कीर्ति के तेवर हुए बगावती
निलंबन के बाद और उग्र तेवर अपना चुके र्कीति आजाद ने बुधवार को अहमदाबाद के हवाई अड्डे पर मीडिया से कहा कि भ्रष्टाचार उजागर करने और सच बोलने की उन्हें सजा दी गई है। कभी केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व में रहे दिल्ली और डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) में घोटाले पर हमलावर कीर्ति आजाद ने दावा किया कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहिम को ही आगे बढ़ा रहे हैं। आगे की योजना के बारे में उनका कहना है कि अब वे वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व वाले मार्गदर्शक मंडल में अपनी शिकायत लेकर जायेंगे। उन्होंने कहा कि जो सच्चाई की बात करे वो पार्टी से बाहर हो जाए, उसे पार्टी विरोधी कहा जाए। अब मजा देखिए आगे क्या-क्या होता है। उन्होंने ये भी पूछा भ्रष्टाचार के खिलाफ लडऩे वाले को सस्पेंड किया गया, यह क्या अच्छी बात है? उन्होंने दावा किया कि उन्होंने ईमानदारी से काम किया। वे नौ साल से कह रहे हैं, लेकिन पार्टी ने ध्यान नहीं दिया।

कल पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने किया निलंबित  
सारे अनुशासन और निर्देशों की अवहेलना कर अपनी ही सरकार और पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे दरभंगा के सांसद कीर्ति आजाद को कल भाजपा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उन्हें पत्र लिखकर पार्टी ने बताया है कि किस तरह वह पिछले कुछ वर्षों से लगातार ‘विपक्ष के हाथ की कठपुतली बनकर न सिर्फ अपने ही शीर्ष नेतृत्व पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, बल्कि संसद में सरकार की भी किरकिरी करा रहे हैं।’ उनका यह आचरण पार्टी अक्षम्य मानती है। लिहाजा उन्हें निलंबित किया जा रहा है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि उन्हें भविष्य के लिए आगाह भी किया गया है। वरना पार्टी से निष्कासन की तलवार भी चल सकती है।

डीडीसीए मामले के चलते हुआ निलंबन  
भाजपा ने कीर्ति आजाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए व्हिप जारी कर पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में बुधवार को यह फैसला लिया। कीर्ति आजाद के वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ जारी मुहिम के तहत तीन दिन पहले की गई प्रेस कांफ्रेंस का संज्ञान लेते हुए यह कड़ा कदम उठाया है। गौरतलब है कि पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद व्यक्तिगत कारणों से लगातार वित्तमंत्री अरुण जेटली के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी करते रहे हैं। लेकिन हद तब हो गई जब दिल्ली के क्रिकेट निकाय डीडीसीए विवाद में वह विपक्ष के खेमे में नजर आए। आम आदमी पार्टी और कांग्र्रेस के लिए कीर्ति आंखों का तारा बन गए हैं। पहले संगठन महामंत्री रामलाल और फिर खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के समझाने के बावजूद कीर्ति ने प्रेसवार्ता भी की और लोकसभा में वित्तमंत्री के बयान के तुरंत बाद एसआइटी जांच की भी मांग कर दी। शाह और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जेटली पर भरोसा और उनके पीछे खड़े होने की बात कह चुके हैं लेकिन कीर्ति का रुख अभी भी बगावती बना हुआ है। कीर्ति को लिखे पत्र में पार्टी ने कहा है कि उनके आचरण के कारण बेवजह पार्टी की किरकिरी हुई है। अनुशासन किसी भी पार्टी और व्यक्ति के लिए जरूरी है। लेकिन कीर्ति ने इसकी पूरी तरह अवहेलना की है जिससे यह आशंका पुष्ट होती है कि वह विपक्ष के हाथ का मोहरा बन गए हैं।

कांग्रेसकाल की जांच में साफ थे
मोदी सरकार खुद भ्रष्टाचार के खिलाफ है। लेकिन डीडीसीए मामले में कांग्र्रेस काल में जांच हुई है। जांच रिपोर्ट में भ्रष्टाचार को नकारा गया है और जेटली को किसी भी स्तर पर इससे दूर माना गया था। लेकिन पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद व्यक्तिगत कारणों से जेटली पर उंगली उठाकर सरकार की छवि खराब करने पर तुले हैं। लिहाजा उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निलंबित किया जा रहा है।

अब शत्रु पर भी गाज गिरने की बातें
कीर्ति के बाद अब शत्रुघ्न सिन्हा को लेकर भी अटकल लगाई जा रही हैं। इस मामले में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी ट्वीट करके व्यंग किया है।

 

ध्यान रहे कि शत्रुघ्न ने भी विपक्ष के सुर में सुर मिलाते हुए जेटली के इस्तीफे की मांग कर दी है। उन्होंने ट्वीट करके बुधवार को कीर्ति आजाद को हीरो बताते हुए कहा कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं। अपने इन्हीं तेवरों के कारण शत्रुघ्न को बिहार चुनाव प्रचार से भी दूर रखा गया था। विधानसभा चुनाव से पहले और बाद में भी उनके बगावती सुर ऊंचे रहे हैं।

 

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