PATNA : मुझे तो पहले से ही शक था कि 'उसका' किसी से संबंध है, लेकिन मेरे पास कोई प्रमाण ही नहीं था। क्या करता। लेकिन जब उन दोनों के बीच अश्लील बातों को फेसबुक पर पढ़ा तो सारी बातें शीशे की तरह साफ हो गई। फिर तो उसके जिंदा रहने का कोई मतलब ही नहीं था। इसलिए मैंने मार डाला। ये कहानी नहीं, हकीकत है उस मृत्युंजय देव साकेत की जो बैंक पीओ पत्नी चारूलता मउआर का पति और हत्यारा है। उसने इन बातों का खुलासा पुलिस गिरफ्त में आने के बाद किया है। जो कुछ उसने पुलिस को बताया उससे यह साफ हो चुका है कि शक ने उसे साइको किलर बना दिया था। साथ ही मृत्युंजय को इस बात का भी मलाल था कि वह महज एक दुकानदार है, जबकि पत्नी मैनेजर है।

पोस्टिंग के पीछे भी था उद्देश्य

मृत्युंजय देव साकेत मेडिकल शॉप चलाता था जबकि चारूलता मउआर बैंक में पीओ थी। साल ख्0क्ख् में उनकी शादी हुई। चूंकि चारू पढ़ने में तेज थी इसलिए शादी के बाद भी पढ़ाई जारी थी। साल ख्0क्भ् में उसका सलेक्शन पीओ के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा में हुआ था। 9 महीने बंगलुरु में ट्रेनिंग ली थी। यहीं से मृत्युंजय का शक शुरू हुआ। उसे लगने लगा कि वाइफ का दूसरे से संबंध है। क्योंकि वह उससे अक्सर बातें करती है। इस बात को मृत्युंजय ने मां और पिता से शेयर की थी। ट्रेनिंग के बाद जब बारी पोस्टिंग की आई तो मृत्युंजय ने अपने बैंक अधिकारी पिता अनिल कुमार से पैरवी करा चारूलता की पोस्टिंग पटना में करा डाली, ताकि वो उसपर नजर रख सके।

चैटिंग देख हुआ हैरान

मृत्युंजय की मानें तो उसके पास वाइफ के फेसबुक अकाउंट का पासवर्ड नहीं था। लेकिन एक दिन किसी तरह फेसबुक अकाउंट खोल लिया। फिर चारूलता और एक व्यक्ति के साथ हुई चैटिंग को पढ़ा, जिसमें दोनों के बीच अश्लील बातें हुई थीं।

ओसीडी (आ?सेसिव कम्लि्सव डिसआर्डर) मानसिक बीमारी है। इससे इंसान के ब्रेन रिसेप्टर को सही जानकारी नहीं मिल पाती है। इससे शक गहराता जाता है और बिना सोचे समझे कोई भी घटना कर सकता है। इंसान के अंदर अपना पराया सोचने की शक्ति भी क्षीण हो जाती है। वह अंदर ही अंदर घुटता है फिर कोई भी घटना कर देता है।

-डॉ। आलोक रंजन, मनोचिकित्सक