोर्ट में सरेंडर करने का वक्त दिया था। जिसमें गुरुवार को चार पीएसी कर्मियों ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। कोर्ट ने उन्हें हिरासत में लेकर जेल भेज दिया। बाकी 11 पीएसी जवानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया।

एकलौते भाई को छीना

हाशिमपुरा निवासी अमीर फातमा व नसीम बानो को जैसे ही पता चला कि चार पीएसी के जवान जेल चले गए हैं तो उन्होंने सबसे पहले अल्लाह का शुक्र अदा किया। उन्होंने कहा कि पीएसी के जवानों को सजा मिलनी ही चाहिए थी। उन्होंने हमारी चार बहनों के इकलौते भाई सिराजुद्दीन की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

ये रहा घटनाक्रम

18 व 19 मई 1987

मेरठ में भड़का दंगा

21 मई 1987

हाशिमपुरा में एक युवक की हत्या से शहर का माहौल बिगड़ा

22 मई 1987

पीएसी की 41 वीं बटालियन पर 43 लोगों को उठाकर मुरादनगर में हत्या करने का आरोप लगा

12 मार्च 1988

प्रदेश सरकार ने इस केस की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी। सीबीसीआईडी ने 37 जवानों व अधिकारी को माना दोषी

1 जून 1995

प्रदेश सरकार ने 19 पीएसी के जवान व अफसरों पर मुकदमें की अनुमति

12 मई 2000

16 आरोपियों का कोर्ट में सरेंडर

11 जून 2001 - ट्रायल में देरी पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की

27 मार्च 2015 - तीस हजारी कोर्ट में सभी को बरी किया

18 मई 2015 - फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपील

31 अक्टूबर 2018 - हाईकोर्ट ने 16 जवानों को सजा सुनाई

सूचना मिली है कि आरोपी सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में जाने के लिए उन्होंने भी तैयारी कर ली है।

जुल्फीकार, अध्यक्ष, हाशिमपुरा संघर्ष समिति