- ओडीएफ प्लस तो दूर लक्ष्य के किनारे तक नहीं पहुंच सके जिम्मेदार

बरेली : खुले में शौच का कलंक मिटाने के लिए शासन की ओर से शहर में 7770 शौचालय बनवाने का लक्ष्य नगर निगम के लिए निर्धारित किया गया था। साथ ही कहा गया था कि वर्ष 2018 के अगस्त माह तक अगर निगम की ओर से लक्ष्य पूरा कर लिया जाता है तो ओडीएफ प्लस श्रेणी दी जाएगी जिसकी रैकिंग सुधार में अहम भूमिका है, लेकिन नगर निगम प्रशासन अगस्त माह में लक्ष्य पूरा करना तो दूर बल्कि इसके आसपास तक भी नहीं पहुंच सका। उदासीनता के चलते नवंबर में निगम इस लक्ष्य को कागजों ही पूरा कर सका। लेकिन जमीनी हकीकत की बात करें तो शहर में कुदेशिया फाटक के नीचे बसी कॉलोनी में बसे करीब 50 परिवार आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं।

गारवेज प्रोसेसिंग प्लांट भी नहीं लगवा पाए

केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइड लाइन के अनुसार शहर में जितने भी बारातघर और बड़े प्रतिष्ठान ऐसे हैं जहां से भारी मात्रा में कूड़ा निकलता है वहां गारवेज प्रोसेसिंग प्लांट नगर निगम को लगवाने थे, लेकिन एक भी बारातघर और प्रतिष्ठान में गारवेज प्लांट नही लग सका। जब निगम यह रिपोर्ट देने में असमर्थ रहा तो सर्वेक्षण टीम यहां सर्वे तक करने नहीं आई।

सॉलिड वेस्ट प्लांट फिर एक आस

नगर निगम में सत्ता परिवर्तन होने के बाद शहर के कूड़ा निस्तारण की प्रमुख समस्या के लिए सॉलिड वेस्ट प्लांट बनना था। हैरत की बात तो यह है कि फरीदपुर तहसील के बहगुलपुर गांव में प्लांट के लिए जगह की पहचान भी कर ली गई लेकिन एक साल बीतने के बाद भी यहां प्लांट लगाने का काम शुरू नहीं हो सका। नतीता पूरे शहर में आज भी गंदगी के ढेर लगे हैं, बस कूड़ा निस्तारण के नाम पर खानापूरी ही हो रही है।

डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन में भी धड़ाम

शहर में कूड़ा निस्तारण की समस्या से निपटने के लिए नगर निगम ने चार एजेंसियों से डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए करार किया है। हर वर्ष कूड़ा कलेक्शन में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं लेकिन इसका असर धरातल पर कहीं नजर नहीं आता।