- पुलिस अधीक्षकों ने थानेदारों को एक और मौका देने की अनुशंसा की

- पुलिस अधीक्षकों के रिपोर्ट की मुख्यालय में हो रही समीक्षा

PATNA : राज्य में पूर्ण शराबबंदी को प्रभावी तरीके से लागू कराने में विफल रहने के आरोप में निलंबित किए गए क्क् थानेदारों के निलंबनमुक्त होने की उम्मीद बढ़ गई है। निलंबित थानाध्यक्षों के बारे में संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षक ने सकारात्मक रिपोर्ट राज्य पुलिस मुख्यालय को सौंपी है। सात जिलों के पुलिस अधीक्षकों ने अपनी रिपोर्ट में निलंबित किए गए थानाध्यक्षों को एक मौका और देने की अनुशंसा की है।

बता दें कि विगत भ् अगस्त को राज्य पुलिस मुख्यालय ने पूर्ण शराबबंदी को प्रभावी तरीके से लागू नहीं करने के आरोप में राज्य के सात जिलों के कुल क्क् थानाध्यक्षों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी किया था। इतना ही नहीं, पुलिस मुख्यालय ने निलंबित थानेदारों को अगले दस साल तक किसी भी थाने में पदस्थापित नहीं करने का फरमान भी जारी किया था।

थानाध्यक्षों के निलंबन से पहले राज्य पुलिस मुख्यालय ने संबंधित जिलों के एसपी से रिपोर्ट तलब नहीं की थी। बाद में इन थानाध्यक्षों के निलंबन के खिलाफ बिहार पुलिस एसोसिएशन ने पुलिस मुख्यालय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। एसोसिएशन के दबाव में पुलिस मुख्यालय ने निलंबित थानेदारों के संबंध में उनके पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट तलब की थी।

ये थानाध्यक्ष थे निलंबित

अरुण कुमार अकेला, मसौढ़ी, अकील अहमद, फुलवारीशरीफ (दोनों पटना), रविंद्र नाथ सिंह, मखदुमपुर (जहानाबाद), सरोज कुमार सिंह, चांद (कैमूर), आइसी विद्यासागर, डेहरी (रोहतास), मुकेश कुमार, मरंगा, नवीन कुमार, रुपौली (दोनों पूर्णिया), कृपाशंकर आजाद, सुल्तानगंज (भागलपुर), किशोरी चौधरी, मोतिहारी मुफस्सिल, मनोज कुमार, रुन्नीसैदपुर और संजीव कुमार, बैगरनिया (दोनों सीतामढ़ी)।