- बदले घटनाक्रम के बाद बैकफुट पर आई बसपा सुप्रीमो

- तीन दिन के भीतर बसपा को फिर बदलनी पड़ी रणनीति

- सवर्ण वोट बैंक बरकरार रखने को माया उतरीं मैदान में

LUCKNOW: तीन दिन पहले दयाशंकर सिंह मामले में खुद को मजबूत स्थिति में आंकने वाली बहुजन समाज पार्टी को बैकफुट पर आना पड़ा है। दलित वोट बैंक साधने की कोशिश में परंपरागत सवर्ण वोट बैंक खिसकने की छटपटाहट बसपा में साफ दिखने लगी है। यही वजह है कि विरोधियों पर बेहद आक्रामक रहने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती के तेवर रविवार को कुछ ढीले पड़ते दिखे। जानकारों की माने तो पार्टी अब इसे मुद्दे को ज्यादा तूल देकर अपना ही नुकसान नहीं कराना चाहती है।

रैली के जरिए जुटाएंगी ताकत

दयाशंकर मामले में पार्टी को जो संजीवनी मिली थी, उसका असर पिछले तीन दिन में कम पड़ने लगा है। बदले हालात में हवा के रुख को भांपते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने जिस तरह आनन-फानन में ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां करने का ऐलान किया, उससे साफ है कि यह कवायद पार्टी के वोट बैंक को बचाए रखने को लेकर की जा रही है। खास नजर उस सवर्ण वोट बैंक पर है जिसके सहारे वे 2007 में प्रदेश की सत्ता में आई थीं। रैलियों के जरिए जहां मायावती दलितों पर होने वाले अत्याचार के मामलों को जनता के बीच लेकर जाएंगी तो वहीं उन्हें दयाशंकर मामले में भी अपना पक्ष रखने का मौका मिलेगा। उनकी कोशिश इस मामले को लेकर सहानुभूति बटोरने की होगी। यही वजह है कि उन्होंने रविवार को अपने बयानों में सवर्ण वोट बैंक को साधे रखने के लिए खुद पर काबू रखा। उन्होंने भाजपा और सपा पर सियासी हमले तो जारी रखे, लेकिन ताजा मामले को लेकर केवल अपनी पार्टी के नेताओं का बचाव ही किया।

नई चुनौती के लिए नहीं तैयार

चुनाव में भाजपा और बसपा का सामना करने को तैयार बसपा फिलहाल किसी नई चुनौती के लिए तैयार नहीं है। यही वजह है कि दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाती सिंह द्वारा लगाये जा रहे आरोपों पर भी पार्टी खुलकर मोर्चा लेती नहीं दिखी। मायावती ने दयाशंकर की गिरफ्तारी न होने का ठीकरा सपा पर फोड़ा तो दलितों के बहाने भाजपा पर निशाना साधा। बाकी समय वे अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को बचाने में जुटी रहीं। संदेश स्पष्ट है कि चुनाव में बसपा के खिलाफ किसी ऐसे मुद्दे को आगे नहीं बढ़ने देना चाहती हैं जिसका खामियाजा उन्हें आगामी चुनाव में भुगतना पड़े। पत्रकारों के किसी भी सवाल का जवाब न देना भी इसी कवायद का हिस्सा माना जा सकता है।