- गवर्नमेंट से मांगी गयी है संचिका, साथ ही हाईकोर्ट ने गर्वमेंट पर लगाया गलत डिसीजन का आरोप

- सेनिटेशन, ठोस कचरा प्रबंधन सहित छह प्वाइंट पर बारी-बारी से हुई बातचीत

- चीफ जस्टिस के कोर्ट में भी निलंबन का पहुंचा मामला

- आज सेकेंड हाफ में कोर्ट के सामने गवर्नमेंट रखेगी अपना पक्ष

PATNA : पटना नगर निगम के कमिश्नर कुलदीप नारायण के चार दिन पहले हुए सस्पेंशन के मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की डबल बेंच में हुई। इस पर एक दिन का स्टे लगाते हुए अगली सुनवाई मंगलवार को सेकेंड हाफ में करने की बात कही गई। जस्टिस वीएन सिन्हा और जस्टिस पीके झा की खंडपीठ में सुनाई के दौरान निगम और गवर्नमेंट के कई मामले और डिसीजन पर बात की गई। एक घंटे के आसपास चली बहस के दौरान कोर्ट ने कहा कि गलत मंशा रखते हुए गवर्नमेंट ने यह एक्शन लिया है। ऑर्डर देखकर पहली नजर में यही दिख रहा है। इसलिए कोर्ट ने गवर्नमेंट की उस संचिका की मांग की है जिसके आधार पर कमिश्नर के खिलाफ तमाम आरोप तय किए गए हैं। यही नहंीं इस दौरान गवर्नमेंट की ओर से बहस करते हुए ललित किशोर ने कहा कि यह मामला एक्टिंग चीफ जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी की कोर्ट में भी गया था। उन्होंने इसे गवर्नमेंट के काम का हवाला देते हुए रिजेक्ट कर दिया है। फिलहाल डबल बेंच की खंडपीठ ने सस्पेंशन पर एक दिन का स्टे लगाते हुए अगली तारीख पर बहस करने की बात कही है।

हर प्वाइंट पर कुलदीप के एडवोकेट ने रखी बात

कोर्ट ने गवर्नमेंट को डायरेक्शन दिया है कि वो अपना फाइल प्रोड्यूस करे। फिर इस पर आगे की बहस की जाएगी। कोर्ट में कुलदीप नारायण के एडवोकेट की ओर से उन छह प्वाइंट पर बात की गयी, जिसका हवाला देकर कुलदीप नारायण से स्पष्टीकरण मांगा गया था। फिर उनका सस्पेंशन तक की नौबत आयी है। कोर्ट ने भी यह माना है कि क्9 महीनों में जो भी आरोप तय होता है वो इनकी गलती नहीं है। सेनिटेशन का काम अब यह नहीं कर रहे हैं तो फिर उस सब्जेक्ट पर भी इनसे जवाब क्यूं मांगा गया है। फिलहाल कुलदीप नारायण के एडवोकेट और गवर्नमेंट के एडवोकेट के बीच दो बजकर पंद्रह मिनट पर एक बार फिर से डबल बेंच में बहस होनी है। इसके बाद डबल बेंच का आदेश निकाला जाएगा।

कुलदीप नारायण नहीं आए कोर्ट

एक बजे से ही निगम के ऑफिसर व एडवोकेट की टीम कोर्ट कैंपस में पहुंच चुकी थी, लेकिन दो बजे तक इंतजार के बाद यह खबर आयी कि कुलदीप नारायण खुद कोर्ट में नहीं आने वाले हैं। जबकि लोगों को यह उम्मीद थी कि वो खुद आएंगे। ऐन वक्त पर उन्होंने ऑफिसर की इसकी सूचना दे दी। इसके बाद उनके एडवोकेट ने उनकी ओर से पक्ष रखना शुरू कर दिया।